मंगलवार, 18 अक्टूबर 2011
लोकतंत्र का मत हथियार
भारत लोकतांत्रिक देश है जहा मत एक हथियार है जिसके सहारे हि राजनैतिक युद्ध मे विजय पाई जा सकती है और ये हथियार छुप कर ही आघात करता है कौन कटेगा ये मत का अधिकार वाला भी नही जानता बस चला भर देता है अब किसका ठिकरा फूटे ये किसे सत्ता सुंदरी का सुख उसके कर्मो और दंबगता तय करती है मत हथियार अचूक और पीड़ादाई है और अंधा भी जो रंक को भी राजा बना देता है लेकिन अब मत को आप हथियार नही कह सकते इसे मजबूरी कहे तो ठीक होगा क्योकी ये अब गांधी छाप नोटो की हवा से बहक जाता है सस्ती दारू मे घुलनशील है संसद के दलालो की कठपुतली बन जाता है लोकतंत्र का छिनालापन हर कोई देखता है ओर मुँह फेर कर सो जाता है मँहगाई के जमाने मे मत आम जरूरत की चीजो से सस्ता है हर गरीब के पास मिलता है फर्जी भी मिलता है सस्ता भी मिलता है बशर्ते लुभावने वादे होना चाहिये मत एक बार ही पड़ता है लेकिन दंश पाँच साल सहना पड़ता है पाँच साल मे कितने ही मतो की फसल तैयार हो जाती है अगर पुरानो ने मत नही दिया तो क्या नये लौँडे तो बहक ही जायेगे ओर फिर पाँच साल देश को खायेगे तुम जियो या मरो हम तो अपनी तोँद बढायेगे तुम्हारे बच्चे कुपोषण से मरे हमारे बच्चे तो पिज्जा ही खायेगे आप साल दर साल यूँ ही मत डालते जायेगे और हम भरोसा तोड़ते जायेगे- जय राष्ट्रवाद
हिँदू संगठनो का संकीर्ण दायरा
संकीर्ण दायरो मे हिँदू संगठन - भारत आदिकाल से सनातन संस्कृति और आर्यो की भूमि रही है आज जिन्हे हिँदू कहते है वे आर्य ही है जो वेद वाक्य और आस्था को सर्वोपरि मानते है लेकिन जब जब आर्यभूमी पर विदेशी हमलावर और उनकी संस्कृति ने धावा बोला तब तब सनातन धर्म खंडित हुआ और नये पंथ का विकास और हिँदू बंट गये चाण्क्य ने अंखड भारत का जो स्वपन देखा वो पूरा भी हुआ लेकिन फिर भी विदेशी संस्कृति के आक्रमण नही रूके उस समय के हिँदू और आज के हिँदू मे आज भी समानता है तब भी सोया था अब भी सोया है यूँ तो भारत मे कई हिँदु संगठन मौजूद है लेकिन कई हिँदुऔ की आंख कि किरकिरी बने है ऐसा क्यो इस पर कोई विचार नही करता इसका मुख्य कारण है हिँदू संगठनो का संकीर्ण होना हिँदू संगठन ज्यादातर राम जन्म भूमि अंखड भारत वेलेनटाईन डे का विरोध तक ही सीमित रह गया है संघ तो अपनी पूरी शक्ति के साथ सामाजिक कार्य एंव देश कार्य मे पूरी तरह इमानदार होने वावजूद आज भी हाई सोसाईटी के बुद्धी जीवी अपने बच्चो को संघ से दूर रखते है ओर ना कोई आज किसी को बंजरगी बनना है ना शिव सैनिक ये स्थति पैदा किसने की ये हमारे सामने प्रशन है और इसका उत्तर है चेतना अब हिँदू संगठनो को अपना कार्यक्षेत्र विस्तृत करना होगा और हिँदुतत्व की बुनियादी बाते हर हिँदू परिवार को समझानी होगी वेद एंव सनातन संस्कृति को समाज मे स्थापित करना होगा इसके लिये हर हिँदू संगठन हर साप्ताह सार्वजनिक रूप से हिँदू संस्कृति पर व्याखयान और संगठन का उद्देश और कार्य शैली सरलता से समझाये और युवाओ से जुड़ने को प्रोत्साहित करे और जो लोग हिँदू संगठनो मे राजनीति प्रयोग के लिये शामिल होते है उनको सदमार्ग पर लाये आज अगर हिँदू संगठन अपना जनाधार नही बढायेगे तो अंखड भारत का निमार्ण कैसे होगा आइये हम एक अंखड भारत के निमार्ण के लिये संकल्प बद्ध हो जर राष्ट्रवाद
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