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सोमवार, 28 नवंबर 2011

अमानत मे खयानत लेलो जमानत


आज खुशी का दिन है उन कुकर और शूकरो के लिये जो भ्रष्टाचार की कीचड़ मेँ सने है जो समाज और संसद मे बेईमानी की बदबू फैला कर हँसते गाते तिहाड़ से छूटने की बाट देख रहे है और शायद कुछ दिनो बाद आपको ये गंदे बदबूदार समाज मे झक सफेदी मे घूमते मिल जाये तो आप लोकतंत्र को गाली मत दिजियेगा ये तो होना ही था कल सुखराम को जमानत मिल गई और आज कणीमोझी को और अन्ना के अंध भक्त जनलोकपाल का फटा ढोल पीटते रह रह गये और इनसे न ई पीढी ने धुर्र नेता गिरि का मंतर अमानत मे खयानत और उपर से मिल जाये जमानत तो आप समझ ले धुर्र नेता हो गया सीख लिया असल मे लोकतंत्र सिर्फ संविधान का एक शब्द भर है ब्लकी असल मे ये लोक यंत्र है जिसको चलाने का ठेका नेताजी का है लोकयंत्र मे कब तेल डालना है और कब टूल डाउन करना है ये उनके इशारो पर ही होता है कल तक भ्रष्टाचार मिटाओ चिल्लाने वाले सुखराम और कनिमोझी की जमानत को लेकर चुप खड़ा है क्यो की लोकयंत्र का टूल डाउन है अमानत मे जो भी खयानत करता है जमानत पा ही जाता है सुखराम जयललिता लालूप्रसाद शिबू सोरेन अमरसिँह और सत्यम के राजू ये सब अमानत के खयानति है इन सबको जब जमानत मिल सकती है तो राजा को भी मिल ही जायेगी अगर लोकयंत्र की मेहरबानी हुई तो मीडिया की तो चांदी हो गई हफ्ते भर का ब्रेकिँग कोटा मिल गया जमानत पाने वालो का नखशिख वर्णन करते नही थकेगे ये कैसी ओछी बात है जो हमे लूटने को तैयार है हम खुद चावी दे रहे है मै तो कहता हु देश मे अब जनलोकपाल आये या न आये किँतु समाज एक मजबूत एकता का ठोँकपाल तो बन ही जाये जो लोकतंत्र को यंत्र की भाँति इस्तेमाल करते है उन्हे सबक सिखाये ताकी अमानत मे खयानत करने वाले शराफत सीख जाये देश को भ्रष्टाचारियो से बचाये अब लोकतंत्र की शक्ति अजमाये ये अचूक ब्रहम्स्त्र है खाली नही जायेगा एक बार संधान कर के देखो देश सचमुच सोने कि चिड़िया बन जायेगा....जय राष्ट्रवाद

