Zee News Hindi: Latest News

बुधवार, 31 अगस्त 2011

मैँ जब भी अखबार पढता हूँ एक बात मुझे कचोटती है जब सेक्स विज्ञापन देखता हुँ की आज हम किस दिशा मे जा रहै है पूरे अखबार मे मसाज पार्लर एसर्काट सर्विस फोन सेक्स और न जाने क्या क्या बेहूदे विज्ञापन बड़ा अफसोस है तकनीकि का हम दुरपयोग कर रहे है हद तो तब है हमारा समाज चुप बेठा है और सरकार इस पर कोई प्रतिक्रिया नही करती और ना हि इनके चंगुल मे फसाँ कोई शर्म के
कहते है गौ माता मे 36 करोड़ देवता विराजते है यह सही है क्यो की गौ माता आस्था ही नहि समध्धी का भी प्रतिक है पर आज ये हमारी माता का अस्तितव अपने बूढे माँ बाप जैसा हो गया है घर मे रखना तो चहाते है पर सेवा नही गाँवो मे तो गौ माता का सम्मान बरकरार है लेकिन शहरी क्षेत्रो मे दयनीय स्थिती है यहाँ गौ माता व्यपार की मशीन हो ग ई है खूब दूध बेचो माल कमाओ इतना ठीक है लेकिन मरियल को कत्लखाने बेचो ये कौन सा सदाचार है गौ हत्या मे सने इन हाथो को कानून क्यो नही काटता लेकिन हम गाय पर क्या राजनीति करे ये अधिकार तो धर्म के ठेकेदारो का है आप रोज रोटी बनाते है लेकिन पहला ग्रास गाय को देना चाहिये इसके विपरित आप पहला निवाला अपने प्रिय विदेशी कुत्ते को बड़े प्यार से खिलाते है जब आप ऐसा करेगे तो आपके विचार भी कुत्ते जैसे ही होगे आप अपने को आधुनिक कहते हो लेकिन इस आधुनिकरण का क्या लाभ जब हम अपनी आस्था ही ना बचा पाये देश मे क ई गौमाता के भक्त छाति पीट रहे है क ई तो ईमानदार है और कुछ लालची कागजो मे गौशाला बनवा कर चारा खा रहे है और अपने को हिँदु कह कर हिँदु मर्याता को कंलकित कर रहे है अब तो हर भारतिय को ये सोचना होगा क्या हम सही कर रहे है

सोमवार, 29 अगस्त 2011

जागो मेरे हिँदू

हमारे देश की आबादी मेँ 80% लोग अपने को हिँदू कहते है और कुछ हिँदू विरोधी या यू कहे सेकुलरी लेबल माथे पे लगाये हिदूत्तव की बाते करते है लेकिन अगर मूंल्याकन करे तो हम हिँदुत्तव पर खरे नही उतरेगे क्या तिलग लगाने मात्र से अपने को हिँदू मान ले या फिर मंदिर मे जा कर दान देकर या अपना रौब दिखा कर अपने को हिँदू कहे जय श्री राम के ओजपूर्ण नारे लगा कर हुड़दंग करना हि हिँदुत्तव है आज अगर हम अपने को हिँदु कह रहे है वह झूठ है क्यो की हिँदू की परिभाष संस्कार हम तो भूल ही चुके है साथ ही हमारी आने वाली पीढी अपने को हिँदू कहलाने मे शर्म महसूस करे तो आप किसे दोषी मानेगे ये एक गंभीर समस्या है इसलिये एक अंखड हिँदु राष्ट्र की आवशकता है लेकिन कुछ सत्ता लोलुपता के चलते इस मुद्दे पर जबान नही खोलते और ना हि कोई सामाजिक संघठन कोई ठोस कदम उठा रहा है मुझे दुख इस बात का है हम ना वो संस्कार अपने युवाओ को दे नही पा रहै जो हमे वेदो से मिले है हमने वेदो को एक किताब भर मान लिया है क्या हम एसा कर के हिदुत्तव को गर्त की और ले जा रहे है आंडबरो से घिरा हिँदू सिर्फ अपना हि हित साधने मे लगा है जातिवाद और रूड़ीवादी परपरांओ मे उलझ कर हिँदु एकता को कमजोर कर रहा है आज आधुनिकता की आड़ मे अपने विचार से विमुख हम केवल अपनी संस्कृति का मजाक उड़ाने मे मस्त है मै उन सेकुलरो को आह्वान करता हू जाग जाओ और नहि तो हमे फिर को ई गजनी या अंग्रेज गुलाम बना कर भारत की पावन भूमि को इंगलिस्तान या को ई पाक्सितान बना डालेगे अगर सम्मान से जीना है तो वेदो और भारतिय सनातन धव्जा थाम कर आगे आओ भारत माता बुला रही है जय भारत

शनिवार, 27 अगस्त 2011

आजकल युवा वर्ग को लोकतँत्र कि बहुत चिँता है और अन्नाटीम के आँदोलन मे युवा बहूसख्या मे जनता कि भागीदारी देख कर लगता है ये लोकतंत्र के मसीहा है अब प्रशन ये है क्या जनता सच मे लोकतंत्र का मतलब समझती है या सिर्फ एक भेड़चाल है अगर संविधान की माने तो वह लोकतंत्र रूपी ढांचे को जन कानून सरकार और मीडिया रूपी खंबो पर टिका मानता है और यही कारण है विश्व मे हमारी लोकतंत्र प्रणाली का कोई सानी नही लेकिन आज लोकतंत्र के ये चारो खंबे जीर्णता की कगार पर खड़े दिखते है क्योकी जनता कानून सरकार और मीडिया अपने को होड़वादी मानने लगे है आज देश की जो परिस्थितीया है उस पर इन चारो को गंभीर होना चाहिये भारतिय जन मानस को सिर्फ दो काम ही आते है समर्थन करना या विरोध करना और इसके बाद वह यह समझता है अपना काम हो गया अब कानून को करना चाहिये कानून नौकरशाही और रिशवत खोरी के दलदल मे इस कदर फँसा है की स्वंम को एक मजबूत नया कानूनी रस्सी चाहिये तीसरा खंबा है सरकार इसका स्तर तो काफी गिर चुका है नित नये घोटाले और जन हित नीतियाँ उस पर से विश्वास उठा रही है और विपक्ष सहित ज7अ का आक्रोश झेल रही है इसे सबसे ज्यादा कमजोर कह सकते है अब मीडिया का पक्ष देखे तो वह उतनी दोषी नही जितना कानून और सरकार लेकिन मीडिया आज समाज का सेतु कम अपनी साख बनाने मे ज्यादा जागरूक है आज वो पत्रकारिता नही ब्रेकिग न्युज मे विश्वास करती है समस्या सुलझाने कि बजाये उसे तब तक थामे रखती है जब तक उसे भरपूर टी आर पी ना मिले क्या पत्रकारिता का यही कर्तव्य है अगर देश मे ये चारो खंबो को मजबूत नही किया गया तो हमारी अगली पीढी लोकतंत्र मे कैसे विश्वास कर पायेगी अगर जनता जाग जाये तो ये तीनो कभी सो नही सकते जय भारत

