रविवार, 1 जनवरी 2012
हिँदुतत्व पर आघात करता सेकुलर वाद
जब कोई भाई हिँदुतत्व की बात करता है सनातन संस्कृति की बात करता है तो सेकुलरवादी उसे मानव धर्म की परिभाषा समझाने लगते है जबकी सच ये है त्याग करूणा प्रेम आदर ये हिँदुतत्व के वे अनमोल फल है जो वैदिक संस्कृति की शाखाओ पर ही शोभायमान है लेकिन सेकुलर वादियो को हिँदुतत्व का कल्प वृक्ष नागफनी सा दिखता है इसलिये दूर रहते है और ये सेकुलर धर्म के वो लोग है जो आधुनिकरण और पश्चिम का समर्थन करते है वे विकास भी अंग्रेजी दवाईयो की तरह चहाते है जो तुंरत असर करे भले परिणाम अनुकूल ना हो सेकुलरवादीयो की सोच धर्म रहित होती है सिर्फ वे मानवता को ही धर्म मानते है लेकिन खुद कितने मानवता वादी है ये मनन का विषय है क्योकी अंधिकाश सेकुलरवादी धार्मिक भेदभाव करते है ये बात सत्य है और भारत मे बहुसंख्यक ही सेकुलरवाद की तुरीह बजाते मिलेगे मुस्लिम और ईसाई पूर्ण धार्मिक है उन्हे सेकुलर से कोई वास्ता नही और सेकुलरवादी इनको निरिह बकरी मानते है और इनके प्रति सहानभूति रखते है लेकिन सत्य ये है मिशनरी ओर मुस्लिम दोनो ही अपने धर्म को बल प्रदान कर रहे है और सेकुलर वादी हिँदुतत्व को आँतकवाद की परिभाषा दे रहे है इनका ये दोहरा चरित्र एक दिन भारत को एक और पाकिस्ताना बना देगा या फिर वही अंग्रेजी राज ले आयेगा इसलिये आज एक क्राँति की आवाज चाहिये देश को हिँदुतत्व चाहिये .....जय राष्ट्रवाद
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