शनिवार, 26 नवंबर 2011

मोहल्ले कि दुकान और वालमार्ट लाट साहाब


आप ताली बजाइये क्योकीँ आप एसी मै बैठ कर धूल धक्खड़ नही खाते आप भी मुस्कुराइये नकली रंग से पुते होँठो से जो किटि पार्टी की शान है रोने का हक सिर्फ देश ने किसानो मजदूरो हाथठेला धारको और गली मोहल्ले मे छोटी परचून की दुकान चलाने वाले को है अब वालमार्ट आने वाला है सरकार ने 51 फीसदी एडीआई को मंजूरी दे दी अब आपके मोहल्ले मे रामू दादा की दुकान नही राबर्ट अंकल का आलिशान लुभाता स्टोर होगा सामान भी सस्ता मिलेगा लेकिन पाँच रूपये की शक्कर दस रूपये का तेल वहाँ नही मिलेगा तब रामूकाका की दुकान याद आयेगी मोहल्ले की दुकान सर्वसत्ता थी कोई बैर नही रखता था वरना उधार का टोटा हो जायेगा इसलिये मोहल्ले का दुकानदार किसी रिशतेदार से कम नही था सुख दुख मे मोहल्ले की दुकान साथ देती थी लेकिन वालमार्ट मोहल्ले की दुकान की अर्थी का सामान लेकर आने वाला है भारत दंगो का भी देश है और एकता का भी मोहल्ले कि दुकान एकता का प्रतिक है दंगे मे कर्फ्य से घरो मे दुबके लोगो के घर राशनपानी बिना किसी जाति या धर्म के बेखौफ पँहुच जाता था अब वालमार्ट आ गया है अगर कफ्यू लगा तो भुखे रहना होगा क्योकि मोहल्ले कि दुकान वालमार्ट नीति लील गई गरीब आदमी कि दुकान लुट गई रंग बिरँगी संतरे कि गोली अब नही मिलेगी मिलेगी तो मंहगे रैपर मे लिपटी नाजुक चाकलेट जो गरीब का पेट और जेब दोनो खराब करेगी वालमार्ट आने वाला है अब रात की मटरगशति वो ठीठोली वो उन्माद घरो मे दुबक जायेगे या फिर उच्चआंकाक्षाओ की पूर्ति करने के बाबत जेब काटेगे जब जेब मे माल होगा तब ही तो वालमार्ट जायेगे मजे उड़ायेगे क्योकि और कोई विकल्प नही है वालमार्ट धौँस जमाने आ रहा है अपने अपने मोहल्ले कि छोटी दुकाने समेट लो कही ऐसा ना हो वालमार्ट तुम्हे भी अपना गुलाम बना ले आखिर अंग्रेजो पर भरोस कर के हमारे बाप दादाओ ने देख लिया पर हम अंग्रेजो पर भरोसा नही कर सकते ...जय राष्ट्रवाद

गुरुवार, 24 नवंबर 2011

एक थप्पड़ की चोट संसद हिला सकती हे


अहिँसा के देश मे हिँसा उचित नही और हिँसा को मानवता राक्षसी प्रवृत्ती मानती और इस बात पर हर धर्म प्रमाणिकरण का ठप्पा लगता है और मैँ भी हिँसा का समर्थन नही करता पर मै आत्म रक्षा मे उठे हाथ को रोकने का विरोध भी नही कर सकता और ना ही उस थप्पड़ का विरोध करता हु जो देश को समस्याओ मे उलझाये हुये है क्यो की आत्म रक्षा और देशरक्षा एक दृसरे के समांनातर है इस लिये थप्पड़ की गूँज जरूरी है चाहे थप्पड़ हाथ से पड़े या वाणी से ओर चाहे कलम कटारी से द्रेशद्रोहीयो को शाररीक तो नही आत्मिक घाव तो कर ही सकते है और आज एक थप्पड़ की गूँज संसद हिला सकती है जो इस थप्पड़ का विरोध कर रहे है वो नँपुसक दैव दैव आलसी पुकारा प्रवृत्ति रखते है अपने को सदाचारी कंबल मे ढँके हुये है क्योकी गांधीवाद का ज्वर से पीड़ित है और क्रांती के कुनैन से परहेज करते है ये गांधीवाद की बिमारी के विषाणु से बीमार राजनैतिक समाज को एक भरपूर चांटे का डोज चाहीये लेकिन राजनैतिक टट्टृ पर सवार सर्मथको का विरोध प्रदर्शन के मायने है की ये भी चाँटे खाने लायक है अब देश मेँ जूता थप्पड़ ही राजनैतिक पंगुता को सुधार सकता है और सिर्फ नेता को ही थप्पड़ मारने से काम नही चलेगा थप्पड़ के अधिकार मीडिया प्रशासन और वे बुद्धिजीबी जो समाजवादी रंगे सियार है थप्पड़ की गूँज हर उसको सुनाओ जो देश के अहितैषी है क्योकी लोकतंत्र के पास वोट का अधिकार भी है और चोट का भी पर अब आपको तर करना देश की दशा देख कर क्या आप तैयार है समस्याओ के जन्म दाताओ को थप्पड़ मारने के लिये या चुपचाप थप्पड़ खाने के लिये फैसला आपका क्योकी गाल आपका है .....जय राष्ट्रवाद

