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बुधवार, 7 दिसंबर 2011

फेसबुक खतरनाक या दिग्गी

लोकतंत्र को अपना बाप कहने वाले नेता खुद लोकतंत्र पर तमाचा जड़ रहे है लिखने की स्वतंत्रा पर लगाम लगाने कि कवायद शुरू की जा रही है मीडिया को गुलाम बना ही चुके है अब सामाजिक नेटवर्क पर जो इनकी पोल पट्टी खोल रहे है उनकी बारी है कपिल सिब्बल को राजनेताओ के सड़े फेस की चिँता नही है चिँता तो फेसबुक पर उन पोस्ट की है जिसमे सिर्फ इमानदारी है मीडिया की चापलूसता नही है फेसबुक पर जो भी लिखा जाता है वो भड़ास है उस वयवस्था पर जो मन मे पीड़ा भर देती है भले कुछ मनचलो के लिये फेसबुक प्रेम का अड्डा हो लेकिन बुद्धिजीवियो की भी कमी नही है बस ये आपकी इच्छा है आप फेसबुक का किस तरह उपयोग करेगे फेसबुक मंच पर हम बेझिझक वो बात कह देते है जो हमारे मन मे दबी होती है हमारी बात मे कितनी सार्थकता है ये पंसद और टिपप्णी के जरिये तुंरत पता चल जाती है लेकिन ये बात कपिल सिब्बल को खटक रही है की सारे के सारे कांग्रेस राहुल और सोनिया की छिछालेदार कर रहे है और हम तमाशा देख रहै है शायद यही सोच कर कपिल सिब्बल ने ये कदम उठाया होगा लेकिन शायद कपिल भूल गये दिगविजय जैसा घाघ आदमी के कंमेट के सामने हम फेसबुकिये छोटे है लेकिन पढे लिखे कपिल जानते है देखन मे छोटे लगे घांव कर गंभीर इस कारण फेसबुक पर लगाम लगाने की तैयारी कर ली अब मुद्दा फेसबुक बन गया मंहगाई जाय भाड़ मे कालाधन जाय चूल्हे मे लोकपाल बहाओ गटर मे संसद तो तुम्हारी बपौति है कांग्रेस बेवजह नये नये विवाद जन्म देकर मूल मुद्दो को ध्यान से हटाने का प्रयास कर रही है फेसबुक के पीछे पड़ने से अच्छा है दिगविजय को कंट्रोल करो क्यो की फेसबुक से ज्यादा वो घातक है