मंगलवार, 8 जनवरी 2013
आज फिर गीता पढे
भारत की लाल सरहद हो गई
नंपुसकता की हद हो गई
एक आशा एक राखी एक रोटी रो दी
किसी ने देश के लिये जवानी खो दी
एक परिवार न भविष्य
की कहानी खो दी
अब भारत का भूगोल बदलने का वक्त है
अगर तुमहारे शरीर मेँ
स्वाभिमानी का रक्त है
फौजी का सर वे ईनाम समझ कर ले गये
शिँखडीयो पर किया भरोसा हाथ मल
कर रह गये भारत माँ का लाल
था जो सिर कटा कर शहीद
हो गया मेरा इंडिया भारत पाक
सीरिज का मुरीद हो गया गांधी के
चमचो ने गाल पेश कर
दिया राष्ट्रवाद को कुर्सी ने बेहोश
कर दिया भगत सिँह कब
जनेगी मातृभूमि मेरी आखिर कब तक
खून पियेगा पाकीस्तान बैरी मत
तो करता है मेरा गोड़से बन जाउ इक
इक गांधी का सिर काट लाऊ मजबूर हुँ
शस्त्र सांप्रदायिकता के पास
गिरवी पड़े है हम तो तुच्छ
राष्ट्रवादी है राजनिति चाटुकार
हमसे बड़े है राह तक रही है आंखे
कुरुक्षेत्र की फिर धूल उड़े आओ मिल कर
फिर गीता सार पढे
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