मंगलवार, 22 नवंबर 2011

भारतीय संस्कृति के लिये घातक सनी लियोन


भारतीय सभ्यता कितनी पुरानी और अमूल्य है सारे विश्व ने हमसे ही सीखा लेकिन हम अपनी सभ्यता संस्कृति को पैरो तले रोँद कर पश्चिम की और चलते गये ये आधुनिकता के नाम पर हम भारतीय भारतीय ना रह सके लंपट हरामखोर और लालची हो गये पथभ्रष्रटता का ताजा उदाहरण यह है की कर्लस चैनल पर बिगबास रियलिटी शो मे सनी लियोन आ रही है ये सनी लियोन कौन है मुझे कोई मतलब नही लेकिन युवा उत्सुकता के साथ इँतेजार कर रहा है भारत मे वैसे ही समस्याओ का जखीरा है गरीब आटे दाल की जुगत मे भिड़ा है समाजवादी कशति मे सवार लोकतंत्र सहमा बैठा है क्योकी कशति मे भ्रष्टाचार का छेद है लेकिन हमारी युवा पीढि को सनी लियोन के जलवे देखना है आप का बच्चा जब सनी लियोन के बारे मे पूछेगा तो आप क्या जबाब दे पायेगे आखिर सनी लियोन को भारत मे बुलाने का क्या अर्थ है केवल देश का अर्थ बरबाद हो रहा है मीडिया की स्वत्रता का ये परिणाम अब घातक है ये हमारी चुप्पी हमारे भविष्य को अंधकार मे ले जा सकती है भारतीय मीडिया को इसका विरोध करना चाहिये लेकिन वो भी अपने दर्शको की पंसद के आगे विवश है रामायण महाभारत चाणक्य जैसे पोराणिक और ऐतिहासक विषय छोड़ कर काम विषयो को थोपना मानसिकता को विकृत करना है आईये हम एक ऐसा भारत बनाये जो सुंदर हो संस्कारवान हो क्योकी लंपट बनाने का कारखाना भारत मे खुल चुका है

सोमवार, 21 नवंबर 2011

देश को मत तोड़ो


उत्तर प्रदेश की माया सरकार सत्ता की इतनी भूखी हो गई की अपने प्रदेश को ही खंड खंड करने पर तुली है ओर विश्वास प्रस्ताव भी पारित कर दिया क्या देश को तोड़ कर विकास किया जा सकता हे देश पर आर्थिक बोझ लादने के सिवाय कुछ हासिल नहीं होगा ये राजनीती की जड़े गहरी करने की साजिश लगती हे अगर चार नए राज्यों का गठन हो जाता हे तो किसी एक राज्य पर माया सरकार काबिज़ हो ही जाएगी राज्यों का विकास न कर के उन्हें तोडना देशद्रोह से कम नहीं लेकिन भ्रष्टाचार के लिए सडको पर उतरने वाला युवा इस मुद्दे को लेकर चुप क्यों हे अगर इसे ही देश टूटता रहा तो अखंड भारत का सपना कभी पूरा न होगा और क्षेत्रवाद को बढावा मिलेगा भारतीय एकता में क्षेत्रवाद एक गंभीर समस्या हे अगर नए राज्य बनाना जरूरी हे तो सरकार को जनमत करना चाहिए क्यों की लोकतंत्र सबसे ऊँचा हे लेकिन सत्ता के पुजारी लोकत्रंत की कब्र खोदने पर तुले है अगर राज्यो का निमार्ण जरुरी है तो संस्कृति विरासत को बचाने के लिये नये राज्य बनाना उचित है बुँदेल खंड गोँडवाना तेंलागना जैसे राज्यो की मांग को लेकर कभी केँन्द्र गंभीर नही हुआ और बंद औ आंदोलन की मार से राज्य पीड़ित है जबकी ये माँगे जायज और जन समर्थित है इसके विपरित जो माया सरकार जो चार राज्यो के गठन का सपना देख रही है वो जनता की माँग नही सत्ता लोलुपता का विकृत चेहरा है क्योकी अगर माया सरकार चहाती तो चार राज्यो की बजाये सिर्फ बुंदेलखंड की बात करती तो उनकी ईमानदारी दिखती लेकिन वे ऐसा नही कर रही अगर इस तरह राज्यो की माँग उठती रही तो भविष्य मे सक्षम राज्य स्वतंत्र राष्ट्र के लिये गृह युद्ध के लिये बाध्य हो सकते है इस लिये राजनीतिज्ञो को क्षेत्रवाद की भावना को त्याग कर राष्टवाद को अपनाना चाहिये खंड खड टूटते भारत को अंखड भारत कैसे निमार्ण हो इस पर विचार और एकता संगठित करना चाहिये ...जय भारत

