शनिवार, 5 नवंबर 2011
सेकुलरवादियो का नया दाँव - हिँदू आंतकवाद
मुझे भारत पर गर्व है और हर भारतीय पर भी लेकिन उतनी ही नफरत करता हूँ जो नक्सलवाद बोडो उल्फा और उन लोगो से जो हिँदुतत्व को भी इन घिनौने कीचड़ मे घसीटने का प्रयास कर रहे है जिन्हे हिँदू और हिँदुतत्व की परिभाषा ही नही मालूम जो सेकुलर का दिया लेकर हिँदूतत्तव का प्रकाश दबाने की चेष्ठा कर रहे है मालेगाँव और अजमेर विस्फोट मे साध्वी प्रज्ञा एंव अन्य जिन पर आरोप मढा गया उसका तथ्य शून्य है सीबीआई अंधेरे मे तीर चला रही है ना तो सीबीआई के पास कोई ठोस गवाह है और ना कोई एसा साक्ष्य जो प्रज्ञा पर आरोप सिद्ध कर सके और ना ही सीबीआई ने प्रेसवार्त कर कभी इस केस पर प्रकाश डाला मीडिया ने भी अपना चापलूस धर्म निभाते हुये वही तथ्य जनमानस के सामने रखे जैसा सरकार ने चाहा अगर प्रज्ञा के खिलाफ ठोस सबूत है तो सजा मिलनी चाहिये किँतू प्रज्ञा एंव अन्य आरोपियो पर सौतेला व्यवहार ये सिद्ध करता है आँतकवाद को आप ही विस्तार कर रहे है जिस तरह कसाब अफजल जैसे राक्षसो को सुविधाये ओर रक्षा उपलब्ध करवा रही है जबकि कसाब और अफजल के विरूद्ध सबूतो का पूरा पुलिदां है फिर भी अभी तक चैन से जेल मे रोटियाँ तोड़ रहा है प्रज्ञा और अन्य जेलो मे बंद नरकीय जीवन जी रहे है लेकिन समाज चुप बैठा है मीडिया चुप बैठा है लोकतंत्र का गुणगान करने वाला चुप बैठा है ऐ कैसा लोकतंत्र है जो आंतकवाद का जिवित रखता है ये कैसा नंपुसक मीडिया है जो भेदभाव करता है अगर हिँदुतत्व आंतकवादी होता तो कब का भारत अंखड हिँदू राष्ट्र 1947 मे ही बन गया होता हिँदूत्तव आंतकवाद के साथ जोड़ कर सेकुलरवादी हिँदुओ मे फूट डालने का काम कर रहै ताकी फिर से बाबर या तैमूर जैसा भारत को लूट सके सार ये हे सेकुलरवादियो के इस दांव को हमको समझना चाहिये और हिँदू एकता शक्ति को सशक्त बनाना चाहिये.....जय अंखड भारत
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