मंगलवार, 20 दिसंबर 2011
श्रीमद गीता पर विवाद क्यो
हिँदुतत्व का मूल है वेद जो कब लिखे गये ये अज्ञात है जिसे ईशवरिय रचना कहा जाये तो सत्य ही होगा और वेद वाणी प्राकृतिक और वैज्ञानिक रुप प्रमाणित है भले मुस्लिम या ईसाई वेदो पर विश्वास न करे लेकिन सत्य यही है वेद ही कुरान बाईबिल आदि धर्मग्रंथो का पितामह है और वैसा ही गीता के बारे मे कहा जाता है वेद अगर जीवन का सिँद्धान्त बताते है तो गीता कर्म धर्म और मोक्ष प्राप्ति की और ले जाती है ये बात पूर्ण सत्य है क्योकी गीता के शब्दो की काट कोई अन्य धर्म नही कर पाया शायद यहि कारण है की ईसाई और मुस्लिम हिँदुतत्व से घृणा करते है और ईष्या भी करते क्यो की वे अपने धर्म मे प्रमाणिकता नही पाते और बौखला कर हिँदुतत्व को झूठा साबित करने की कोशिश करते है अभी हाल ही मेँ रूस मे जो गीता को लेकर विवाद हुआ वह यही सिद्ध करता है ओर गीता ज्ञान को आंतक का ज्ञान बतलाने वाला एक ईसाई ही है जिसने गीता को अदालत मे घसीटा गीता पर कोई उंगली उठाये ये कैसे हो सकता है क्योकी गीता तो मानव को धर्म ओर कर्म की ओर ले जाती है हिँसा और मानव विरोधी कार्य तो ज्यादा तर मुस्लिम और ईसाइ कर रहे है लेकिन कोई इन पर उंगली नही उठाता आंतकवाद और धर्मातरण जैसे अमानवीय कृत्य के वावजूद ये विश्रव मे सम्मानित है और ये हिँदुतत्व पर लगातार चोट किये जा रहे है कभी देवताओ का अपमान तो कभी गुरूओ का कभी पंरपराओ का अब तो ये इतने निर्भिक हो गये की हमारी प्रेरणा श्रीमद गीता पर भी टिपप्णी करने लगे आखिर ये मुस्लिम और इसाई क्या अपना समूल नाश चहाते है क्योकी हिँदुतत्व अब जाग चुका है
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