बुधवार, 24 अगस्त 2011
भगवा पर आँतकी रंग एक साजिश
हमारे तिँरगे मे तीन रंग है तीनो की अलग अलग महिमा गढी है संविधान ने केसरिया ( भगवा ) को त्याग और वीरता का प्रतीक बताया लेकिन भगवा हिन्दू कि आत्मा भी है ये कुछ सेकुलरवादी कीड़े भगवा पर आंतकवादी लेबल लगाने का प्रयास कर रहो जिसका सीधा अर्थ हिन्दू संस्कृति पर कालिख पोतना है जब्कि सफेद और हरे रंग को लेकर कभी अपना मुह नही खोला जो कि सबसे घृणित धर्मान्तरण और आँतकवाद फैलाने कार्यो मैँ लिप्त है लेकिन मुस्लिम समाज ने इस पर कभी प्रतिक्रिया नही दी इसका क्या ये अर्थ निकाले कि वो काफिर हि मानते है और भारत को अपनी मातृभूमि नही मानते है लेकिन ये सच नही है मस्लिम भाई अपने धर्म के प्रति कट्टर जरूर है किँतु देश भक्ति कि भावना उतनि प्रबल नही है जितनी अशफाक जी इंकबाल और बहादूरशाह जफर मे थी लेकिन मुस्लिम भाई इन्हे अपना आदर्श नही मानते इसका कारण हमारे हि वो लोग है जो हिँदू का तमगा लगा कर हिन्दू समाज को ओछा और साँप्रदायिक चेहरा पेश कर सिर्फ सत्ता पाने कि जुगत मै है और भगवा को आंतकि रंग देकर उसे भी उस श्रेणी मे खड़ा करने का प्रयास कर रहे है जहाँ आज पाक्सितान है इन कुटिल राजनेता ओ को देशभक्त कहलाने का कोई अधिकार नही है आज हर वर्ग को उठ कर आगे आकर एक सर्व गुण संपन्न राष्ट कि नीँव रखनी होगी और भारत को एक सनातन पंरपरा से युक्त हिँदु राष्ट्र निमार्ण कि भावना जागृत करनी होगी जर हिँद
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बिल्कुल सही लिखा है आप ने , मुस्लिम अभी भी यही मानते हैं की उनको यहाँ पर शासक होना चाहिए और हिन्दुओं को शासित
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