सोमवार, 25 जुलाई 2011
दूरदर्शन के वो काले सफेद दिन
अब बात करता हुँ उस जमाने कि जब हम छोटे थे उन दिनो की याद अब भी यू सँजो रखी है जैसे कोई अपना आतीत याद रखता है वो दिन याद है जब दूरदर्शन था था इसलिये कह रहा क्योकी आज केबल युग मेँ उसे पूछने वाला कौन है युवाओ ने तो उसे श्रद्धाजंली दे दी है उन्हे तो याद ही नही वे तो बिँदास टीवी एम टीवी के दिवाने है जिनके कार्यक्रमो मे एक बीप होती है जिसमे गाली छुपाई जाती है बेचारा दूरदर्शन इन धूर्तो के हथंकडे नही अपना सका तो मनोरंजन प्रेमीयो ने दुतकार दिया मुझे केबल पर गर्व है जिसने हमारे समाज और खबर जगत एंव जन जीवन मे एसा क्रूर बदलाव किया की हमलोग एक अकेले जीवन जीने वाले हो गये अब जीवन का रस उल्टा पुल्टा हो गया सास बहु सर्कस का खेल दिखाने लगी और घर की बुनियाद एसी कमजोर हुई की अब हम नुक्कङ पर आ गये अब हर परिवार मे महाभारत होती है अब हमे फुरसत नही की कुछ देर की अपने बाप के पैर छुये क्योकी ना हमने रामायण का वो युग नही देखा जिसमे जीवन थामने वाला घंटे भर का संन्नाटा था लेकिन फिर भी जीवन कितना रंगोली सा सुंन्दर था हमारी सास बहु बेटा बेटी एक साथ चित्रहार देखते जीवन मे रंग भर रहे थे उफ रोना आ गया उसे याद करते हुँये मै उस दूरदर्शन को तलाश रहा हुँ जिसे हमने बिग बोस और संयमवर जैसे अशलील अंधेरो मे खो दिया ओर सास बहु की सीरियलो कुटिल चाल मे आकर अपना पर परिवार को एकल कर लिया अब भी ये उम्मीद लगाये बैठा हु भले हम दूरदर्शन को भूल जाय पंरतु उसने जो हमे दिखाया उसे हम अपने जीवन मेँ ले आये धन्यवाद अगर ये लेख पंसद आये तो टिप्पणि अवश्य करे .
अथ श्री बालकृष्ण कथा
बाबा के सखा परम पूज्य ( अब धोखेबाज ऐसा सी बी आई और कांग्रेस मानती है) बालकृष्ण पूरी तरह राजनितीक भँवर मेँ फँस चुके है अब ये देखना है बालकृष्ण कौन सा पत्ता खोलते है इस प्रकरण से साफ दिखता है कि सी बी आई एक कठपुतली जाँच ऐंजेसी है क्यो की अगर स्वतनत्र होती तो कब की बाबा और बालकृष्ण को ये मुसीबत मोल ना मिलती ओर अगर बालकृष्ण दोषी है तो उनकी सजा निशचित है लेकिन यह प्रकरण हमारी बेतरबी प्रशासन पर उंगली उठाने को विवश करता है कैसे बालकष्ण को शस्र लाँयसेस ओर पासपोर्ट जारी हुऐ ओर अब तक जो भी आंतकी घटना ओर भ्रस्टाचार हुआ उसमे सरकारी मशीनरी भी सन्लिप्त है लेकिन हम बालकृष्ण को तूल दे रहे है उन अफसरो को ढृँडने की सीबीआई को फुरसत नही बाबा कि नागरिकता को लेकर जो भ्राँति क्रूर दिगविजय ने फैलाई वो बालकृष्ण के माता पिता ने दूर कर दी तो सीबीआई ने उनकी शिक्षा को लेकर भ्रमित कर रही है अभी तक सीबीआई हर जाँच मेँ 100 % खरी नही उतरी है सीबीआई एक राजनीति तेल से चलने वाली खटारा एबेसेडर है जिसका कोई भी उपयोग कर सकता है आरुषी केस तेलगी हवाला बोर्फस टेलीकाम आदी केस जो शायद आप भूल चुके है उन प्रकरणो मेँ की गई जाँच एक छलावा लगती है अब सीबीअइ एक राजनीती कुतिया की तरह सरकार के दरवाजे पर बैठी सिर्फ गुर्रा ती है
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