गुरुवार, 17 नवंबर 2011

हिँदुत्तव- एक सदभार विचार धारा


भारत मे सेकुलर वादियो की अंधी सोच हिँदुतत्व को एक वर्ग मे बाँटती है जिसका आधार सांप्रदायिकता पर होता है मतलब हिँदुतत्व एक लड़ाकू और नागरिको मै वैमनस्य फैलाने वाला धर्म है और सेकुलरवादियो का एक मत यह भी है ईसाई और मुस्लिम ही शांतिप्रिय कौम है और उसे सहानुभूति की जरूरत है सेकुलरवादियो की यह सोच भारत के संविधान मे दर्ज धर्मनिरपेक्षता वाक्य को मिथ्या सिद्ध करती है आज भी हिँदुतत्व को ये सेकुलर वादी जान नही पाये हिँदुतत्व आस्था और विज्ञान के पलड़ो पर टिका है बिलकुम समतल आस्था और वैज्ञानिक दृष्टिकोण हिँदुतत्व जीवन शैली मैँ ही मिलता है और किसी धर्म मेँ नही वंसुधैव कुंटुबकम की पंक्ति इसका ठोस प्रमाण है इस्लाम को शांती और भाईचारा का प्रतिक बताने वाले ये भूल गये सर्वे भंवन्तु सुंखिनः इस्लाम के उदय से कई वर्ष पहले लिखा गया है और फिर भी सेकुलर वादी हिँदुतत्व पर उंगली उठाते है हिँदुतत्व पंरपरा पर गौर करे तो वैज्ञानिक तथ्य पूरे उतरते है माथे पर तिलक लगाना सूर्य को जल चढाना व्रत आदी भी मैँ भी विज्ञान पूरी तरह सहमत है सुबह योग भी विज्ञान ही है आर्युवेद विज्ञान ही है पंच गव्य की महिमा को विज्ञान स्वीकारता है इतने गुण हिँदुतत्व मे है फिर भी हिँदुतत्व कमजोर पढ़ता है ईसाइ और मुस्लिम अपनी डीँग हाँककर धर्मातरण कर ही रहे है और सेकुलरवादि इस लिये चुप है आखिर ये सत्ता की चाबी है इनको नाराज मत करो ऐसे नंपुसको के कारण हिँदुतत्व की आज ये गति है जिस डाल पे बैठे उसे ही काट रहे है और कुछ मक्कार धर्मातरण करते जा रहै है ये स्थिती बदलना जरूरी है जागरूकता की कमी के चलते हिँदु हिँदुतत्व से दूर हो गया है ऐसे मे अंखड भारत की बाते बेमानी है सेकुलरवादियो को सच्ची धर्मनिरपेक्षता निभाना चाहिये और सनातन संस्कृति मे ही सच्ची धर्म निरपेक्षता है जय माँ भारती

