गुरुवार, 4 अगस्त 2011
काँग्रेस राज मरता लोकतँत्र
आजादी के 60 दशक बीत गये और हम आजाद नही हुये क्योकी कांग्रेस ने हमे गुलाम बना लिया उसका मोहजाल इतना विकट था की उसने दूसरे राजनीती विकल्प को जन्म लेने ही नही दिया हमारी मूर्खता है की हम ना कभी काँग्रेस को समझ पाये और ना ही कोई ठोस गैर काँग्रसी दल को निर्भीकता के साथ सत्तारूड़ कर सके मुझे तो ऐसे लोकतँत्र को जूता मारने को मन करता है मोरारजी की सरकार कितने दिन टिकि चंद्रशेखर दोबारा क्यो नही आये संयुक्त मोर्चे को तीन बार प्रधानमंत्री क्यो बदलना पड़ा अटल बिहारी वाजपेई को सरकार चलाने के लिये एड़ी चोटी का जोर क्यो लगाना पड़ा ये कुछ ऐसे कटुक सवाल है जिनका जबाब हमलोगो ने कभी नही ढूढा अब आपको कांग्रेस की काली करतूत बताता हुँ इंदरा गाँधी का आपातकाल जिसने हमारे लोकतँत्र को नीचा किया सुखराम पी वी नरसिम्हा राजीब गाँधी एंव उनके कुछ चमचे जो भष्टाचार की गंदगी मे सने हुये है लालू मुलायम जय ललिता ओर भी है ये सब जानकर भी हम काँग्रेस को पवित्र कहते है यदि ऐसा है तो लोकतत्रँ को गंदे गटर मे धकेल देना चाहिये ऐसे लोकतंत्र को मर जाना चाहिये bk
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