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सोमवार, 26 दिसंबर 2011

रे मानव रे

जग के झंझावात और समय लगाता घात मानव निष्ठुर बैठा देखे दिन और रात . वासना के ओढ लबादा लालच का कुंभ लिये अपने को दाबा खुद को मानव बतलाने वाला क्यो दिखता मुझको दानव . समय पर होकर सवार जो घोड़ा बिन लगाम का लगा है आज मानव साधने देखे क्या होता अंजाम . विद्यापति बन बैठा पर अज्ञानता का अंधेरा लादे रहा किस्मत तो वजीर निकली वो प्यादा बना रहा . जीवन को ठिठोली समझ जीता रहा बेकर्म . काल के द्वार पँहुचा निकले मन से मर्म .तर्क देना आदत थी क्योकी खुद को मानव समझता था ईश्वर की सत्ता को एक आपदा समझता था. मर कर मानव समझ पाया की ईश्वर होता है जीवन वर्यथ गया ये सोच कर हर मानव मानव के लिये रोता है .

हिँदुतत्व ही श्रेष्ठ है

सेकुलरवादी कायरो से क्या डरना जो खुद अपने को धर्मनिरपेक्ष कहते है और अपने ही धर्म की जय कहने से डरते है ये अपने को हिँदू कहलवाने मे संकोच करते है ऐसे हिँदुवादियो को क्या पता की हिँदुतत्व की व्याख्या क्या है ये तो गोल टोपी धार शून्य को मानने वाले लोगो को ही सच्चा धार्मिक और 1400 साल पुराने धर्म जिसकी नीँव का पता नही जात का पता नही उसे ही सच्चा धर्म मानते है हिँदू तो एक मारने काटने वाली कौम है और मुस्लिम भाईचारा फैलाते है और मुस्लिम तो यह मानते है गैर हिँदू या तो अल्लाह को माने नही तो उसे मिटा दो इसके उलट हिँदुतत्व कहता है वसुधैव कुंटुबकम इस्लाम कहता है जकात का हकदार सिर्फ गरिब मुस्लमान है और हिँदुतत्व कहता है अगर दांये हाथ से दान करो तो बाये को पता नही चलना चाहिये मतलब मानव सेवा सर्वोपरि है हिँदुतत्व कर्म प्रधान है बुरे कर्म की सजा अवशय मिलती है जबकी इस्लाम कहता है अल्लाह से तौबा कर लो सारे गुनाह माफ हिँदुतत्व के सिद्धानत प्राकृतिक और सरल है जबकी मुस्लिम एक दिमागी उपज और सार हीन सा लगता है जिसमे महिमा मंडन के अलावा कुछ भी नही हिँदुतत्व मे ऐकेशवर वाद है जिसे आस्था ने अपने अनुसार विभक्त किया है इस्लाम मे अल्लाह और पैँगबर को ही प्रचारित किया है हिँदुतत्व पशुबलि का समर्थन नही करता ना ही वेद इसकी आज्ञा देते है इस्लाम मेँ कुर्बानी का आदेश दिया गया है सबसे बड़ी बात इस्लाम मे अपने परिवार मे ही विवाह और संभोग करना पाप नही लेकिन हिँदुतत्व मे ये गौ हत्या से कम नही हिँदुततव के इन विशिष्ट गुणो के कारण ही श्रेष्ठ हैँ..