सोमवार, 14 नवंबर 2011

कामगार बच्चे और बालदिवस


आज बालदिवस है केवल उनके लिये जो मंहगे अंग्रेजी स्कूल मे पढते है साफ और मंहगी पतलून टाई पहनते है आज उनका बालदिवस है जो पिज्जा बर्गर कोला पीते है जिनके घरो मे खिलौने दो घड़ी जिवित रहते है और नये आ जाते है बाल दिवस कुछ के लिये काला दिवस भी है लेकिन ये बात वो नही समझते जो योजनाओ के दिये जलाते है और तेल डालना भूल जाते है कुपोषण से दुर्बल बचपन मे बालदिवस खोजने की कोशिश नही की कभी पटाखो की बारूदी हवा मे सर्घष बचपन पर चढी धूल झाड़ने की कोशिश नही की मिटटी गारे मे सने बालपन को जरा करीब से देखो उसके मन मे भी लालसाये जीवित है शिक्षा के अधिकार क्या है ये दो जून की रोटी की जुगाड़ मे ही वयस्त है इनका गुड डे मील सूखी रोटी है योजनाओ की थाली भले सरकार सजा लेँ किँतु योजन पकवान को भोगने का अधिकार इन कामकार बाल मजदूरो का अधिकार नही बन सका ये योजना आयोग की विफलता है और कुछ समाजवादी समाज सेवको की जो अपनी झूठी समाज सेवा कर प्रतिष्ठा की चाह रखते हुये कार्य करते है आज भी हमे सड़को पर बूट पालिश या गुब्बारा बेचते मासूमो की आँखो मे यही प्रशन दिखता है की टाईधारी मे और हम मे क्या फर्क है आखिर योजनाऐ हमारे पास क्यो नही आती भारत निमार्ण विज्ञापन और यथार्थ मेँ बड़ा फर्क है ये राजनेताओ और समाजसेवियो को समझना चाहिये बच्चो को बेशक हम देश का भविष्य कहे लेकिन इस भविष्य को अंधेरे मे जाते हुये देखते रहते है एन जी ओ एंव नागरिको को कामकार बच्चो का स्तर सुधारने मे तत्परता से आगे आना चाहिये ताकी वे भी बालदिवस मना सके तभी अंखड भारत का निर्माण संभव है

रविवार, 13 नवंबर 2011

ये कैसी देशसेवा

आज का युवा अपने कैरियर और उच्च आंकाक्षा के मोह मे देशसेवा की परिभाषा को भूल चुका है और देशसेवा के मायने उसने बदल डाले है आज का युवा चहाता है किसी मल्टीनेशनल कंपनी मेँ उँची तनख्हा हो उँचा पद हो और समाज मे वो स्टैर्न्डड जीवन शैली जिये जो ऐसे विचारो से पोषित होगा उसके लिये देशसेवा एक चुनौति भरा कार्य होगा क्योकी देशसेवा के लिये आपको वातनुकुलित डिब्बेनुमा कमरे मे बैठ कर देशसेवा नही की जा सकती देशसेवा की भावना तब ही आती है जब आप मिट्टी मे सने हो और पसीने मे लथपथ मतलब कर्मशील हो कई युवा सरकारी सेवा मे है कहते है मैँ देशसेवा कर रहा हुँ ये उनकी कैसी देशसेवा है जिनकी जड़ो मे भ्रष्टाचार की खरपतवार फल फूल रही यह उसकी देशसेवा ना हो कर स्वमसेवा है देशसेवा तब होती जब वे अपना काम पूरी इमानदारी और नियमनुसार करते तो ये कैसे देशसेवक एक स्लोगन मैँ हमेशा थाने मे पढता रहता हुँ देशभक्ति जनसेवा लेकिन ये बात पुलिस पर झूठी बैठती है या यू कहे वे देशभक्ति नही स्वमशक्ति जानलेवा क्योकी पुलिस विभाग से अपराधी कम नागरिक ज्यादा डरते है थाने मे नोटो का बोलबाला है कितनी शर्म की बात है इनके लिये क्यो की नागरिक इन्हे कुत्ता ठुल्ला जैसी श्रेणीयो मे रखते है क्या ऐसा विभाग देशसेवा कर रहा है लेकिन लोकतंत्र चुप है वो इनसे उलझना नही चहाता अब आपको सरकारी अस्पताल लिये चलता हुँ जहाँ डाँक्टर तब तक नही आते जब तक भीड़ ना हो वार्ड वाय से लेकर स्वीपर तक अपने को यहा सर्वोसवा मानता है जीवनरक्षक उपकरणो पर धूल चढी है दवाओ का सुराग नही मिल रहा कुल मिलाकर अस्पताल खुद आपातकालीन स्थिती मे है और कलयुग का भगवान पूरा वेतन इमानदारी से ले कर देशसेवा कर रहे है ये मक्कार जब ऐसी देशसेवा करेगे तो देश गर्त मे ही जायेगा आप क्या कहते है ..जय अंखड भारत

