शुक्रवार, 5 अगस्त 2011
लोकपाल यानी सरकारी पिँजरा
bkलोकपाल बिल पेश हो चुका है सरकार की मोहर लगना शेष रह गया है अगर लोकपाल का प्रारुप जो सरकार के बुद्धिजिवीयो ने बनाया है वो एक सरकार मुक्त ना होकर सीबीआइ जैसा सरकारी पिँजरा बन कर रह जायेगा लोकपाल का उद्देशय भ्रष्टाचार पर नकेल कसना है लेकिन इसका प्रारूप ऐसा बनाया गया है जैसे सरकारी पिँजरा आज भ्रष्टाचार की जड़े हर विभाग मे मौजूद है और नौकर शाह और अफसरी जमात उसे भरपूर पानी दे रही है अगर लोकपाल का स्वरुप ना बदला गया तो देश मे भ्रष्टाचार एक जन्मसिद्ध अधिकार हो जायेगा भारत मे अगर सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार ओर कुवयव्सथा हमार पुलिस विभाग और राज्सव विभाग जिसमे अगर राजा हरिशचंद्र भी घुस जाये तो बिना घूस दिये काम करा ही नही सकता चपरासी से लेकर अफसर सभी घूसखोरी कालिख मे पुते है तो क्या ऐसा लोकपाल सक्षम है भ्रष्टाचार रोकने को जो खुद भ्रष्टाचारी सरकार की बैसाखी पर चलता हो क्या हमारी संसद मे बैठे लोग ये नही जानते या जो इस सरकारी लोकपाल का समर्थन करते हुये इतरा रहे है वे खुद भ्रष्ट है बड़ी दुखद बात है हम लोकतँत्र की बड़ी बड़ी बाते करते है और जूठा आँदोलन करते है अगर हम सचमुच गंभीर होते तो क्या हम एक अरब लोगो मे इतनी क्षमता नही की लोकपाल जैसी वयवस्था को अपने अनूरूप बना सके आज हम0एक अन्नाजी जैसे देश भक्तो की जरूरत के अलावा और ऐसे कई अन्ना केजरीवाल जैसे आंदोलन कारी चाहिये अगर हमारी आत्मा मे देश प्रेम की भावना जागृत है तो मेरे इस लेख पर अपनी राय दे जय भारत