भारत मे भुखमरी है मरते किसान है
पुलिस के मजबूत डंडे है काला धन कमाने
के हथकंडे है धर्म बंधक है
सेकुलरी तहखाने मेँ संस्कृति के सुहाग
चिन्ह तोड़े जा रहे है
पश्चिमि जनाना खाने मे गुरु अब
घंटाल हो गये कांनवेटी दड़वे
मालामाल हो गये नारीयो के चीर
अब बिकने लगे है मेरी आजादी की आड़
मेँ लज्जा त्याग मर्यादा झोँक
दी आधुनिक भाड़ मे अपनी भाषा से मुँह
मेँ छाले हो गये माखन प्रसाद
दिनकरो के काव्य मे लाले हो गये
श्रंगार की दुकानो बूढी भी बालायेँ
हो गई आज बहुँ भी सास से
सयानी हो गई दहेज न लाई
जला दी गई जो पैदा होते कोख मे
मारी गई वो बेगानी हो गई
सन्नि लियोन टी आर
पी की कहानी हो गई शराब स्टेटस
सिँबल बन गई दूध देने वाली गाय
दुर्बल बन गई देश मे आंतकवाद
अलगावबाद और दंगे है क्योकी कुछ
वोट के भिखमंगे हमाम(संसद) मे नंगे है
वो कहते है मैँ झूठ लिखता हुँ
तो तुमहारा सच मुझसे मुंह
क्यो छापाता है