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गुरुवार, 23 जून 2011

एक क्राँती का नाद

बंधे हाथ तो क्या हुआ हो सवतंत्र विचार
नवयुग का निर्माण करो झूटे सवप्न करो साकार
एक नहीं होए मत सोचो जग भी साथ तुम्हारे है
हो क्रांति किजवाला मन में ताल जायेगे मन के विकार
देश तुम्हारा लोग तुम्हारे फिर क्या तुमको डरना  है
याद रहे वो लोग तुम्हे जिन के रास्तो पर चलना है
डगर बड़ी है काँटों वाली पल पल तुम्हे संभालना है
जीवन के सिन्धु उठा ज्वर थम सत्य पतवार
हाल बुरा हैतेरे देश का माट्टी     भी अब रो देती है
लाल हमरे भूखे मरते सरकार नोचती बोटी    है
हथियार उठा ले संग ले काफिला अब तो रण हो
 जाये जिसको जिससे लड़ना हो चुन ले कलम और तलवार
नस नस में हो लहू उबलता वाणी में परिवर्तन की आग
रुके कदम न अब तुम्हारे गाते चलो इंकलाबी राग
सत्ता के सियारों से बचना कही तुम चोट न खा जाओ
भगुर हो जाये कुवय्वस्था करो एसा त्रीव प्रहार