शनिवार, 20 अगस्त 2011
भ्रष्टाचार से दुखी जनता नेता संसद और उपर से जनलोकपाल को लेकर रोध प्रतिरोध एक बात चुभती है ये भ्रष्टाचार जनता को आज याद आ रहा है जब हमारे यहा सकल घरेलू उत्पाद बढा है जो विकास का सूचक माना जाता है क्या वाकई जनता भ्रष्टाचार से तंग है नही वो भ्रष्टाचार से तंग नही बल्कि उस कार्यप्रणाली से त्रस्त है जिसने भ्रष्टाचारी विषाणु प्रशासनिक सेवाओ मे छोड़े जिससे हर सरकारी विभाग पीड़ित हो गया भ्रष्टाचार के बिना अधिकारी बाबू पुलिसवाला चपरासी रह ही नही सकते और ये बात भारत का हर नागरिक 64 सालो से देखता आ रहा है
अन्ना गाँधीवादी नही देशभक्त
रालेगाँव सिद्धी एक ऐसा गाँव जो कभी पिछड़ेपन की दहलज पर बैठा अपने आप को कोस रहा था सरकारी योजनाओ से दूर ये गाँव बेहाल था ऐसे मे एक ऐसे शख्स ने राह दिखाई जिसने ना राजनिति पाठशाला मे पढाई की ओर ना हि कीसी NGO के आगे नाक रगड़ी वो स्वामबलन मे विश्वास रखता था और मानता था श्रम शक्ति प्रबल हो तो सबकुछ संभव है उसने युवा शक्ति और श्रम का एसा संयोग किया की विकास से कोसो दूर रालेगाँव विकास की परिभाषा बन गया और आज रालेगाँव आदर्श गाँवो मे गिना जाता है रालेगाँव का विकास ये दर्शाता है अन्ना एक कर्मशील वयक्तिव है आज राले गाँव हर मूलभूत सुविधाऍ है और आत्मनिर्भर है अच्छी खेती होती है और अन्य पिछड़े गाँवो की मदद करने का होसला रखता है ये अन्ना का ज्जबा हर सरकार ने देखा लेकिन सराहना तो दूर उससे सीख भी ना सके आज यही बूढा अन्ना भ्रष्टाचार की गंदगी साफ करने निकला है और लोग साथ दे रहे है लेकिन अन्ना के इस आंदोलन का कही राजनितिकरण ना हो जाये या फिर कही सरकार के दाँव पेच कही अन्ना टीम को हि ना कटघरे मे खड़ा कर दे ऐसी आशका क ई के मन मे है इसलिये अन्ना जी को गाँधी वादी ना बता कर देशभक्त कहना ज्यादा लाभदायक है क्योकी गांधीवाद कहलवाना मतलब कांग्रेस के मदद गार इसलिये अन्ना जी को मै देशभक्त कह रहा हू
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