गुरुवार, 10 नवंबर 2011

तेरा प्यार

मुझे प्यार नही आता साथ निभाना आता है तेरी इन आंखो मे छुपा भगवान नजर आता है तू समझ ना मुझको दिवाना मेरी बातो मे इकरार नजर आता है दो घड़ी मुझको जान ले ओ सनम उसमे तेरा क्या जाता है न तेरी मोहब्बत के काबिल हम पर उम्र के इस दौर का क्या करे हम तुम पे प्यार आ ही जाता है मुझे तेरी बेवफाई की तलब है क्योकि जिँदगी भर यादो मे रहेगी ये सोच कर तेरी आंखो मे शबनम उतर आता है तुमको डराता ये जमाना मेरा कसूर क्या है जब तक दीदार ए सुरत ना हो इबादत मे मजा कहाँ आता है तेरे यौवन का मोह भी फीका है जो ज्जबात तेरे दिल मे है तेरी हंसी और मौन ही दिल घायल कर जाता है कब्र की आस मै बैठे है अब तलक आंखे बस यही ढूँढती है पता नही कब तेरा प्यार मेरी कब्र पर फूल बन कर आता है

बुधवार, 9 नवंबर 2011

आस्था और मौत भूल किसकी

शांतिकुँज हरिद्वार के गायत्री परिवार के आयोजन मे मृत आत्माओ को श्रद्धाजंली
आस्था एक ऐसी भावना है जो हर दिमागदार प्राणी मे होती है ओर आस्था निष्ठावान और अंधी भी हो जाती है और अगर आस्था निष्ठावान है तो ईशवर को ज्यादा देर नही लगेगी इशवर खुद आपकी आस्था के प्रति नतमस्तक हो जायेगे किँतु अगर आप अंधी आस्था का बोझ लेकर भक्ति मार्ग पर जायेगे तो यम भी तैयार है इसका उदाहरण हम धार्मिक स्थलो मे हुई भगदड़ मे काल के ग्रास बने लोगो को देख कर तो यही स्द्धि होता है अब आप बताये क्या ईशवर को विषेश पर्व या तिथी ता दिन मे ही याद किया जाये जो आस्था आपको 365 दिन इशवर मे होनी चाहिये वो आप एक ही दिन उड़ेल देते है जबकी ये आस्था नही होड़ बाजी है पहले नमबर पर आने की कौन पहले दर्शन करेगा कौन पहले प्रसाद लेगा यही भावनाऐ भगदड़ अफवाहे और अवयवस्था को जन्म देती है आयोजक भी जानते है ऐसी स्थिती बनेगी फिर भी कोई ठोस कदम नही उठाते और अंधी आस्था के आगे प्रशासन भी असहाय पड़ जाता है चाहे शबरीमाला मंदिर मे मौतो का खेल हुआ हो या कृपालू महाराज के आयोजन मे अंधी आस्था ओर अफवाहो ने सैकड़ो लोगो को लील लिया कपड़े बर्तन भोजन बाँटने जैसे सामाजिक कार्य भी इस भगदड़ को निमंत्रण देते है लेकिन इस भगदड़ की नैतिक जिम्मेदारी ना तो आयोजक लेते है और ना ही प्रशासन और जाँच ऐँजेसी बिठा दि जाती है लेकिन इसके वावजूद ऐसी दुखद घटनाये हो ही जाति है और आरोप किस पर लगाये प्रशन अधूरा रह जाये हिँदु संगठनो को इसके लिये आगे आना चाहिये और वयवस्था संवसेवको के हाथो मे देना चाहिये संघ और बँजरग दल जैसे संगठनो को ऐसे आयोजनो मेँ भागीदारी करना चाहिये ताकी आगे से ये घटनाये ना हो और भक्तो को भी होड़बाज छोड़ कर नियमनुसार आयोजन मे रहना चाहिये आईये एक अंखड भारत का निमार्ण करे और अपने मन मे सोये हिँदुतत्व और सनातन आत्मा को जगाये .

