मंगलवार, 13 सितंबर 2011
सिँतबर आ गया और शासकिय कार्यालय तैयार है हिँदी दिवस मनाने के लिये या आप ये भी कह सकते है ये श्रद्धाँजली दिवस हैँ क्योकी कांन्वेट दड़बो मे पढते गले मे टा ई लटकाये आज के अ सभ्य समाज हिँदी दिवस जानते ही नही उनके लिये तो अंलग सगी है और हिँदी एक विषय मात्र भर है आज हिँदी का स्तर अंग्रेजी के नीचे है और हम गर्व से कहते है यह हमारी राष्ट्रभाषा है क्या सिर्फ हिँदी पखवाड़ा मना कर या हिँदी दिवस को याद कर हिँदी को मुकाम दिलवा पायेगे हरगिज नही क्योकि हिँदी हमारी आत्मा मे नही बसी है बल्की वह हमारे चेहरे पर पाउडर जैसी पुति हुई है जो विदेशीयो के सामने आपको सम्मान दिलाती है आप भारत का प्रतिनिधित्तव करते है लेकिन अपनी हिँदी को भूल जाते है वैसे तो हम विकास रुपी ढोल खूब पीट रहे है लेकिन शर्म इस बात पर भी आना चाहिये की संयुक्त राष्ट्रसंघ मे हिँदी को सम्मान नही दिला सके आज वेलेनटाईन डे मदर डे और ना जाने कितने डे युवा मनाता है लेकिन हिँदी की गरिमा क्या है महिमा क्या है साहित्य क्या है ये कभी जानने कि चेष्टा करता क्योकी हिँदी आत्मा मे नही है हम आज अपनी जड़े खोदने पर तुले है क्यो कि हम शिक्षा के नाम पर अंग्रेजीयत अपनाते जा रहे है हर सरकारी काम हिँदी मे होना चाहिये लेकिन अफसर को हिँदी नही आती हद तो जब होती है कोई विदेश मँत्रि भारत आते है तो प्रेस वार्ता भी अंग्रेजी मे ही होती है अगर हिँदी का ये हाल रहा तो हिँदी का मरण हमलोगो के द्वारा हो जायेगा फिर अंग्रेजी हम पर हंसेगी और भारत माता कहेगी हिँदी मेरी बहना रुठ ग ई जो थी भारत क गहना जय हिँद
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