शुक्रवार, 26 अगस्त 2011

दिँ 24 अगस्त को एक खबर छपी छतरपुर के एक गाँव मे एक गरिब किसान नरपत यादव का लकड़ीयो के अभाव मे दाह संस्कार टायर जला कर किया ये कैसी विँडबना है की संपन्न भारत मे इस तरह कि घटना कोई अच्छा संदेश नही देती इस घटना ने समाज और प्रशासन दोनो पर प्रशन चिह्न लगा दिया है और उन समाजसेवी संगठनो के प्रति हीनता प्रगट करता है जो चंदा तो बखूबी लेती है किँतु पूरी तरह जागरूकता के साथ काम नही करती ये प्रशासन इस लापरवाही पर आर्थिक सहायता की मिट्टी डाल कर अलग हट जाता है एसे क ई उदाहरण हमारे सामने आचुके है आज संवेदनाऐ एक औपचारिक बन कर रह ग ई है योजनाऐ बहुत है सरकार के पास और भलीभाँति पालन भी हो रहा है लेकिन फिर भी कभी ना कभी ऐसी दुखद घटनाऍ हो जाती है सरकार ना उसकि जबाबदारी लेती है और नाही दूर करने का प्रयास करती है किसानो की आत्म हत्या कुपोषण से मृत्यू प्रसव मृत्यु आदी घटनाऐ भी भारी तादाद मे होती है जब्की महिला एंव बाल विकास को इसके लिये जिम्मेदार बनाया है इन घटनाऔ के पीछे हमारा नौकरशाह तंत्र भी उतना ही दोषी है जितनी सरकार और समाज नौकरशाही के चलते क ई योजनाऐ लोगो तक नही पहुच पाती और नौकरशाह पैसा तक डकार जाती है अब तो लगता है सबकी संवेदनाऐ मर चुकि है केवल एक दिन अंधेरे गर्त मे गिरना बाकी है
पहले मै भारत की उस वीरप्रसुता नारी को प्रणाम करता हूँ जिसने लज्जा और मर्यादा को अपने साथ आँगिकार कर देश को महासपूत दिये अब मै उस आधुनिक नारी को तिँलाजली देता हु जो नारी समाज को पश्चिमी संस्कृति मे धकेलने मे प्रयास रत है आज वो इतनि मार्डन हो ग ई है कि वो सुँदरी कम काम सुंदरी ज्यादा हो ग ई है और भारतिय संस्कृति का बदन उघाड़ने के लिये आतुर है और हमारा महिला आयोग उनका सर्मथन करता है आज कल एक मोर्चे की बड़ी चर्चा है बेशर्मी मोर्चा जो कनाडा के टोँरटो से निकल कर हमारे भारत मे कब आ गया ये पता ही नही चला ओर नारी जगत ने अनुसरण मी कर लिया और भारतिय समाज मे अपने अधिकर का ढिँढोरा पीटते हुये एक न ई विचार धार को जन्म दिया जो नारी को और अधिक उन्मुक्त और बे शर्म बना रहा है ये आधुनिक कामकन्याये नारी को कौन सी दिशा दे रही है आज नारी को किसी बेशर्मी मोर्चे की नही बल्कि उस मोर्चे कि अवश्तकता है जो उन्है भारतीय पंरपरा के साथ अपने मूलभूत अधिकार और स्थिती को सुधारने की अवशयकता है आज भी मध्यम और निम्न वर्गीय महिलाऐ शोषण ओर अधिकारो से वँचित है और दहेज हत्या जैसे वीभत्स पीड़ा झेल रही है इसके विपरित आधुनिक कन्याओ का बेशर्मी मोर्चा क्या सँकेत देता है और क ई NGO बेशर्मी मोर्चे को नारी कि जागरूकता बता रहै है आज भारत कि नारी को संविधान ने जो बराबर का हक दिया है उसका उपयोग कम दुरपयोग ज्यादा हो रहा आज भारत कि नारी को सम्मान तभी मिलेगा जब वह आधुनिकता के साथ साथ भारतीय परँपरा के साथ चलेगी जय हिँद