रविवार, 6 नवंबर 2011

मालेगाँव के नौ आरोपियो की जमानत - मुस्लिम तुष्टिकरण

जब मालेगाँव विस्फोट मे
गिरफ्तारियाँ हुई तो सेकुलर
मीडिया और सेकुलरी कुत्ते भोँक भोँक
कर हिँदुतत्व को आंतकवाद चिल्ला रहे
थे जब आज सबूतो के आभाव मे
9 गद्दारो को जमानत मिल गई
ये इस और इशारा करती है कांग्रेस अभी भी मुस्लिम तुष्टिकरण को हवा देकर हिँदुतत्व को हानी पहुँचा रही है और नंपुसक मीडिया भी इन सेकुलर वादियो का साथ दे रही है और जानबूझकर प्रज्ञा और अन्य संघ कार्यकर्ताओ को दोषी बनाने मे तुली हुई है यहाँ तक की न्यंयावयवस्था पर भी सेकुलरवादि हावी होते दिख रहे है 4
साल तक मूर्ख बनाती एटीएस और सीबीआई ने ना तो कोई प्रज्ञा व अन्य के खिलाफ कोई ठोस गवाह या कोई सबूत सामने रखे है और ना ही प्रज्ञा और अन्य की सहायता के लिये कोई आगे आया यहाँ तक की अभी तक प्रज्ञा और अन्य को कोई सुविधाये भी नही दी जा रही ऐसा हाल रहा तो हिँदूआंतकवाद तो जन्म नही लेगा किँतु हिँदू क्राँति अवश्य हो जायेगी...देश के गद्दारो
धिक्कार है..जय अंखड भारत
अंधी जनता को धिक्कार सेकुलरीवाद
ियो को

शनिवार, 5 नवंबर 2011

सेकुलरवादियो का नया दाँव - हिँदू आंतकवाद

मुझे भारत पर गर्व है और हर भारतीय पर भी लेकिन उतनी ही नफरत करता हूँ जो नक्सलवाद बोडो उल्फा और उन लोगो से जो हिँदुतत्व को भी इन घिनौने कीचड़ मे घसीटने का प्रयास कर रहे है जिन्हे हिँदू और हिँदुतत्व की परिभाषा ही नही मालूम जो सेकुलर का दिया लेकर हिँदूतत्तव का प्रकाश दबाने की चेष्ठा कर रहे है मालेगाँव और अजमेर विस्फोट मे साध्वी प्रज्ञा एंव अन्य जिन पर आरोप मढा गया उसका तथ्य शून्य है सीबीआई अंधेरे मे तीर चला रही है ना तो सीबीआई के पास कोई ठोस गवाह है और ना कोई एसा साक्ष्य जो प्रज्ञा पर आरोप सिद्ध कर सके और ना ही सीबीआई ने प्रेसवार्त कर कभी इस केस पर प्रकाश डाला मीडिया ने भी अपना चापलूस धर्म निभाते हुये वही तथ्य जनमानस के सामने रखे जैसा सरकार ने चाहा अगर प्रज्ञा के खिलाफ ठोस सबूत है तो सजा मिलनी चाहिये किँतू प्रज्ञा एंव अन्य आरोपियो पर सौतेला व्यवहार ये सिद्ध करता है आँतकवाद को आप ही विस्तार कर रहे है जिस तरह कसाब अफजल जैसे राक्षसो को सुविधाये ओर रक्षा उपलब्ध करवा रही है जबकि कसाब और अफजल के विरूद्ध सबूतो का पूरा पुलिदां है फिर भी अभी तक चैन से जेल मे रोटियाँ तोड़ रहा है प्रज्ञा और अन्य जेलो मे बंद नरकीय जीवन जी रहे है लेकिन समाज चुप बैठा है मीडिया चुप बैठा है लोकतंत्र का गुणगान करने वाला चुप बैठा है ऐ कैसा लोकतंत्र है जो आंतकवाद का जिवित रखता है ये कैसा नंपुसक मीडिया है जो भेदभाव करता है अगर हिँदुतत्व आंतकवादी होता तो कब का भारत अंखड हिँदू राष्ट्र 1947 मे ही बन गया होता हिँदूत्तव आंतकवाद के साथ जोड़ कर सेकुलरवादी हिँदुओ मे फूट डालने का काम कर रहै ताकी फिर से बाबर या तैमूर जैसा भारत को लूट सके सार ये हे सेकुलरवादियो के इस दांव को हमको समझना चाहिये और हिँदू एकता शक्ति को सशक्त बनाना चाहिये.....जय अंखड भारत

