शुक्रवार, 13 जनवरी 2012
सोशल वर्क नही समाज सेवा किजिये
भारत मे सेवा को एक तरह पूजा माना गया है और दरिद्र नारायण कि सेवा की जाय तो नारायण तक पहुचना सरल हो जाता है लेकिन आज के समय मे समाज सेवा फोकटियो का काम है आधुनिक विचारधारी टाई पतलून मे अपने को छुपाये सोशल वर्क करना पंसद करते है और मैग्सेस कि याचना मे लगे रहते है और अपनी गोरी मेमो के साथ संगष्ठियो मे वाह वाह तालियाँ बटोरते है सोशल वर्क और समाज सेवा मे फर्क ये है कि सोशल के साथ वर्क है और काम करने का मूल्य निर्धारित होता है और समाज के साथ सेवा जुड़ा है जिसे ये बेगारी समझते है बाबा आमटे जैसे लोग ही समाज सेवा करते है ओर ऐसा ज्जबा स्टेटस सिँबल के परदे मे रहने वाले नही रख सकते कुष्ठ पिड़ित दीनहीन कुपोषण से पीड़ित या सिलोचन सूंघते बच्चे पन्नी कचरा बीनते बच्चे भीख मागते बच्चे इनमे छुपा भगवान मार दिया गया है उनके द्धारा जो अपने को हाई क्लास बताते है जो एन जी ओ तो बनाते है केवल प्रसिद्धि के लिये और उनकी गोरी मेमे किटी पार्टी मे ठिठोली करती है और ये समाज सेवा नही सोशल वर्क करती है और सोशल वर्क और समाज सेवा मे वैसा ही फर्क होता है जैसा की नीले और पीले परमिट मे आज सोशल वर्क कि नही समाज सेवा कि जरूरत है आज भी कंधे पर बीमार बच्चा लटकाये भीख माँगते दरिद्रो के उत्थान कि जरूरत है पाने पेचकस के बीच बचपन अपने सपनो को बुनते को सपना दिखाने कि जरूरत है ऐसा तब होगा जब समाज सेवा जीवित होगी सोशल वर्क के पेज थ्री से निकल कर ही संभव है.....जय राष्ट्रवाद
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