गुरुवार, 25 अगस्त 2011

भारत के स्वंतत्रा संग्राम मेँ हमारे कुछ राष्ट्रवादि लोगो ने एक सनातनी हिँदु राष्ट्र कि कल्पना कि थी और अधिकाश इस का समर्थन भी करते थे किँतु कुछ सेकुलर वादि लोगो ने सत्ता प्राप्ति के लक्ष्य मे अंग्रेजो से मिल कर हिन्दु राष्ट्र वादियो को ना सिर्फ समाज से बाहर का रास्ता दिखा दिया अपितु इतिहास मे भी उन्हे गुमनामी के अंधेरो मे धकेल कर अपने को सच्चा देशभक्त घोषित कर दिया हेडगेवार सावरकर मदन लाल ढीँगरा जैसे महापुरुषो को मृत्युपोँरात भी सम्मान ना दे सके आज भी हमारी पीढी इनके संर्घषमय जीवन से अंजान है खादी धारियो कि इस बेईमानी का हमने कभी विरोध नही किया यहाँ तक कि इन वीरो ने हिन्दु राष्ट्र कि कल्पना के साथ अपने प्राण दे दिये लेकिन हम हिँदु विघटित होते रहे जाति और श्रेष्ठता मेँ बँट कर हम टूटते चले गये और साथ हि एक हिन्दु राष्ट्र की नीँव जो अभी कमजोर ही थी उसको ध्वस्त कर एक क ई कमरो वाली सेकुलर इमारत खड़ी कर दि और सेकुलर हिन्दुत्तव को नीचा दिखाने लगा इस इमारत मे हिँदुत्तव का झंडा लिये कुछ ऐसे भी है जो सिर्फ चंदा लेने और हिन्दु को उग्र कर भड़काने जैसा कार्य ही कर रहे है लेकिन हिँदुऔ की एकता के विषय मे ये कुछ नही करते आज दूसरे धर्म के लोग हमारे धर्म मे विश्वास नही करते इसका प्रमुख कारण है हमारे वे हिन्दु संगठन जो राम मंदिर और हिन्दु राष्ट्र मुद्दो मे भी हित तलाश रहे है आज हर हिन्दू को जागना ही पडेगा और उसे एकता मे ही रहना होगा भारत मे रहने वाला हर वयक्ति हिँदु है चाहे वो किसी भी धर्म को मानता हो यह उसे स्वीकारना होगा और वो ये जान ले हिन्दु धर्म ही सनातन परपँरा है एक उतकृष्ट विचारधारा है अगर हम अब भी नही जागे तो हिँदु राष्ट्र कि कल्पना तो दूर बाबर और गजनी फिर से देश लूटने आयेगे तो आप क्या करेगे जंय हिँद

बुधवार, 24 अगस्त 2011


ये लेख किसी धर्म भावना को ठेस पहुचाना नही है ये लेख उस दिशा की और अवगत कराना है जो राष्ट्र भक्ति कि बात करते है लेकिन राष्ट्र निमार्ण मे कोई भूमिका नही निभा रहे है कहने को देवबंद इस्लामी शिक्षा का केँद्र है और विश्व मे उसका अपना नाम है लेकिन उसका नकारात्मक पहलू है वेबजह फतवे जारी करना जो की मुस्लिमो कि राष्ट्र भावना मे शंका पैदा करते है उसका ये कहना कि हम मुस्लिमो को वंदेमातर नही गाना चाहिये औरना ही भारत माता कि जय जब्कि मुस्लिम पँडित जाकिर नाइक ने कभी मुस्लिम को ये नही कहा है लेकिन देवबंद को एक सच्चे भारतीय मुस्लमान को वंदेमातरम कहने मे क्या आपत्ती है अब दूसरा पहलू है राम मंदिर के विषय को लेकर जब हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया जो की न्यायसंगत था और जजो के पैनल मे भी एक मुस्लिम जज थे उनके दिये गये फैसले पर उन्होने कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नही दी और ना ही फैसले को उचित बताया जब्कि देवबंद का ये फर्ज था कि वो सारे मुस्लिम समाज को समझाति कि फैसला सही है जिसका परिणाम ये है मामला सुप्रिम कोर्ट मेँ पहुँच गया अगर देवबंद मुस्लिम हितैषी होती तो बाबरि मस्जिद कमेटी को समझाती लेकिन उसने ऐसा ना कर के अपने को राजनीति से परे बता दिया तीसरा पहलू देवबंद राष्ट्रवादी मुस्लिमो मे भेद भाव रखता है और क ई विद्वानो को अपने पद से बे वजह हटा देता है देबबंद को अपना इतिहास नही भूलना चहिये देबबंद की भी आजादी कि लड़ाई मे योगदान था इसलिये देवबंद से आग्रहै भारत के मुसलमान को कट्टरता का नही देश भक्ति का पाठ पढाये जय हिँद

भगवा पर आँतकी रंग एक साजिश


हमारे तिँरगे मे तीन रंग है तीनो की अलग अलग महिमा गढी है संविधान ने केसरिया ( भगवा ) को त्याग और वीरता का प्रतीक बताया लेकिन भगवा हिन्दू कि आत्मा भी है ये कुछ सेकुलरवादी कीड़े भगवा पर आंतकवादी लेबल लगाने का प्रयास कर रहो जिसका सीधा अर्थ हिन्दू संस्कृति पर कालिख पोतना है जब्कि सफेद और हरे रंग को लेकर कभी अपना मुह नही खोला जो कि सबसे घृणित धर्मान्तरण और आँतकवाद फैलाने कार्यो मैँ लिप्त है लेकिन मुस्लिम समाज ने इस पर कभी प्रतिक्रिया नही दी इसका क्या ये अर्थ निकाले कि वो काफिर हि मानते है और भारत को अपनी मातृभूमि नही मानते है लेकिन ये सच नही है मस्लिम भाई अपने धर्म के प्रति कट्टर जरूर है किँतु देश भक्ति कि भावना उतनि प्रबल नही है जितनी अशफाक जी इंकबाल और बहादूरशाह जफर मे थी लेकिन मुस्लिम भाई इन्हे अपना आदर्श नही मानते इसका कारण हमारे हि वो लोग है जो हिँदू का तमगा लगा कर हिन्दू समाज को ओछा और साँप्रदायिक चेहरा पेश कर सिर्फ सत्ता पाने कि जुगत मै है और भगवा को आंतकि रंग देकर उसे भी उस श्रेणी मे खड़ा करने का प्रयास कर रहे है जहाँ आज पाक्सितान है इन कुटिल राजनेता ओ को देशभक्त कहलाने का कोई अधिकार नही है आज हर वर्ग को उठ कर आगे आकर एक सर्व गुण संपन्न राष्ट कि नीँव रखनी होगी और भारत को एक सनातन पंरपरा से युक्त हिँदु राष्ट्र निमार्ण कि भावना जागृत करनी होगी जर हिँद

