शुक्रवार, 9 दिसंबर 2011
आरक्षण की खीर मत बाँटो
संविधान रचेयता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर द्वारा संविधान मे वर्णित आरक्षण नीती का उद्देश उन दबे कुचले दलित समाज के उत्थान के लिये था ना कि आरक्षण को खीर बाँटना लेकिन राजनेताओ न आरक्षण को वोट तक पहुँचने की सीढी मान लिया ये भारत के लिये शर्मसार करने वाली बात है क्योकी आरक्षण का लाभ अब भी दलितो की झोली मे नही है अभी भी दलित नरकीय और अशिक्षा के अंधेरो मे भटक रहे है आज भी दलितो के बच्चे न शिक्षा पा रहे है और ना रोजगार न बीपीएल कार्ड है और न जाति का प्रमाण ऐसे मे इनके लिये आरक्षण ढोपर शंख है लेकिन सरकार अंधी हो गई है अभी यूपी मे मायावती ने मुस्लिमो को आरक्षण की बात कही और केन्द्रिय मंत्रि सलमान खुर्शीद भी मुस्लिम के आरक्षण के पक्ष मे बयान दे रहे है एक वर्ग के प्रति आस्था दिखाने का मतलब साफ है पिछड़ी दलित अदिवासी या फिर कोई गैर हिँदू गरीब से उँचा मुस्लिम समाज है और कोई नही ये मुस्लिम तुष्टिकरण का संकेत है जो कांग्रेस राजनीति युद्ध मे ब्रह्मास्त्र की तरह इस्तेमाल करती है और हिँदूतत्व की भावनाऐ आहत करती है और जब गुर्जर आंदोलन की बात आती है तो उसे दबा दिया जाता है यहाँ तक की बरसो से 33 प्रतिशत महिला आरक्षण बिल संसद मे लंबित है ये बाते उठाना शायद मूर्खता पूर्ण लगती है कांग्रेस राज मे आज भारत मे आरक्षण उस खीर की तरह हो गई है बाँट दो भले ही फीकि क्यो ना हो भारत मे अब आरक्षण नीति मे भारी फेरबदल की अवशयकता है जाति गत और धार्मिक आरक्षण देश की अंखडता को चकनाचूर कर सकती है अगर आरक्षण देना ही है तो उसे मिलना चाहिये जिसे आवशयक हो चाहे दलित हो या ब्रहामण क्योकी देश को आरक्षण मे रंगे धूर्त सियार नही बल्कि सफेद हंस चाहिये जो भारत को विश्व मे पहचान दे सके...जय भारत जय राष्ट्रवाद
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