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बुधवार, 17 अगस्त 2011

ये कैसा लोकतत्र

bkआज लोकतंत्र की आरति उतारो लोकतंत्र का तिलक करो प्रशन मत करो केवल उसकी सुनो जो कहता है अब रूक ना सकेगा यह स्थिती आज पूरे देश मे बन ग ई है सरकार क्या करे क्या ना करे अन्ना आर पार करने उतरे है लेकिन सरकार भी फूँक फूँक कर कदम रख रही है रामलीला मैदान काँड को वह भूल चुकि है लेकिन एक प्रशन बाबा रामदेव का भी हम देखे काला धन वयवस्था परिवर्तन को लेकर उनका असफल और बेईज्जत भरा आदोलन को हम स्वीकार ना सके और बाबा को मैदान छोड़ना पढा जबकि इसके विपरित हम अन्ना के पीछे हो कर भूख प्यास त्याग दी ओर बुद्धिजीवी लोकतंत्र की आवाज बुँलद मान रहै अन्ना अनुभवी खिलाड़ी की भाँती सरकार से भिड़ने आये है उनकी फौज मै हर वो सैनिक है जो प्रशासन के रवैये को जानता है लेकिन इसके विपरित बाबा रामदेव का काला धन ओर अन्य मुद्दे लोकतँत्र के कमजोर रवैये की भेट चढ गये ओर बाबा खुद जाँच ऐँजेसी के शिँकजे मे फँस गये और हम चुप बैठ गये हमारा लोकतँत्र मीडियावादी बन कर रह गया है ह र वयक्ति अपने को मीडिया की सुर्खी बनाना चाहात है अगर अन्ना सचमुच मे भ्रष्टाचार के प्रति स्वेदनशील होते तो रामदेव और अन्ना एक मंच पर होते तो रामलीला मैदान का आँदोलन सफल होता ओर आज अन्ना को दोबारा अनशन ना करना पडता ये हमारा कैसा लोकतत्र है