सोमवार, 22 अगस्त 2011

कुछ सालो पहले एक फिल्म आई लगे रहो मुन्ना भाई जिसमे नायक दादागिरी छोड़ कर गांधीगिरी करता है गांधी सत्याग्रह करते थे और हम गांधी गिरी कर रहे है गांधी जी अनुशासन मे चलते थे और अनुशासन चलाते भी थे हम ना अनुशासन मे चलते है और किसी को चलने भी नही देते और गांधीगीरी करते है टेरिकाट की टोपी पहन कर जिसका मूल्य दस रूपये होगा यानी कि आज गाँधी जी के आदर्श दस रूपये मे खरीद सकते है गांधी जी निंदा नही करते थे आप निँदा किये बिना आगे बढ़ नही सकते आप फिर कैसे गांधी का अनुशरण कर रहै है एक टोपी लगाने भर से क्या आप गांधी के प्रतिबिँम्ब बन जाओगे उस गांधी से पूरी अंग्रेज सरकार डरती थी आपसे आपके मोहल्ले का थानेदार नही डरता क्यो बेवजह भीड़ मे शामिल होते हो
कुछ सालो पहले एक फिल्म आई लगे रहो मुन्ना भाई जिसमे नायक दादागिरी छोड़ कर गांधीगिरी करता है गांधी सत्याग्रह करते थे और हम गांधी गिरी कर रहे है गांधी जी अनुशासन मे चलते थे और अनुशासन चलाते भी थे हम ना अनुशासन मे चलते है और किसी को चलने भी नही देते और गांधीगीरी करते है टेरिकाट की टोपी पहन कर जिसका मूल्य दस रूपये होगा यानी कि आज गाँधी जी के आदर्श दस रूपये मे खरीद सकते है गांधी जी निंदा नही करते थे आप निँदा किये बिना आगे बढ़ नही सकते आप फिर कैसे गांधी का अनुशरण कर रहै है एक टोपी लगाने भर से क्या आप गांधी के प्रतिबिँम्ब बन जाओगे उस गांधी से पूरी अंग्रेज सरकार डरती थी आपसे आपके मोहल्ले का थानेदार नही डरता क्यो बेवजह भीड़ मे शामिल होते हो

रविवार, 21 अगस्त 2011


एक जन जागरण जो भ्रष्टाचार के खिलाफ उठ खड़ा हुआ और थमने का नाम नही ले रहा राम लीला मैदान मै मेले सी स्थिती है कोई गांधी टोपी बेच रहा है कोई जेब काट रहा है ये जन आंदोलन है कोई गांधीवादी है कोई सिविल सोसायटी का मुखौटा लगाये पूर्व प्रशासनिक अधिकारी जिनमे आज भी रंज भरा है की वह भ्रष्टाचार और अपनी बेदाग छवि के कारण उच्च पद ना पा सके और वे चहाते है जो हमारे साथ हुआ फिर किसी के साथ ना हो ये सिवील सोसायटी जन सुधार छोड़ कर जनतँत्र सुधार रही है और अन्ना जी का सहारा लेकर राजनितिक नीँव गढने का प्रयास कर रही है अन्ना तो गांधीवाद के प्रति पूरे ईमानदार है किरन बेदी ईमादार अफसर जो प्रशासन की भुक्तभोगी है कितु केजरीवाल भूषष हेगड़ कौन है ये आदोलित भीड़ नही जानती आज छठा दिन है अनशन का कितु केजरीवाल अड़े है सरकार को ना तो अल्टीमेटम दे रहे है और ना ही कोई सुझाव रख रहै अन्ना का वे ऐसा उपयोग कर रहे है जैसे किराये पर उन्हे लाया गया हो यह बात अंधभक्त जनता समझ नही पा रही भ्रष्टाचार से सभी मुक्ती चहाते है लेकिन देश के आगे सम्सयाओ का अंबार लगा है बड़े शर्म कि बात है की हम लोकपाल को 40 मे लागू नही करपाये जब्कि गैर कांग्रेसी सरकार भी थी और इमानदार भी चूक हम से ही हुइ है और इस प्रशन का उत्तर हमे ही तलाशना होगा

शनिवार, 20 अगस्त 2011

भ्रष्टाचार से दुखी जनता नेता संसद और उपर से जनलोकपाल को लेकर रोध प्रतिरोध एक बात चुभती है ये भ्रष्टाचार जनता को आज याद आ रहा है जब हमारे यहा सकल घरेलू उत्पाद बढा है जो विकास का सूचक माना जाता है क्या वाकई जनता भ्रष्टाचार से तंग है नही वो भ्रष्टाचार से तंग नही बल्कि उस कार्यप्रणाली से त्रस्त है जिसने भ्रष्टाचारी विषाणु प्रशासनिक सेवाओ मे छोड़े जिससे हर सरकारी विभाग पीड़ित हो गया भ्रष्टाचार के बिना अधिकारी बाबू पुलिसवाला चपरासी रह ही नही सकते और ये बात भारत का हर नागरिक 64 सालो से देखता आ रहा है

अन्ना गाँधीवादी नही देशभक्त


रालेगाँव सिद्धी एक ऐसा गाँव जो कभी पिछड़ेपन की दहलज पर बैठा अपने आप को कोस रहा था सरकारी योजनाओ से दूर ये गाँव बेहाल था ऐसे मे एक ऐसे शख्स ने राह दिखाई जिसने ना राजनिति पाठशाला मे पढाई की ओर ना हि कीसी NGO के आगे नाक रगड़ी वो स्वामबलन मे विश्वास रखता था और मानता था श्रम शक्ति प्रबल हो तो सबकुछ संभव है उसने युवा शक्ति और श्रम का एसा संयोग किया की विकास से कोसो दूर रालेगाँव विकास की परिभाषा बन गया और आज रालेगाँव आदर्श गाँवो मे गिना जाता है रालेगाँव का विकास ये दर्शाता है अन्ना एक कर्मशील वयक्तिव है आज राले गाँव हर मूलभूत सुविधाऍ है और आत्मनिर्भर है अच्छी खेती होती है और अन्य पिछड़े गाँवो की मदद करने का होसला रखता है ये अन्ना का ज्जबा हर सरकार ने देखा लेकिन सराहना तो दूर उससे सीख भी ना सके आज यही बूढा अन्ना भ्रष्टाचार की गंदगी साफ करने निकला है और लोग साथ दे रहे है लेकिन अन्ना के इस आंदोलन का कही राजनितिकरण ना हो जाये या फिर कही सरकार के दाँव पेच कही अन्ना टीम को हि ना कटघरे मे खड़ा कर दे ऐसी आशका क ई के मन मे है इसलिये अन्ना जी को गाँधी वादी ना बता कर देशभक्त कहना ज्यादा लाभदायक है क्योकी गांधीवाद कहलवाना मतलब कांग्रेस के मदद गार इसलिये अन्ना जी को मै देशभक्त कह रहा हू

