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गुरुवार, 17 नवंबर 2011

हिँदुत्तव- एक सदभार विचार धारा


भारत मे सेकुलर वादियो की अंधी सोच हिँदुतत्व को एक वर्ग मे बाँटती है जिसका आधार सांप्रदायिकता पर होता है मतलब हिँदुतत्व एक लड़ाकू और नागरिको मै वैमनस्य फैलाने वाला धर्म है और सेकुलरवादियो का एक मत यह भी है ईसाई और मुस्लिम ही शांतिप्रिय कौम है और उसे सहानुभूति की जरूरत है सेकुलरवादियो की यह सोच भारत के संविधान मे दर्ज धर्मनिरपेक्षता वाक्य को मिथ्या सिद्ध करती है आज भी हिँदुतत्व को ये सेकुलर वादी जान नही पाये हिँदुतत्व आस्था और विज्ञान के पलड़ो पर टिका है बिलकुम समतल आस्था और वैज्ञानिक दृष्टिकोण हिँदुतत्व जीवन शैली मैँ ही मिलता है और किसी धर्म मेँ नही वंसुधैव कुंटुबकम की पंक्ति इसका ठोस प्रमाण है इस्लाम को शांती और भाईचारा का प्रतिक बताने वाले ये भूल गये सर्वे भंवन्तु सुंखिनः इस्लाम के उदय से कई वर्ष पहले लिखा गया है और फिर भी सेकुलर वादी हिँदुतत्व पर उंगली उठाते है हिँदुतत्व पंरपरा पर गौर करे तो वैज्ञानिक तथ्य पूरे उतरते है माथे पर तिलक लगाना सूर्य को जल चढाना व्रत आदी भी मैँ भी विज्ञान पूरी तरह सहमत है सुबह योग भी विज्ञान ही है आर्युवेद विज्ञान ही है पंच गव्य की महिमा को विज्ञान स्वीकारता है इतने गुण हिँदुतत्व मे है फिर भी हिँदुतत्व कमजोर पढ़ता है ईसाइ और मुस्लिम अपनी डीँग हाँककर धर्मातरण कर ही रहे है और सेकुलरवादि इस लिये चुप है आखिर ये सत्ता की चाबी है इनको नाराज मत करो ऐसे नंपुसको के कारण हिँदुतत्व की आज ये गति है जिस डाल पे बैठे उसे ही काट रहे है और कुछ मक्कार धर्मातरण करते जा रहै है ये स्थिती बदलना जरूरी है जागरूकता की कमी के चलते हिँदु हिँदुतत्व से दूर हो गया है ऐसे मे अंखड भारत की बाते बेमानी है सेकुलरवादियो को सच्ची धर्मनिरपेक्षता निभाना चाहिये और सनातन संस्कृति मे ही सच्ची धर्म निरपेक्षता है जय माँ भारती