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मंगलवार, 17 अप्रैल 2012

गांधी महात्मा नही थे

इतिहास ने गांधी का जिस तरह
महिमा मंडन किया ऐसा प्रतित
होता है वो इतिहास को लिखने वाले
भारतिय नही अंग्रेजो के दलाल रहे
होगे मोहन दास करमचंद गांधी वैसे
तो स्वदेशी की बात करते थे
लेकिन आजादी के बाद भी नंपुसक
की भाँति जिये और मुस्लिम
तुष्टीकरण करते रहे क्या ये
महात्मा के लक्षण है जब सारा देश
गांधी का भक्त था तो पाकिस्तान
क्यो बना क्या गांधी एक कमजोर
लाचार बूढा बन कर रह गया था गांधी वैसे तो गौ हत्या शराबबंदी और हिँदी पर जोर देते नही थकते थे किँतु जैसे है आजादी मिली(सत्ता हंस्तान्तरण) हुआ गांधी मुस्लिम लीग और जिन्ना की चापलूस करने लगे जबकी जिन्ना के पक्ष मे कुछ गद्दार धंमाध मुसलमान थे और गांधी के साथ पूरा देश खड़ा था फिर भी गांधी असहाय क्या एक महात्मा का यही सिँधात है अंहिसा का फटा ढोल पीटने वाले गांधी को हिँदुओ पर हुये अत्याचार कभी नही दिखे उसके लिये अल्पसंखयक ही भगवान थे ऐसे महात्मा को मार दिया गया तो क्या गलत हुआ