शुक्रवार, 19 अगस्त 2011

गांधी जी का हिँदुवाद और कांग्रेस गांधी जी का हिँदुवाद और कांग्रेस

मैँ आज उस विषय को आप तक पहुचा रहा हू जो गांधीवादी पुच्छले संघ को फासीवादी और हिन्दुत्व को साप्रदायिक कह कर हमारी सनातनी रूपी परपंरा वृक्ष की डालिया काट रहे है जिस पर वे स्वंम भी बैठे है और समाजवाद का भोंपू लेकर चिल्ला चिल्ला कर लोगो को हम से बचने को कहते है मा गांधी की हत्या एक आक्रोश था जिसे सत्ता के लालची दलालो ने संघ के मत्थे मढ दिया और अगर गांधी जी की विचार धारा कांग्रेस समझे तो गांधी जी हिन्दुत्व की भावना रखते थे चूँकि आजादी की लड़ाई मे कांग्रेस मे जनसर्मथन उबाल पर था और परिस्थितयाँ काग्रेस के पक्ष मै थी इस लिये संघ से बापू और काग्रेस से किनारा कर लिया होगा लेकिन 1947 के बाद बापू का ये कहना कांग्रेस को खत्म कर दिया जाये ये उस और इंगित करता है बापू भी संघ की विचार धारा से सहमत थे लेकिन कांग्रेस ने सत्तालोलुपता के चलते गाँधी के उस विचार को नकार दिया बापू की हर सही गलत बात को सत्य मानने वाली काग्रेस ने उनके विचारो का आदर नही किया और मासूम जनता को अपने लिये राजी कर लिया ऐसी कांग्रेस के प्रति हम आज भी आस्था रखे है ये हर भारतीय को सोचना चाहिये

आजाद भारत गुलाम इंडिया

अब मै आजाद हु ये मै नही मेरा भारत कहता है लेकिन मै फिर भी गुलाम हु ये इंडिया कहता है मै गाँवो मेँ बसता हु बैलो की घंटीयो मे मन रमा है भूमिपुत्रो की हर श्वास मै हू मै आजाद हु पर क्या करु मेरा एक ओर नाम जिसको टाई धारी इंडिया कहते है वो अपने को दासता मे जीना पंसद करता है क्यो कि वह फटेहाल मेरे बच्चो को देख कर मुँह बिचकाता है मेरी भाषा मे बात करने वालो से कन्नी काटता है उसे गोरो की काली जबान पंसद है ये मेरा इंडिया है जो को एड अंग्रेजी शिक्षा पढता है अपने जिँदा बाप को मरा हुआ कहता है और अपने संस्कारो मे शर्म महसूस करता है और सदा इस आशा मे लगा रहता है पढाई के बाद गोरो की गुलामी करूगा ये मेरा गुलाम इंडिया है मै वो भारत हुँ जो अब झोपड़ पट्टी और मध्यम वर्गिय दड़बो मे रहता हु ओर ये इंडिया महल अटारी मै बैठा मेरा मजाक उड़ाता है और इंन्ही अटारियो मे रेव पार्टीयो के जश्न मे मद मे चूर धुँआ उड़ाता इंडिया अपने को 21 वी सदी का उगता सूरज बता रहा है ये इंडिया सचमुच गुलाम है लेकिन मै आजाद हु क्योकी मेरे लोकतंत्र यज्ञ की आहुति देने जब कोई कमजोर पिछड़ा जाता है तो मैरे प्रति आदर और अपने लिये उम्मीद लिये जाता है और फिर ये इंडिया उसकी उम्मीद के आगे ना लगा देता है क्यो की ये गोरो का इंडिया है खुली हवा 64 साल हो गये मुझे और इंडिया को लेकिन मैँ बिमार और थका सा हो गया हु ओर इंडिया यंग होता जा रहा है मेरे जीवन के सारे वंसत वेलेनटाईन डे ने छीन लिये है ओर मेरे सारे मित्र भी एक दिन के लिये सिमट कर रह गये है ये इंडिया मुझे कही का नही छोड़ेगा मेरा जो डंका विश्रव मै बजता था अब ये इंडिया फिर से गोरो को बेच देगा क्या तुम मुझको बचा लोगे
bk

गुरुवार, 18 अगस्त 2011

अन्ना के पीछे मीडियावादी लोकतंत्र ओर जेपीअन्ना के पीछे मीडियावादी लोकतंत्र ओर जेपी

