शुक्रवार, 4 मार्च 2011
रामदेव का योग राजनीति का आसन
राजनीती गलियारो मे एक नया हल्ला मच गया योग गुरू की कपालभाती क्रिया को नेतागीरी ने कपाल क्रिया करने को ठान लिया है पत्रकार बंधुओ को बैठे ठाले महिने भर का मसाला मिल गया मुझे रामचरित्र मानस का धनुभंग प्रंसग याद है जिसमे एक ऋषि पुत्र के मुख से वीर रस फूट पड़ता है ओर वह वीरता का बखान करते है वैसा ही कुछ आजकल हमारे योग गुरु कर रहै है परशुराम ने धरा को 21 बार क्षत्रियो से विहीन कर दिया था और भूमि ब्राहम्णो को दान कर दी और हमारे योगगुरु भ्रष्टाचार को 21बार तो नही कम से कम 1 बार तो हटाने का अभियान मै जुटे है जिस भ्रष्टाचार और कालेधन की बात बाबा ने छेड़ी है बह बात हमारी 50 साल की परिपक्व सरकार भी न छेड़ पाई ओर बाबा ने बात यूँ छेड़ी वह बात न हुई विष कि लहर हो गई जिसने राजनीती ठेकेदारो का दम घोँट कर रख दिया पर बाबा बेचारे कच्चे खिलाड़ी है आकड़ो के पुलिँदे लिये यहाँ वहाँ अपनी बात रख रहे है और हमारी जनता जिसने एक एसा चशमा पहन रखा है जो सिर्फ सफेद खादी को ही देखता है केसरिया बाना शायद उसे साप्रदायिक लगता होगा अब क्या करे बाबा तो बिगुल बजा चुके है नेताजी भी कमर कस कर तैयार बैठे है कब बाबा की पोल खोले बाबा को भी इनसे सावधान रहना चाहिये ये अगर अपनी औकात मेँ आ जाये तो आपकी लंगोटी तक उतार सकते है इस लिये मैरी सलाह है बाबाजी एक बार आप खादी पहन कर देखिये हो सकता है खादी की गरीमा जो हमारे राजनीतीज्ञ छंछूदरो ने मटिया मेट कर दी शायद आप के पहन लेने से वह फिर से धवल हो जाय ओर हमारे देश को एक और गांधी मिल जाये धऩ्यवाद
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