गुरुवार, 13 अक्टूबर 2011
अब कोई प्रंशात भूषण ना बने
आज कुछ कड़वा लिँखूगा हो सकता है लोग मुझे फासीवादी कहे लेकिन फिर भी लिँखूगा क्यो की लिखने कि आजादी मिलि है मैँ आज सेकुलरी रंगे सियारो पर शब्दो के तीर चलाउगा कल एक देशभक्त ने एक देश द्रोही को पीटा मीडिया और कुछ राजनीति के दल्लो को बैठे ठाले अपने को समाजवादी चोला पहन कर गांधीवाद का प्रचार करने का मौका मिल गया मुझे लगता है कशमीर को भारत नही मानते सेकुलरवादी जब प्रँशात भूषण ने कशमीर पर बयान दिया तो ना मीडिया ने उसे गलत कहा और ना ही कोई राजनैतिक विचार धारा ने विरोध किया और ना हिँ अन्ना के अंध भक्तो न कुल मिला कर ये क्या माने क्योकि मौन का अर्थ मन से स्वीकृति ही होती है मैँ फेसबुक पर जुड़े एक साल भी नही हुआ लेकिन मैँने इस मंच पर जो देशभक्ति देखी वो असल मे वो गुबार है युवाओ का जो भारत के देशद्रोही पर फूट पढता है कल प्रंशात भूषण को पीटने वाले तेजेन्दर बगघा विष्णु गुप्ता एक राम सेना के कार्यकर्ता थे और फेसबुक पर भी काफी सक्रिय और क्राँतिकार विचार रखते है उन्हे गुंडा कहना देशभक्ति का अपमान करना है क्यो की प्रंशात जी का बयान अल्पसंख्यको खुशी देने वाला थे क्यो की अन्ना टीम को अल्पसख्यको का हमदर्द बनना है लेकिन किसी ने भी प्रँशात जी का विरोध नही किया ओर परिणाम आपके सामने है अब कोई भी ऐसा बयान देने से पहले विचार करेगा
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