शुक्रवार, 4 नवंबर 2011

अंखड भारत की बात करने वाले हर हिँदू को प्रणाम और गर्व से अपने को हिँदू कहने वाले चुँनिदा भेदियो से एक चुभता सवाल किस गर्व से अपने को हिँदू कहते हो जब्कि तुम्हार पवित्र हिँदुतत्व मे सेकुलरी और पंथवादी आत्माओ का वास हो चुका है तुम सिर्फ नाम मात्र के हिँदू हो तुमने अपनी सनातन धर्म और पंरपरा को बेच डाला है और अपना एक नया अस्तित्व गढ लिया है तुम आर्य समाजी बन बैठे और वेदो पर एकाधिकार कर बैठे और आस्था को पैरो तले कुचल दिया और हिँदुत्तव कौ बाँट दिया फिर हमे हमे तुम से कोई बैर नही अरे ब्रह्मसमाजियो तुम भी आर्य समाजियो के भाई ही हो फिर भी तुमसे बैर नही लेकिन पीड़ा दायक बात ये है तुमने महापुरूषो को भी जातिकत बंधनो मे बाँध कर हिँदुतत्व की जड़े खोदने का काम कर दिखाया और हिँदु पिछड़े पन का शिकार हो गया कोई कबीरपंथी बन बैठा कोई शैव कोई वैष्णव कोई जैन कोई राधास्वामी कोई रविदासी कोई डेरा सच्चा सौदा कोई पीर फकिर का अनुयायी बन गया और हिँदुतत्व को घायल करता अपने अपने पंथ की चाकरी करने लगा जिसका फायदा सेकुलरी कौम उठा कर तुमको हिँदुतत्व और भारतिय संस्कृति से दूर ले जा रही और गर्व से अपने को हिँदू कहते है हिँदुतत्व को दृढता के लिये किसी पंथ की जरूरत नही जरूरत है बल्की राम कृष्ण परशूराम कबीर नानक दयानंद विवेकानंद जैसे धर्मप्रकाशक चाहिये तब हि हिँदुतत्व संगठित और संदृढ हो कर अंखड भारत का निमार्ण करेगा ....जय अंखड भारत

गुरुवार, 3 नवंबर 2011

तमाशा आदमी

जिँदगी एक तमाशा फिर भी जो देखे ताली ना बजाये कभी हंस कर कभी रो कर मन को बहलाये किस्मत के आगे रोये वो सदा कोशिश की चाबी कही रख कर भूल जाये जलता रहे वो बिना आग के जो खुशिया पड़ोसी पल भर देख आये कभी छीन लेता गुलाबो की महक को फिर भी वो दामन मे काँटे ही भर लाये दिये सा जला वो दुसरो के लिये पर दोस्ती की थी आंधी से पल भर मे बुझा जाये खरीदता था बाजार मे गम बहुत लेकिन मोल खुशी का वो ना चुका पाये ताँकता रहा दरिया को प्यास से बैचेन हवस का मारा प्यास भी ना बुझा पाये