रविवार, 7 अगस्त 2011
पश्चिमी संस्कृति का आदी युवा
आज जब आज चारो और देश मेँ ज्वलनशील मुद्दे है वही दूसरी ओर हमारे युवा ओ को पश्चिमी संस्कृति की हवा लग गई है मेरा मन उस अधिकार को गाली देने को करता है जो 18 के बाद युवाओ को खुल्ला सांड घोषित कर देता है आज ये युवा अपने को आधुनिक कह कर अपनी संस्कृति का चीर और अपने चरित्र का हरण पश्चिमी संस्कृति को करने दे रहे है क्या नारी क्या नर सभी अपने को हाई क्लास की आड़ मे अपने को कितना नीचे गीरा चुके है पब डेटिग फर्लट सिगरेट शराब और ना जाने क्या क्या आज नारी इतनी फैशनेबल हो ग ई है रेव पार्टी मे धुआ उडाति ये अपनी शान समझती है त्यागमूर्ति नारी पश्चिमि सभ्यता कि रखैल बन कर रह ग ई है और वे युवा जो प्रेमदिवस जैसे दिवसो पर अपना धन विदेशीयो को लुटाते है या मेकडोनल मे पिज्जा खाते है वे किसी बलातकारी से कम नही जो पश्चिमी संस्कृति के सामने हमे नंगा कर रहे है जो नारी पशिचम की राह मे चल कर सिगरेट पिये बियर कि चुस्किया ले वो भूल क्यो गई कि राम कृष्ण भगत आजाद को उसने हि जना है आज प्रेम तक की परिभाषा को इन युवाओ ने बदल डाला है प्रेम अब लिव इन रिले.बन गया है ऐसे युवाओ से देश का क्या भला होगा जो खुद गुलामी मानसिकता लिये जी रहे है विश्वगुरू भारत जिसने शून्य से कामकला तक का ज्ञान विश्व को दिया ओर अब बही पश्चिम हमारे हि ज्ञान को विकृत कर हमारे युवाओ को बाँट रहा है आधुनिकता की अंधी दुनिया मे हमारा युवा अपने संस्कार विचार सब खोता जा रहा है कहने को हमारे देश मेँ 80% लेकिन राष्ट्रवादी युवा गिनति के मिलेगे अगर आज युवा नही जागा तो आने वाली पीढी को एक बार फिर1857 दोहराना होगा इतिश्री
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