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बुधवार, 24 अगस्त 2011


ये लेख किसी धर्म भावना को ठेस पहुचाना नही है ये लेख उस दिशा की और अवगत कराना है जो राष्ट्र भक्ति कि बात करते है लेकिन राष्ट्र निमार्ण मे कोई भूमिका नही निभा रहे है कहने को देवबंद इस्लामी शिक्षा का केँद्र है और विश्व मे उसका अपना नाम है लेकिन उसका नकारात्मक पहलू है वेबजह फतवे जारी करना जो की मुस्लिमो कि राष्ट्र भावना मे शंका पैदा करते है उसका ये कहना कि हम मुस्लिमो को वंदेमातर नही गाना चाहिये औरना ही भारत माता कि जय जब्कि मुस्लिम पँडित जाकिर नाइक ने कभी मुस्लिम को ये नही कहा है लेकिन देवबंद को एक सच्चे भारतीय मुस्लमान को वंदेमातरम कहने मे क्या आपत्ती है अब दूसरा पहलू है राम मंदिर के विषय को लेकर जब हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया जो की न्यायसंगत था और जजो के पैनल मे भी एक मुस्लिम जज थे उनके दिये गये फैसले पर उन्होने कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नही दी और ना ही फैसले को उचित बताया जब्कि देवबंद का ये फर्ज था कि वो सारे मुस्लिम समाज को समझाति कि फैसला सही है जिसका परिणाम ये है मामला सुप्रिम कोर्ट मेँ पहुँच गया अगर देवबंद मुस्लिम हितैषी होती तो बाबरि मस्जिद कमेटी को समझाती लेकिन उसने ऐसा ना कर के अपने को राजनीति से परे बता दिया तीसरा पहलू देवबंद राष्ट्रवादी मुस्लिमो मे भेद भाव रखता है और क ई विद्वानो को अपने पद से बे वजह हटा देता है देबबंद को अपना इतिहास नही भूलना चहिये देबबंद की भी आजादी कि लड़ाई मे योगदान था इसलिये देवबंद से आग्रहै भारत के मुसलमान को कट्टरता का नही देश भक्ति का पाठ पढाये जय हिँद

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