सोमवार, 8 अगस्त 2011
मरता लोकतंत्र
bkआज देश के हालात देख कर लगता है हमे लोकतंत्र का गला घोँट देना चाहीये आखिर हमने लोकतंत्र को शून्य चेतन क्यो कर दिया उसे मर जाना चाहिये ताकी भ्रष्ट कांग्रेस के हाथो दोबारा ना लगे देश मे भ्रष्टाचार की सुनामी आ ग ई ओर सरकार नीँद मे बड़बड़ा रही है कोई इस अंधेर राज का विरोध करता नजर आता है तो उसे चोर बना दिया जाता है आज दिग्गज मंत्री तिहाड़ मे ऐश कर रहे है और सरकार इन्हे बचाने की जुगत मे लगी है अगर हम 60 वर्षो का काग्रेसी राज का इतिहास देखे तो निष्कर्ष निकलता है शास्त्री जी के अलावा कोई भी एसा नही जिस पर दाग ना लगा हो और शायद कीसी और दल ने इतना भ्रष्टाचार किया हो भा ज पा तो भ्रष्टाचार की अभी परिभाषा भी नही जानती हमारा अन्धा लोकतंत्र केवल सुनता है और देश को पहले गर्त मे ढकेलता है फिर आंदोलन रूपी डंडा पकड़ कर निकल पड़ता है क्या हम ऐसे लोकतंत्र पर विश्वास कर लेते हैअगर हमने 10 वर्ष भी (NDA और अन्य मिली जुली सरकारो को छोड़ कर) गैर काग्रेसी दल को दिये होते तो देश के हालात कुछ ओर होते आज हर एक के मन मे प्रशन है आज मंहगाइ आँतकवाद नक्सलवाद भ्रष्टाचार काला धन और ना जाने कितनी सम्सयाओ से हम जूझ रहे है 60 कुर्सी वापरने के बाद भी ये समस्या जस की तस है ये हमारे लोकतंत्र का मजाक है जो हम देश को एक अच्छी सरकार भी नही दे सकता ऐसे लोकतंत्र को दफना दिया जाय और न ई क्राँति का बिगुल फुँका जाये जय हिंद
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