मंगलवार, 20 सितंबर 2011
भारत वर्ष की जन्मगाथा ऐतिहासिक कम पौराणिक ज्यादा है और सनातन संस्कृति जिसे हिँदुत्तव कहना उचित होगा क्योकी ये सभी संस्कृतियो मे श्रेष्ठ और तर्क रहित धर्म है यह बात सौ फीसदी सैँद्धातिक होने पर भी 1400 साल पुराना कट्टरता की कालिख मे पुता हिँसावादी धर्म उंगली उठाने की चेष्ठा करता है जिसके धर्म का मूल मँत्र अल्लाह निराकार है अरे ये मे मंत्र जपने वालो जरा इस मंत्र को टटोलो ये हमारे धर्म की ही है देन है रूद्रष्टक मे पहली पंक्ति कहै नमामीशमिशान निवार्णरूप विँभु व्यापकम ब्रह्म वेद संवरूप निराकार ओंकार मूंल तूरियम गिरा ग्यान गोतितमिँशम गिँरिशम इस श्रलोक का ही तुम पाँच बार जाप करते है लेकिन फिर भी कहते हो हिँदू काफिर कौम है ये नमक हरामी का उदाहरण नही है भले ही आज इस्लाम फल फूल रहा हो लेकिन ये सच है इसकी जड़े हिँदुत्त से ही जुड़ी है पंरतु तुम अंधे धर्म और अंधे सिँध्दात के पीछे ही चले जा रहे हो जो तुम्हे अंधकारमय हिँसक जीवन की और लेजा रहा है तुम जितने भी धार्मिक कर्मकांड करते हो वे प्राकृति के विपरित ही होते है तो फिर तुम इस्लाम को सच्चा और पवित्र धर्म कैसे कह सकते हो क्योकी तुम हिँसक और क्रूर कर्म करते हो बहुविवाह करते हो ये विपरित कर्म क्या तुम्हे जन्नत मे जगह दे पायेगे आँतकवाद और देशद्रोही हरकतो से तुम वैसे ही सनातन धर्म और भारत से विश्वास खो चुके हो और अब ये तुमको तय करना है सनातन के सिँधान्त पर चल कर इस्लाम का पालन करना है या आँतक फैला कर इस्लाम को बदनाम तुम चाहे जो करो पंरतु ये याद रखो सनातन धर्म तुमहे माफ कर ही देगा गजनी को माफ कर सकते है तुम तो फिर भी सौतेले भाई हो जय राष्ट्रवाद
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