रविवार, 24 जुलाई 2011
किसान के आंदोलनी तवे पर राजनीती रोटिया
यूपी मे उधम मची है किसानो के आंदोलन को लेकर माया राज कि परेशानी बढ गई अगर ये मामला जल्द ना निबटा तो आने वाले यूपी चुनाव मे सत्ता सुंदरी किसी दुसरे के आंलिगन मे होगी कांग्रेस अपने युवराज को भेज चुकी है विगत कुछ दिनो से राहुल किसानो पर मेहरबान है जबकी दूसरा पहलू ये है किसान सदियो से मुसिबतो मे घिरा हुआ है जबकि राहुल एक नेता कम सेलिब्रिटी ज्यादा नजर आते है उन्हे सिर्फ लिखे भाषण पढना आता है किसान के मर्म को समझने के लिये उन्हे एक युवराज से साधारण बनना होगा सिर्फ कुछ पैदल चल कर या गरिब के घर रोटी खा कर आप वाह वाही तो लूट सकते है पँरतु किसानो के हितैषि नही आप एक स्वंतत्र विचार नही रख सकते आप जो कहेगे जो करेगे उसमे आपका निजी मत ना हो अगर उसमे होगा तो राजनीति का गंदला विचार किसान अगर आपके सहारे पार होने कि चाह नही रखता क्योकी कभी कोई भी दल किसानो का भला नही कर सकता अगर भला कर सकता है तो जमीन से जुड़ा आदमी अब दूसरा पहलू जब किसान आत्महत्या कर रहा होता है तब राहुल की स्वेदनाये नही नजर आती क्या विदर्भ ओर यूपी के किसान अलग है इस बात का जबाब राहूल को नही मालूम म प्र प्रदेश मे इंदरा सागर परियोजना मे अधिग्रहित जमीन का मुआव जा अभी भी क ई लोगो को नही मिला लेकिन राहुल ओर काँग्रेस ने उस ओर ध्यान नही दिया अब किसान इन दोगलो पर विशवास करेगा तो वह कभी जीत नही पायेगा इस लिये किसानो को अपनी लड़ाई खुद लड़नी चाहिये
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