bkआज हर कोई गला फाड़ चीख रहा है भ्रष्टाचार मिटाओ जनलोकपाल लाओ ये लोकतंत्र की आवाज कतई नही है ये मीडिया वादी लोगो का वो जत्था है जो आंदोलन की आड़ मे सिर्फ अपना चेहरा प्रसारित करवा रहे है केवल मुठ्ठी भर लोग ही है जो देश का असली मर्म समझते है एक अन्ना के पीछे हो लेना आदोलन नही है बात तब बनती अन्ना का सबके साथ होना अन्ना का ये परहेज मुझे समझ नही आया अन्ना की रामदेव व गैर काग्रेसी दलो से दूरी का ये अभिप्राय भी माना जा सकता है की सिविल सोसायटी कही खुद राजनैतिक मंच ना बन जाये 65 वर्षो से हम जूझते ही आ रहे है अगर आकलन किया जाय तो भ्रष्टाचार ही नही नक्सलवाद कालाधन नौकरशाही लालफिता शाही ओर अन्य क ई विकट ओर भयानक समस्याऐ है लेकिन इस ओर ना लोक समाज झुका और ना ही कोई अन्ना और आज की परिस्थिति एसी है अधिकाश को पता ही नही जन लोकपाल बिल है क्या (ndtv india मै अभिज्ञान लोगो से जनलोकपाल क्या है पूछ रहे थे) ओर अन्ना के समर्थन कर रहे थे यह कैसा जन आंदोलन है मै जेपी और लोहिया के आंदोलनो को जन आंदोलन मान सकता है जो उन्होने किया अन्ना ने तिल भर भी नही कीया जेपी के आंदोलन ने लोकतंत्र की आँखो से वो विश्वास की पट्टी हटाई जो काँग्रेस ने आजादी के बाद बाँध दी थी जेपी के आदोलन की सफलता बिना मीडिया या बिना किसी सिविल सोसायटि ओर मुठ्ठी भर युवाओ कि ललकार ने सत्ता को पलट कर रख दिया आज के युवाओ का आदर्श अन्ना बन गये ओर जेपी को आपातकाल के बाद हम भूल गये और उन्हे हमने किताबो ओर बुतो मे दफन कर दिया आज के युवाओ को ये भी नही पता होगा ये जेपी कौन है आज जेपी होते तो आंदोलन सफल ही नही प्रभावशील भी होते अब तो लोकतत्र को जाग जाना चाहिये क्योकी समस्याऐ गंभीर सरकार तानाशाह ओर हम लाचार हो गये है जय भारत

बुधवार, 17 अगस्त 2011

ये कैसा लोकतत्र

bkआज लोकतंत्र की आरति उतारो लोकतंत्र का तिलक करो प्रशन मत करो केवल उसकी सुनो जो कहता है अब रूक ना सकेगा यह स्थिती आज पूरे देश मे बन ग ई है सरकार क्या करे क्या ना करे अन्ना आर पार करने उतरे है लेकिन सरकार भी फूँक फूँक कर कदम रख रही है रामलीला मैदान काँड को वह भूल चुकि है लेकिन एक प्रशन बाबा रामदेव का भी हम देखे काला धन वयवस्था परिवर्तन को लेकर उनका असफल और बेईज्जत भरा आदोलन को हम स्वीकार ना सके और बाबा को मैदान छोड़ना पढा जबकि इसके विपरित हम अन्ना के पीछे हो कर भूख प्यास त्याग दी ओर बुद्धिजीवी लोकतंत्र की आवाज बुँलद मान रहै अन्ना अनुभवी खिलाड़ी की भाँती सरकार से भिड़ने आये है उनकी फौज मै हर वो सैनिक है जो प्रशासन के रवैये को जानता है लेकिन इसके विपरित बाबा रामदेव का काला धन ओर अन्य मुद्दे लोकतँत्र के कमजोर रवैये की भेट चढ गये ओर बाबा खुद जाँच ऐँजेसी के शिँकजे मे फँस गये और हम चुप बैठ गये हमारा लोकतँत्र मीडियावादी बन कर रह गया है ह र वयक्ति अपने को मीडिया की सुर्खी बनाना चाहात है अगर अन्ना सचमुच मे भ्रष्टाचार के प्रति स्वेदनशील होते तो रामदेव और अन्ना एक मंच पर होते तो रामलीला मैदान का आँदोलन सफल होता ओर आज अन्ना को दोबारा अनशन ना करना पडता ये हमारा कैसा लोकतत्र है

मंगलवार, 16 अगस्त 2011

देश विचार

जय भारत जय सनातन तुझको मेरा प्रणाम एक हो लक्ष्य एक हो हमारा ध्यान ना कुरूतियो का दल दल हो ना हो हम धर्मभीरु ना कोई मिथक आंडम्बर हो संस्कार और संयम के भूषण जातिप्रथा का हो दूर कुपोषण एक मानवता चिर परिचित हो तृष्णा मिटे हर मातृ भूमि की हरिता ओर सिँचित हो लज्जा हो नारी मे इतनी शोशित समाज ना कर पाये वीर प्रसूता बन आज तू महापुरूष को तु फिर जाये अपने अपने पथ चुन लेना जीवन का समय अब शेष नही सियार शासन आ गया सत्य का परिवेश नही विनती है कर्णधार देश के तुम ना मुह फेर लेना देशद्रोहियो के प्राण लेना देश की आन मे प्राण देना

मंगलवार, 9 अगस्त 2011

कांन्वेट शिक्षा मतलब अंग्रोजो कि दलाली

bkआज एक खबर पढी स्कूली छात्राये शराब पीती पकडी ग ई ये एक खबर मात्र नही थी ये उस ओर इशारा है जहाँ हमारे बच्चो का भविष्य तिमिर युक्त और चरित्र विशाक्त बनाया जा रहा है और हम सिर उठा कर दर्प मे कहते है मेरा बच्चा मँहगे कांन्वेट स्कूल मै पढता है देश आजाद तो हो गया लेकिन हमे मानसिक गुलामी से मुक्ति कब मिलेगी क्या हमारी सरकारी शिक्षा इतनि निम्न है की हम इन इसाईत के कारखानो मे अपनी फसल तैयार कर रहे है बेशक कांन्वेट स्कूल शिक्षा को गंभीरता से लेते हो लेकिन वे हमारे बच्चो से वे संस्कार छीन लेते है जो उसे अपने परिवार और परिवेश से मिलते है ये कैसी हमारी लाचारी है आखिर इनके प्रति आकर्षण क्यो है क्या आप ये उम्मीद करते है आपका सुपुत्र आपको लात मार कर घर से निकाल दे या फिर आपके सामने कोई व्याभिचार करे लेकिन ये आपके साथ 100% हो सकता है क्योकी आप सिर्फ कांन्वेट मे पढा ही नही रहे बल्कि प श्चिमि संस्कृति की ओर धकेल रहे है कांन्वेट मे पढ कर बेशक अच्छा रोजगार मिले या ना मिले लेकिन फर्लट सेक्स नशा आगे रहने की चाह घंमड धोखा देने मे महारत हासिल हो जायेगी और हो सकता है तुम लालच मे आकर अपनी आत्मा बेच आओ इसाई बन जाओ तो फिर क्या मतलब एसी शिक्षा का जो चरित्र पर ही कालिख पोत दे क्या आखिर हम चुपचाप तमाशा क्यो देख रहे है इन मिशनरी स्कूलो का बहिष्कार क्यो नही करते अगर हम कांन्वेट स्कूलो का विरोध नही करेगे तो हम एक बार फिर दासता स्वीकारनी होगी और ये दासता अंग्रेजी राज से भयानक और आंतकी होगी तो आप अपने बच्चो को क्या बनायेगे देश का लाल या फिँरगीयो के दलाल इति श्री

