Zee News Hindi: Latest News

मंगलवार, 31 जनवरी 2012

आजादी की भीख मांगते गांधी के पीछे चलने वाले आखिर आजाद हो गये लेकिन अंग्रेजि मानसिकता की बेड़ियो मे जकड़ा भारत आज भी अपने को आजाद करना चहाता है लेकिन पश्चिम की र्दुगंध मे जीता युवा केवल भेड़चाल और मीडिया की सुर्खि ता अंग्रेजी कंपनी के जूते साफ कर ते हुये ही अपना जीवन का लक्ष्य समझता है आज मुठ्ठी भर युवा ही होँगे जो अंखड भारत हिँदू राष्ट्रका सपना देखते है बाकी सेकुलर की मदिरा पीकर अधर्म के गंदे नाले मे पड़े है आज अपने को आजाद कहने वाले दीमागी तौर पर गुलाम हो कर जैसा पश्चिम कहता है वैसा कर रहे है पथभ्रष्ट होकर अपनी संस्कृति को नष्ट करने और पश्चिमि संस्कृति से सहवास कर रहा है

गुरुवार, 19 जनवरी 2012

विश्वगुरु हमारा भारत

आज के आधुनिक युग के उदय के प्रकाश कि तीखी किरणो से अपने को जलाते हम उस परिष्कृत ज्ञान के पीछे भाग रहे है जो हमे पश्चिमी देशो से मिल रहा है आखिर भारतीय निर्लजता का पीछा कब छोड़ेगे और कब तक अपने वैदिक ज्ञान और सनातन संस्कृति पर कुठाराघात करते हुये आक्सफोर्ड कि ये अन्य विदेशी शिक्षा की वैभवता भर अट्टलिकाओ कि सीढियाँ चढते रहेगे आखिर उन्हे कौन याद दिलायेगा कि भारत विश्वगुरु है जहाँ से हर कला का उद्भव और विकास हुआ है शून्य से लेकर कामसूत्र तक हमारे पूर्वजो कि देन है शल्यक्रिया और चिकित्सा और गणित की उलझने भी हमने ही सुलझाई है दुनिया को ही हमने तक्षशिला और नालंदा दिये और आर्यभट्ट वराहमिहिर चाणक्य जैसे शिक्षाविद तब सारी दुनिया के लिये कौतुहुल बन गये थे हम फहायान और कई विदेशी विद्वान नांलदा और तक्षशिला कि सीढियो पर नाक रगड़ते थे और अपने देश जाकर भारत की महिमा का गुणगान करते नही थकते थे अंजता ऐलोरा कोणार्क कि वैभवता और कला के मुरीद हो कर मन ही मन ईष्या करते होँगे पश्चिम भले क ई अविष्कार कर ले कितना हि चिकित्सा कि गहराई मे उतरजाये लेकिन चरक और सुश्रत पैदा नही कर सकते चाहे कठिन से कठिन शल्य कर पर उसका आधार नही बन सकते ये कला पूर्णत भारत कि है लेकिन ये धीरे धीरे लूट रहे है या यू कहे वे भारत का आर्थिक राजनैतिक शोषण छोड़ कर कलात्मक शोषण कर रहे है और नये रूप मे वापस हमे बेच रहे है और हम मूर्खता कि सारी हदे पार कर अपने ही ज्ञान और कला कि उपेक्षा कर इगलिस्तान के जूते चमकाने मे लगे है ताकी अपना भविष्य बना सके छी छी ऐसे भारतीयो पर लानत है जो अपने ही ज्ञान और संस्कृति को रौँद कर विकास पथ पर बढना चहाते है ये विश्रवगुरू भारत को विश्रव का मोहताज बनाने पर तुले है आज फिर एक क्राँति कि आवशयकता है आज फिर सनातन संस्कृति कि आवषकता है आज फिर चाणक्य कि अवशयकता है आज फिर अंखड भारत कि अवशकता है युवाओ जागो जागो भारत विश्वगुरू है बस तुम एक बार संस्कृति और वेदो कि और लौट आओ ..जय राष्ट्रवाद

शुक्रवार, 13 जनवरी 2012

सोशल वर्क नही समाज सेवा किजिये

भारत मे सेवा को एक तरह पूजा माना गया है और दरिद्र नारायण कि सेवा की जाय तो नारायण तक पहुचना सरल हो जाता है लेकिन आज के समय मे समाज सेवा फोकटियो का काम है आधुनिक विचारधारी टाई पतलून मे अपने को छुपाये सोशल वर्क करना पंसद करते है और मैग्सेस कि याचना मे लगे रहते है और अपनी गोरी मेमो के साथ संगष्ठियो मे वाह वाह तालियाँ बटोरते है सोशल वर्क और समाज सेवा मे फर्क ये है कि सोशल के साथ वर्क है और काम करने का मूल्य निर्धारित होता है और समाज के साथ सेवा जुड़ा है जिसे ये बेगारी समझते है बाबा आमटे जैसे लोग ही समाज सेवा करते है ओर ऐसा ज्जबा स्टेटस सिँबल के परदे मे रहने वाले नही रख सकते कुष्ठ पिड़ित दीनहीन कुपोषण से पीड़ित या सिलोचन सूंघते बच्चे पन्नी कचरा बीनते बच्चे भीख मागते बच्चे इनमे छुपा भगवान मार दिया गया है उनके द्धारा जो अपने को हाई क्लास बताते है जो एन जी ओ तो बनाते है केवल प्रसिद्धि के लिये और उनकी गोरी मेमे किटी पार्टी मे ठिठोली करती है और ये समाज सेवा नही सोशल वर्क करती है और सोशल वर्क और समाज सेवा मे वैसा ही फर्क होता है जैसा की नीले और पीले परमिट मे आज सोशल वर्क कि नही समाज सेवा कि जरूरत है आज भी कंधे पर बीमार बच्चा लटकाये भीख माँगते दरिद्रो के उत्थान कि जरूरत है पाने पेचकस के बीच बचपन अपने सपनो को बुनते को सपना दिखाने कि जरूरत है ऐसा तब होगा जब समाज सेवा जीवित होगी सोशल वर्क के पेज थ्री से निकल कर ही संभव है.....जय राष्ट्रवाद

