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रविवार, 13 नवंबर 2011

ये कैसी देशसेवा

आज का युवा अपने कैरियर और उच्च आंकाक्षा के मोह मे देशसेवा की परिभाषा को भूल चुका है और देशसेवा के मायने उसने बदल डाले है आज का युवा चहाता है किसी मल्टीनेशनल कंपनी मेँ उँची तनख्हा हो उँचा पद हो और समाज मे वो स्टैर्न्डड जीवन शैली जिये जो ऐसे विचारो से पोषित होगा उसके लिये देशसेवा एक चुनौति भरा कार्य होगा क्योकी देशसेवा के लिये आपको वातनुकुलित डिब्बेनुमा कमरे मे बैठ कर देशसेवा नही की जा सकती देशसेवा की भावना तब ही आती है जब आप मिट्टी मे सने हो और पसीने मे लथपथ मतलब कर्मशील हो कई युवा सरकारी सेवा मे है कहते है मैँ देशसेवा कर रहा हुँ ये उनकी कैसी देशसेवा है जिनकी जड़ो मे भ्रष्टाचार की खरपतवार फल फूल रही यह उसकी देशसेवा ना हो कर स्वमसेवा है देशसेवा तब होती जब वे अपना काम पूरी इमानदारी और नियमनुसार करते तो ये कैसे देशसेवक एक स्लोगन मैँ हमेशा थाने मे पढता रहता हुँ देशभक्ति जनसेवा लेकिन ये बात पुलिस पर झूठी बैठती है या यू कहे वे देशभक्ति नही स्वमशक्ति जानलेवा क्योकी पुलिस विभाग से अपराधी कम नागरिक ज्यादा डरते है थाने मे नोटो का बोलबाला है कितनी शर्म की बात है इनके लिये क्यो की नागरिक इन्हे कुत्ता ठुल्ला जैसी श्रेणीयो मे रखते है क्या ऐसा विभाग देशसेवा कर रहा है लेकिन लोकतंत्र चुप है वो इनसे उलझना नही चहाता अब आपको सरकारी अस्पताल लिये चलता हुँ जहाँ डाँक्टर तब तक नही आते जब तक भीड़ ना हो वार्ड वाय से लेकर स्वीपर तक अपने को यहा सर्वोसवा मानता है जीवनरक्षक उपकरणो पर धूल चढी है दवाओ का सुराग नही मिल रहा कुल मिलाकर अस्पताल खुद आपातकालीन स्थिती मे है और कलयुग का भगवान पूरा वेतन इमानदारी से ले कर देशसेवा कर रहे है ये मक्कार जब ऐसी देशसेवा करेगे तो देश गर्त मे ही जायेगा आप क्या कहते है ..जय अंखड भारत