शनिवार, 10 दिसंबर 2011
हिँदुतत्व और बाबागीरि का जलवा
इस लेख का उद्देशय आस्था को चोट पँहुचाना नही है और ना ही किसी व्यक्ती पर टिपप्णी फिर भी अगर आपको ठेस लगे तो क्षमा करे....... हिँदू धर्म कि नींव वेदो और ऋषि मुनियो के ज्ञान से उत्पन्न पुराणो और ग्रंथो पर टिकी है लेकिन ये आज के आधुनिक हिँदुतत्व धारी जो अपने को मानवतावादी और सेकुलर वादी कहलाने वाली जमात अंधी हो कर हिँदुतत्व को टटोलने के लिये यहाँ वहाँ प्रेतो की तरह भटकरही है आज खुद को टीका लगा कर हिँदू कहलाने वाले ज्ञान प्राप्ति के लिये बाबाओ की दुकान पर भीड़ लगाये रहते है ये हिँदुतत्व के लिये शर्मनाक बात है अभी कुछ सालो मे बाबाओ के प्रति जो लोगो कि आस्था उमड़ी है अगर रज भर भी पौराणिक और सनातन संस्कृति कि और विचार करते तो आज हिँदूतत्व यूँ अकेला ना पड़ता लेकिन आज तो हम लोगो को बाबागिरी से फुरसत नही है भले हमे गायत्री मंत्र अपने बच्चो को ना सिका पाये लेकिन फँला फँला बाबा के दरबार मे जरूर ले जाते है निर्मल बाबा आशाराम बापू पडोखर सरकार सत्य सांई जैसे क्षदमवेशी अपने को ईशवर कि भाँति प्रसारित कर रहे है इनका धर्म के प्रति कोई उदारता नही है लाखो रूपये का दान लेकर भी ये हिँदूतत्व का कुछ भला नही कर पाये केवल भ्रम ही फैला रहे है लेकिन कुछ बाबा और ट्रस्ट पूरी इमानदारी से हिँदुतत्व और मानवसेवा कर रहे है बाबा रामदेव जैसे योगि से कुछ सीख लेना चाहिये लेकिन ये बात हम अंधभक्तो को नही सुहाती क्योकी बाबा रामदेव धन वृद्धी उपाय या कोई चमत्कार नही दिखाते आज हिँदुत्तव को बाबा नही क्रांति संत चाहीये मेरा उन सभी बाबाओ से जो अपनी दुकान चला रहे है अनुरोध है कृपया आप वेद और सनातन संस्कृति का प्रचार करे तो हिँदुतत्व और समाज का कल्याण हो गा आईये अपनी आखे खोल कर आत्मा की आवाज सुने जो कह रही है तुम हिँदु हो कर्म प्रधान बनो क्यो की कर्म ही जीवन की दिशा और दशा तय करते है कोई बाबा आपका भविष्यतय नही करते.....जय अंखड भारत
सदस्यता लें
संदेश (Atom)