सोमवार, 8 अगस्त 2011

मरता लोकतंत्र

bkआज देश के हालात देख कर लगता है हमे लोकतंत्र का गला घोँट देना चाहीये आखिर हमने लोकतंत्र को शून्य चेतन क्यो कर दिया उसे मर जाना चाहिये ताकी भ्रष्ट कांग्रेस के हाथो दोबारा ना लगे देश मे भ्रष्टाचार की सुनामी आ ग ई ओर सरकार नीँद मे बड़बड़ा रही है कोई इस अंधेर राज का विरोध करता नजर आता है तो उसे चोर बना दिया जाता है आज दिग्गज मंत्री तिहाड़ मे ऐश कर रहे है और सरकार इन्हे बचाने की जुगत मे लगी है अगर हम 60 वर्षो का काग्रेसी राज का इतिहास देखे तो निष्कर्ष निकलता है शास्त्री जी के अलावा कोई भी एसा नही जिस पर दाग ना लगा हो और शायद कीसी और दल ने इतना भ्रष्टाचार किया हो भा ज पा तो भ्रष्टाचार की अभी परिभाषा भी नही जानती हमारा अन्धा लोकतंत्र केवल सुनता है और देश को पहले गर्त मे ढकेलता है फिर आंदोलन रूपी डंडा पकड़ कर निकल पड़ता है क्या हम ऐसे लोकतंत्र पर विश्वास कर लेते हैअगर हमने 10 वर्ष भी (NDA और अन्य मिली जुली सरकारो को छोड़ कर) गैर काग्रेसी दल को दिये होते तो देश के हालात कुछ ओर होते आज हर एक के मन मे प्रशन है आज मंहगाइ आँतकवाद नक्सलवाद भ्रष्टाचार काला धन और ना जाने कितनी सम्सयाओ से हम जूझ रहे है 60 कुर्सी वापरने के बाद भी ये समस्या जस की तस है ये हमारे लोकतंत्र का मजाक है जो हम देश को एक अच्छी सरकार भी नही दे सकता ऐसे लोकतंत्र को दफना दिया जाय और न ई क्राँति का बिगुल फुँका जाये जय हिंद

रविवार, 7 अगस्त 2011

पश्चिमी संस्कृति का आदी युवा

आज जब आज चारो और देश मेँ ज्वलनशील मुद्दे है वही दूसरी ओर हमारे युवा ओ को पश्चिमी संस्कृति की हवा लग गई है मेरा मन उस अधिकार को गाली देने को करता है जो 18 के बाद युवाओ को खुल्ला सांड घोषित कर देता है आज ये युवा अपने को आधुनिक कह कर अपनी संस्कृति का चीर और अपने चरित्र का हरण पश्चिमी संस्कृति को करने दे रहे है क्या नारी क्या नर सभी अपने को हाई क्लास की आड़ मे अपने को कितना नीचे गीरा चुके है पब डेटिग फर्लट सिगरेट शराब और ना जाने क्या क्या आज नारी इतनी फैशनेबल हो ग ई है रेव पार्टी मे धुआ उडाति ये अपनी शान समझती है त्यागमूर्ति नारी पश्चिमि सभ्यता कि रखैल बन कर रह ग ई है और वे युवा जो प्रेमदिवस जैसे दिवसो पर अपना धन विदेशीयो को लुटाते है या मेकडोनल मे पिज्जा खाते है वे किसी बलातकारी से कम नही जो पश्चिमी संस्कृति के सामने हमे नंगा कर रहे है जो नारी पशिचम की राह मे चल कर सिगरेट पिये बियर कि चुस्किया ले वो भूल क्यो गई कि राम कृष्ण भगत आजाद को उसने हि जना है आज प्रेम तक की परिभाषा को इन युवाओ ने बदल डाला है प्रेम अब लिव इन रिले.बन गया है ऐसे युवाओ से देश का क्या भला होगा जो खुद गुलामी मानसिकता लिये जी रहे है विश्वगुरू भारत जिसने शून्य से कामकला तक का ज्ञान विश्व को दिया ओर अब बही पश्चिम हमारे हि ज्ञान को विकृत कर हमारे युवाओ को बाँट रहा है आधुनिकता की अंधी दुनिया मे हमारा युवा अपने संस्कार विचार सब खोता जा रहा है कहने को हमारे देश मेँ 80% लेकिन राष्ट्रवादी युवा गिनति के मिलेगे अगर आज युवा नही जागा तो आने वाली पीढी को एक बार फिर1857 दोहराना होगा इतिश्री

