दिल्ली मेँ चलती बस मे गैँगरेप और यातना की जितनी निँदा की जाये कम है जिनहोने ये कृत्य किया है वे मानवता के चोले का त्याग कर चुके है आत्मा पिशाच बन चुकी है उन छ लोगो की चरित्र की इस गिरावट पर चिँता होनी चाहिये हमारे समाज को जो खुद को पुरुष प्रधान कह कर पीठ ठोँकता है