आजादी की भीख मांगते गांधी के पीछे चलने वाले आखिर आजाद हो गये लेकिन अंग्रेजि मानसिकता की बेड़ियो मे जकड़ा भारत आज भी अपने को आजाद करना चहाता है लेकिन पश्चिम की र्दुगंध मे जीता युवा केवल भेड़चाल और मीडिया की सुर्खि ता अंग्रेजी कंपनी के जूते साफ कर ते हुये ही अपना जीवन का लक्ष्य समझता है आज मुठ्ठी भर युवा ही होँगे जो अंखड भारत हिँदू राष्ट्रका सपना देखते है बाकी सेकुलर की मदिरा पीकर अधर्म के गंदे नाले मे पड़े है आज अपने को आजाद कहने वाले दीमागी तौर पर गुलाम हो कर जैसा पश्चिम कहता है वैसा कर रहे है पथभ्रष्ट होकर अपनी संस्कृति को नष्ट करने और पश्चिमि संस्कृति से सहवास कर रहा है