शुक्रवार, 5 अगस्त 2011

देश के ये विज्ञापन

bkमेनेजमेँट गुरूओ का जमाना है विज्ञापन का जमाना है कहते है एक अच्छा विज्ञापन हि किसी वस्तु के गुण धर्म का निरधारण करता है पर आज विज्ञापन लीली भौँडी और विकृत हो चुकी है की जैसे कोई C ग्रेड फिल्म है भारतिय साँस्कृति को रौँदने का काम करते इन विज्ञापनो के बीच कुछ ऐसे चुँनिदा विज्ञापन भी है जिन्होने देश के हित मे अपना योग दान किया टाटा चाय का विज्ञापन आज के भ्रष्टाचार को मिटाने को कहता है क्या तर्क है इस ने जो हमे भ्रष्टाचार से लड़ने को प्रेरित किया लेकिन हमने इसके उद्देशय को ना समझा और इसे साधारण विज्ञापन मान लिया एक विज्ञापन मोबाईल सेवा प्रदाता का है जो बताती है की एकता क्या है ये मात्र अपना सामान बेचना चाहते है जब आज कल चड्डी बनियान और ना जाने कौन कोन से विज्ञापनो मे नारी को नग्न पेश कर अपना मुनाफा बढा रहे है इस माहौल मे यह सिद्ध होता है की आज भी हमारे औद्धोगिक घरानो मे देशप्रेम जिवीत है लेकिन हमारे देश के राजनीति चाटुकारो को ये बात साबित करना होगा की उनमे देश हित का उन्माद कितना है अगर इन विज्ञापनो मे छिपे संदेशो को हमारे नेतगण और हमारे अबोध युवा समझ लेते तो आज भारत भ्रष्टाचार जातीवाद और साँप्रदायिकता के घेरे से बाहर निकल चुका होता आइये हम मनन करे जय भारत .

लोकपाल यानी सरकारी पिँजरा

bkलोकपाल बिल पेश हो चुका है सरकार की मोहर लगना शेष रह गया है अगर लोकपाल का प्रारुप जो सरकार के बुद्धिजिवीयो ने बनाया है वो एक सरकार मुक्त ना होकर सीबीआइ जैसा सरकारी पिँजरा बन कर रह जायेगा लोकपाल का उद्देशय भ्रष्टाचार पर नकेल कसना है लेकिन इसका प्रारूप ऐसा बनाया गया है जैसे सरकारी पिँजरा आज भ्रष्टाचार की जड़े हर विभाग मे मौजूद है और नौकर शाह और अफसरी जमात उसे भरपूर पानी दे रही है अगर लोकपाल का स्वरुप ना बदला गया तो देश मे भ्रष्टाचार एक जन्मसिद्ध अधिकार हो जायेगा भारत मे अगर सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार ओर कुवयव्सथा हमार पुलिस विभाग और राज्सव विभाग जिसमे अगर राजा हरिशचंद्र भी घुस जाये तो बिना घूस दिये काम करा ही नही सकता चपरासी से लेकर अफसर सभी घूसखोरी कालिख मे पुते है तो क्या ऐसा लोकपाल सक्षम है भ्रष्टाचार रोकने को जो खुद भ्रष्टाचारी सरकार की बैसाखी पर चलता हो क्या हमारी संसद मे बैठे लोग ये नही जानते या जो इस सरकारी लोकपाल का समर्थन करते हुये इतरा रहे है वे खुद भ्रष्ट है बड़ी दुखद बात है हम लोकतँत्र की बड़ी बड़ी बाते करते है और जूठा आँदोलन करते है अगर हम सचमुच गंभीर होते तो क्या हम एक अरब लोगो मे इतनी क्षमता नही की लोकपाल जैसी वयवस्था को अपने अनूरूप बना सके आज हम0एक अन्नाजी जैसे देश भक्तो की जरूरत के अलावा और ऐसे कई अन्ना केजरीवाल जैसे आंदोलन कारी चाहिये अगर हमारी आत्मा मे देश प्रेम की भावना जागृत है तो मेरे इस लेख पर अपनी राय दे जय भारत

गुरुवार, 4 अगस्त 2011

काँग्रेस राज मरता लोकतँत्र

आजादी के 60 दशक बीत गये और हम आजाद नही हुये क्योकी कांग्रेस ने हमे गुलाम बना लिया उसका मोहजाल इतना विकट था की उसने दूसरे राजनीती विकल्प को जन्म लेने ही नही दिया हमारी मूर्खता है की हम ना कभी काँग्रेस को समझ पाये और ना ही कोई ठोस गैर काँग्रसी दल को निर्भीकता के साथ सत्तारूड़ कर सके मुझे तो ऐसे लोकतँत्र को जूता मारने को मन करता है मोरारजी की सरकार कितने दिन टिकि चंद्रशेखर दोबारा क्यो नही आये संयुक्त मोर्चे को तीन बार प्रधानमंत्री क्यो बदलना पड़ा अटल बिहारी वाजपेई को सरकार चलाने के लिये एड़ी चोटी का जोर क्यो लगाना पड़ा ये कुछ ऐसे कटुक सवाल है जिनका जबाब हमलोगो ने कभी नही ढूढा अब आपको कांग्रेस की काली करतूत बताता हुँ इंदरा गाँधी का आपातकाल जिसने हमारे लोकतँत्र को नीचा किया सुखराम पी वी नरसिम्हा राजीब गाँधी एंव उनके कुछ चमचे जो भष्टाचार की गंदगी मे सने हुये है लालू मुलायम जय ललिता ओर भी है ये सब जानकर भी हम काँग्रेस को पवित्र कहते है यदि ऐसा है तो लोकतत्रँ को गंदे गटर मे धकेल देना चाहिये ऐसे लोकतंत्र को मर जाना चाहिये bk
देश  हित के लिए दान 
        दीजिये 
स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया 
1047194936

बुधवार, 3 अगस्त 2011

हिना कौन है

हिना भारत आई और हम उनकी अदा पर मर मिटे वो एक विदेशमंत्री कम फैशनेबल ज्यादा नजर आई उनके वयक्तितव मै राजनितिक कूटनीती न के बराबर थी वो भारत शायद मनोरंजन के लिये आई थी क्यो की वह कोइ ऐसा समझोता या बात न रख सकी जिसके लिये उन्हे याद रखा जाये और तो और वे पाकिस्तान को गुनाहगार मानने से भी परहेज करती है जिसे अमरिका तक दोषी मानता है वो भारत इसलिये नही आई की वे भारत के हितो की बात करेगी वरन वे अपनी राजनीतीक जीवन को परिपक्व बनाने आई थी ओर हमने अपना समय और धन लुटा दिया यहाँ तक की हमने उनमे श्रीमती भुट्टो की छवि तलाशनी शुरू कर दी लेकिन भुट्टो एक राष्ट्रवादी नेता थी ओर कुशल नेत्री थी इसके विपरीत हिना मे राजनीति समझ का आभाव दिखता है हिना कौन है