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शुक्रवार, 4 नवंबर 2011

अंखड भारत की बात करने वाले हर हिँदू को प्रणाम और गर्व से अपने को हिँदू कहने वाले चुँनिदा भेदियो से एक चुभता सवाल किस गर्व से अपने को हिँदू कहते हो जब्कि तुम्हार पवित्र हिँदुतत्व मे सेकुलरी और पंथवादी आत्माओ का वास हो चुका है तुम सिर्फ नाम मात्र के हिँदू हो तुमने अपनी सनातन धर्म और पंरपरा को बेच डाला है और अपना एक नया अस्तित्व गढ लिया है तुम आर्य समाजी बन बैठे और वेदो पर एकाधिकार कर बैठे और आस्था को पैरो तले कुचल दिया और हिँदुत्तव कौ बाँट दिया फिर हमे हमे तुम से कोई बैर नही अरे ब्रह्मसमाजियो तुम भी आर्य समाजियो के भाई ही हो फिर भी तुमसे बैर नही लेकिन पीड़ा दायक बात ये है तुमने महापुरूषो को भी जातिकत बंधनो मे बाँध कर हिँदुतत्व की जड़े खोदने का काम कर दिखाया और हिँदु पिछड़े पन का शिकार हो गया कोई कबीरपंथी बन बैठा कोई शैव कोई वैष्णव कोई जैन कोई राधास्वामी कोई रविदासी कोई डेरा सच्चा सौदा कोई पीर फकिर का अनुयायी बन गया और हिँदुतत्व को घायल करता अपने अपने पंथ की चाकरी करने लगा जिसका फायदा सेकुलरी कौम उठा कर तुमको हिँदुतत्व और भारतिय संस्कृति से दूर ले जा रही और गर्व से अपने को हिँदू कहते है हिँदुतत्व को दृढता के लिये किसी पंथ की जरूरत नही जरूरत है बल्की राम कृष्ण परशूराम कबीर नानक दयानंद विवेकानंद जैसे धर्मप्रकाशक चाहिये तब हि हिँदुतत्व संगठित और संदृढ हो कर अंखड भारत का निमार्ण करेगा ....जय अंखड भारत