सोमवार, 14 मई 2012
जातिवाद की बदलो परिभाषा
भारत भूमि मे जातिवाद की भूमि सिर्फ बंजर है जिस पर केवल कुरितियो की खरपतवार उगा करती है जिसे पानी देने का काम जातिगत राजनिती करती है बसपा सपा गोगपा मुस्लिम लीग दलित पेँथर सर्वण समाज पार्टी ऐसे कई जाति आधारित राजनैतिक मंच है जो भारत मे अपनी जाति की उपेक्षा का ढोल बजाते हुये अपना उल्लू सीधा करते है और लोकतंत्र को जातितंत्र मे बदलकर रख दिया है तब क्या ऐसे मे भारत को विश्वगुरू बनना संभव है भारत मे अंखड भारत की नीँव रखी जा सकती है अगर भारत को अपने सर्वण युग की और पुन: अग्रसर करना है तो हमे पहले कट्टर भारतीय बनना होगा ब्राहमणवाद क्षत्रियवाद वैश्यवाद दलित वाद अंल्पसंखयकवाद की परिभाषा बदलनी होगी भारत मेँ ब्राहमण वाद नही होना चाहिये लेकिन एक श्रेष्ठ ब्राहमण ऐसा भी हो जो चाणक्य जैसी दूरदर्शता का पारखी है भारत मेँ क्षत्रिय वाद नही होना चाहिये लेकिन एक श्रेष्ठ क्षत्रिय राणा प्रताप ऐसा भी हो जो मातृभूमि का स्वाभिमान कभी लुटने न दे भारत मे वैश्य वाद नही होना चाहिये लेकिन एक श्रेष्ठ वैश्य जो मातृभूमि के लिये अपना सर्वत्र धन लुटा सके भारत मे दलित वाद नही होना चाहिये लेकिन एक श्रेष्ठ दलित होना चाहिये जो आरक्षण की बैसाखी पर न टिका हो भारत मे अल्पसंख्यक वाद नही होना चाहिये लेकिन एक श्रेष्ठ अल्पसंख्यक ऐसा भी हो जो वंदेमारम जय घोष को धर्म विरोधी न मानता हो....जरा सोचिये विचार किजीये....जय माँ भारती
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