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सोमवार, 12 सितंबर 2011

जाकिर का अंधा इस्लाम प्रेम


मैँने मुस्लिम विद्वान जाकिर नाईक कि काफी तकरीरे सुनी है ओर आपने भी सुनी होगी वे जिस तरह इस्लाम को महिमामंडित करते है तो हरकोई आर्कषित हो जाता है जाकिर जो कहते है वो कुरान और हदीस पर आधारित होता है अब ये कितने असरदार है ये हमे तब लगता है जब कोई आंतकि गुट कही विस्फोट कर देता है और इस्लाम के प्रति हमारा भ्रम टूट जाता है लेकिन बात यहाँ खत्म नही होती जब जाकिर हिँदू धर्म की तुलना कर इस्लाम और हिँदू धर्म मे समानता बताते है तो लगता है उसे नीचा दिखा कर उसमे छिपी इस्लाम विपिरत बाते द्वारा हिँदूऔ के मन मे अपने धर्म के प्रति शंका और इस्लाम का प्रति आस्था के भाव पैदा कर देते है ऐसा लगता है जैसे हिँदू धर्म की पोथिया चाट कर आये है आस्था से पढ कर नही आये जाकिर हिन्दू धर्म कि मान्यताओ कि काट इस्लाम मे तर्क के साथ पेश करते है चाहे गौ हत्या हो या मूर्ति पूजा या फिर हमारे अवतार जबकि हिँदू धर्म सभी धर्मो का पितामाह है लेकिन जाकिर कहते है मुसलमानो अपने बाप को बाप मत कहो (हिँदू धर्म काफिर है) आज जितनी भी आंतकि घटानाये होती है अंधिकाश मुस्लिम वर्ग पर हि शामिल होता हे लेकिन जाकिर इन पर भी यह सफाई देता है कुछ मुस्लमान आंतकी है लेकिन दूसरे धर्म इनसे कहीँ ज्यादा आतकीँ है ये कथन इस्लामिक आंतकके पक्ष को और मजबूत करता है जब्की जाकिर को इस्लामिक आंतकवाद का खुल कर विरोध करना चाहिये जाकिर इस्लाम का झंडे तले शायद सबको खड़ा करने की सोच रहे है और भारत मे इस्लामिक राष्ट्र कि नीँव को रखने का प्रयास कर रहे है पीस टीवी पर इनके कार्यक्रमो पर रोक ल गना चाहिये जय भारत मात.