सोमवार, 29 अगस्त 2011
जागो मेरे हिँदू
हमारे देश की आबादी मेँ 80% लोग अपने को हिँदू कहते है और कुछ हिँदू विरोधी या यू कहे सेकुलरी लेबल माथे पे लगाये हिदूत्तव की बाते करते है लेकिन अगर मूंल्याकन करे तो हम हिँदुत्तव पर खरे नही उतरेगे क्या तिलग लगाने मात्र से अपने को हिँदू मान ले या फिर मंदिर मे जा कर दान देकर या अपना रौब दिखा कर अपने को हिँदू कहे जय श्री राम के ओजपूर्ण नारे लगा कर हुड़दंग करना हि हिँदुत्तव है आज अगर हम अपने को हिँदु कह रहे है वह झूठ है क्यो की हिँदू की परिभाष संस्कार हम तो भूल ही चुके है साथ ही हमारी आने वाली पीढी अपने को हिँदू कहलाने मे शर्म महसूस करे तो आप किसे दोषी मानेगे ये एक गंभीर समस्या है इसलिये एक अंखड हिँदु राष्ट्र की आवशकता है लेकिन कुछ सत्ता लोलुपता के चलते इस मुद्दे पर जबान नही खोलते और ना हि कोई सामाजिक संघठन कोई ठोस कदम उठा रहा है मुझे दुख इस बात का है हम ना वो संस्कार अपने युवाओ को दे नही पा रहै जो हमे वेदो से मिले है हमने वेदो को एक किताब भर मान लिया है क्या हम एसा कर के हिदुत्तव को गर्त की और ले जा रहे है आंडबरो से घिरा हिँदू सिर्फ अपना हि हित साधने मे लगा है जातिवाद और रूड़ीवादी परपरांओ मे उलझ कर हिँदु एकता को कमजोर कर रहा है आज आधुनिकता की आड़ मे अपने विचार से विमुख हम केवल अपनी संस्कृति का मजाक उड़ाने मे मस्त है मै उन सेकुलरो को आह्वान करता हू जाग जाओ और नहि तो हमे फिर को ई गजनी या अंग्रेज गुलाम बना कर भारत की पावन भूमि को इंगलिस्तान या को ई पाक्सितान बना डालेगे अगर सम्मान से जीना है तो वेदो और भारतिय सनातन धव्जा थाम कर आगे आओ भारत माता बुला रही है जय भारत
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