मंगलवार, 10 जनवरी 2012

हिँदू कौन

भारत की संस्कृति और धर्म कि व्याख्या करना मतलब सूर्य को दिया दिखाने के समान है हिँदू धर्म अपने आप मे संपूर्ण और पवित्र है और सभी धर्मो मतो और पंथो संप्रदाय का जनक भी लेकिन हम हिँदुतत्व को भूल कर मत और संप्रदाय पंथो मे अपने को उलझाये हुये है और यही विंड़बना सेकुलरी सोच वालो को हिँदुतत्व की जड़े हिलाने के लिये शक्ति दे रही है और इस दशा का फायदा मुस्लिम और मिशनरी भरपूर उठा रहे है और धर्मातरण करवाते जा रहै और हम सिर्फ ये करते है मैँ ब्रहामण हुँ मै जैन हुँ मैँ बौद्द हुँ मै पारसी हु मै कबीर पंथी हुँ मैँ सिख हु बस मै यही हु लेकिन ये नही कहते मैँ एक हिँदू हुँ जबकी हिँदुतत्व ही महावीर नानक गौतम बुद्ध कबीर आदी महापुरषो का धर्म और स्त्रोत रहा है और वे सभी पूजनीय है और उन सभी महा पुरूषो को त्रिदेव का अंश ही मानते आ रहे है लेकिन हमारे कुछ भाई जैन बोद्ध आदी अपने आप को हिँदू कहलाने मे शर्म महसूस करते है आखिर ऐसा क्यो ये आपसी विरोधाभास का न तो कोई ठोस कारण दिखता है और न कोई प्रशन तो फिर आप सेकुलरी भाषा क्यो बोलते है गर्व से क्यो नही कहते की मै हिँदू हुँ ..,सेकुलरी सोच रखने वाला हि हमारे बीच जंयचंद का काम कर रहा है उसे मुझे हिँदू कहते हुये शर्म आती है ऐसे भीरू हिँदुओ के कारण ही भारत की ये दुर्गति हुई है अगर हिँदू एक न हुआ तो भारत बचेगा नही और न बचेगी वैदिक संस्कृति और न बचगे महावीर गौतम नानक कबीर के आदर्श और वाणी ओर अगली पीढी या तो इस्लाम धर्म कि होगी या ईसाई

रविवार, 1 जनवरी 2012

हिँदुतत्व पर आघात करता सेकुलर वाद

जब कोई भाई हिँदुतत्व की बात करता है सनातन संस्कृति की बात करता है तो सेकुलरवादी उसे मानव धर्म की परिभाषा समझाने लगते है जबकी सच ये है त्याग करूणा प्रेम आदर ये हिँदुतत्व के वे अनमोल फल है जो वैदिक संस्कृति की शाखाओ पर ही शोभायमान है लेकिन सेकुलर वादियो को हिँदुतत्व का कल्प वृक्ष नागफनी सा दिखता है इसलिये दूर रहते है और ये सेकुलर धर्म के वो लोग है जो आधुनिकरण और पश्चिम का समर्थन करते है वे विकास भी अंग्रेजी दवाईयो की तरह चहाते है जो तुंरत असर करे भले परिणाम अनुकूल ना हो सेकुलरवादीयो की सोच धर्म रहित होती है सिर्फ वे मानवता को ही धर्म मानते है लेकिन खुद कितने मानवता वादी है ये मनन का विषय है क्योकी अंधिकाश सेकुलरवादी धार्मिक भेदभाव करते है ये बात सत्य है और भारत मे बहुसंख्यक ही सेकुलरवाद की तुरीह बजाते मिलेगे मुस्लिम और ईसाई पूर्ण धार्मिक है उन्हे सेकुलर से कोई वास्ता नही और सेकुलरवादी इनको निरिह बकरी मानते है और इनके प्रति सहानभूति रखते है लेकिन सत्य ये है मिशनरी ओर मुस्लिम दोनो ही अपने धर्म को बल प्रदान कर रहे है और सेकुलर वादी हिँदुतत्व को आँतकवाद की परिभाषा दे रहे है इनका ये दोहरा चरित्र एक दिन भारत को एक और पाकिस्ताना बना देगा या फिर वही अंग्रेजी राज ले आयेगा इसलिये आज एक क्राँति की आवाज चाहिये देश को हिँदुतत्व चाहिये .....जय राष्ट्रवाद