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शुक्रवार, 26 अगस्त 2011

दिँ 24 अगस्त को एक खबर छपी छतरपुर के एक गाँव मे एक गरिब किसान नरपत यादव का लकड़ीयो के अभाव मे दाह संस्कार टायर जला कर किया ये कैसी विँडबना है की संपन्न भारत मे इस तरह कि घटना कोई अच्छा संदेश नही देती इस घटना ने समाज और प्रशासन दोनो पर प्रशन चिह्न लगा दिया है और उन समाजसेवी संगठनो के प्रति हीनता प्रगट करता है जो चंदा तो बखूबी लेती है किँतु पूरी तरह जागरूकता के साथ काम नही करती ये प्रशासन इस लापरवाही पर आर्थिक सहायता की मिट्टी डाल कर अलग हट जाता है एसे क ई उदाहरण हमारे सामने आचुके है आज संवेदनाऐ एक औपचारिक बन कर रह ग ई है योजनाऐ बहुत है सरकार के पास और भलीभाँति पालन भी हो रहा है लेकिन फिर भी कभी ना कभी ऐसी दुखद घटनाऍ हो जाती है सरकार ना उसकि जबाबदारी लेती है और नाही दूर करने का प्रयास करती है किसानो की आत्म हत्या कुपोषण से मृत्यू प्रसव मृत्यु आदी घटनाऐ भी भारी तादाद मे होती है जब्की महिला एंव बाल विकास को इसके लिये जिम्मेदार बनाया है इन घटनाऔ के पीछे हमारा नौकरशाह तंत्र भी उतना ही दोषी है जितनी सरकार और समाज नौकरशाही के चलते क ई योजनाऐ लोगो तक नही पहुच पाती और नौकरशाह पैसा तक डकार जाती है अब तो लगता है सबकी संवेदनाऐ मर चुकि है केवल एक दिन अंधेरे गर्त मे गिरना बाकी है
पहले मै भारत की उस वीरप्रसुता नारी को प्रणाम करता हूँ जिसने लज्जा और मर्यादा को अपने साथ आँगिकार कर देश को महासपूत दिये अब मै उस आधुनिक नारी को तिँलाजली देता हु जो नारी समाज को पश्चिमी संस्कृति मे धकेलने मे प्रयास रत है आज वो इतनि मार्डन हो ग ई है कि वो सुँदरी कम काम सुंदरी ज्यादा हो ग ई है और भारतिय संस्कृति का बदन उघाड़ने के लिये आतुर है और हमारा महिला आयोग उनका सर्मथन करता है आज कल एक मोर्चे की बड़ी चर्चा है बेशर्मी मोर्चा जो कनाडा के टोँरटो से निकल कर हमारे भारत मे कब आ गया ये पता ही नही चला ओर नारी जगत ने अनुसरण मी कर लिया और भारतिय समाज मे अपने अधिकर का ढिँढोरा पीटते हुये एक न ई विचार धार को जन्म दिया जो नारी को और अधिक उन्मुक्त और बे शर्म बना रहा है ये आधुनिक कामकन्याये नारी को कौन सी दिशा दे रही है आज नारी को किसी बेशर्मी मोर्चे की नही बल्कि उस मोर्चे कि अवश्तकता है जो उन्है भारतीय पंरपरा के साथ अपने मूलभूत अधिकार और स्थिती को सुधारने की अवशयकता है आज भी मध्यम और निम्न वर्गीय महिलाऐ शोषण ओर अधिकारो से वँचित है और दहेज हत्या जैसे वीभत्स पीड़ा झेल रही है इसके विपरित आधुनिक कन्याओ का बेशर्मी मोर्चा क्या सँकेत देता है और क ई NGO बेशर्मी मोर्चे को नारी कि जागरूकता बता रहै है आज भारत कि नारी को संविधान ने जो बराबर का हक दिया है उसका उपयोग कम दुरपयोग ज्यादा हो रहा आज भारत कि नारी को सम्मान तभी मिलेगा जब वह आधुनिकता के साथ साथ भारतीय परँपरा के साथ चलेगी जय हिँद