कल
का भरोसा जो करे समझो वो काल से
डरे वर्तमान की लाठी पकड़ जो चले
काल उससे डरे मत उलझ तू जीवन के जंजाल मे एक धोखा है ये जीवन मृत्यु अटल है जोड़ा बहुत तोड़ा बहुत अब तो संभल जा तेरे लिये इक कफन ही बहूत है पुण्य के सलिल मे पाप का आज तर्पण कर दो दिनो के यौवन के बाद बाट जोहता तेरा जर संभल कर चल कौन जाने कैसा होगा तेरा कल साथ तेरे जो खड़े वे तो पुतले छाया के लोभी लालची वर है तेरी माया के दीन दुखियो मे ढूंढ जरा नारायण को जो लिया था चुका दे उस सृष्टि कर्ता के ऋण को भाग मत उस तिमिर से जो विषमता से बना आग कि लपटो मे सिक स्वर्ण कुंदन बना लड़ ले आज समय से जीत जा ये रण जाग जा वरना मृत्यु कर लेगी वरण
शुक्रवार, 30 सितंबर 2011
गुरुवार, 29 सितंबर 2011
एक कोशिश गजल लिखने कीएक कोशिश गजल लिखने की
जी रहे है उस आस मे जब अंधेरा साथ छोड़ देगा जब चलेगे उजाले की और जमाना साथ छोड़ देगा मंजिलो की तलाश मे दूर बहुत निकल आया हुँ मै करता नही कभी कशति पर भरोसा क्योकी किनारा साथ छोड़ देगा अब शिकायत क्या करे हम वो खुद गुनाहागार थे दिखा कर रोशनी मोहबब्त की फिर अंधेरो मे छोड़ देगा गम की दहलीज पर रख कदम वक्त से लड़ने लगे आज भले वो साथ मेरे कल भँवर मे छोड़ देगा लड़ रहे थे दो मुसाफिर बस एक इमान पर जो कराता था सुलह इनमे खुद घरौँदे तोड़ देगा
सोमवार, 26 सितंबर 2011
उजाले की ओर
उजाले की ओर
चला हूँ आतीत के अंधेरे भी साथ है रात
तो काली है पर तारे मेरे साथ है कोई
भले कहे कुछ रोशनी ले लो पर मुझे
मालूम है कल पूनम की रात है
डरता नही हुँ विपत्तियो के प्रेतो से
मेरा संकल्प अब भी मेरे साथ ह छोड़ने को आतुर है मेरा अनुभव साथी किस्मत की अब ये औकात मेरे मानस को आँख दिखाती पूजता था अब तलक जिन पत्थरो को वो पत्थर ही बने रहे लेकिन सौतन श्रद्धा अब भी मन से नही जाती कुछ हँस रहे है देख कर जो वासना के पति है माया जिनके खोखले दिलो मे बरसो से डटी है मैरे साथ हो लो जीवन का रस मिलेगा पर याद रख आखिर दोजख मे ही जलना पड़ेगा ये देख कर ही आँख मेरी बंद है और चला जा रहा हुँ नये उदय की और कहीँ मिली मानवता तो कहुगा ढूँढ ले नया ठौर
चला हूँ आतीत के अंधेरे भी साथ है रात
तो काली है पर तारे मेरे साथ है कोई
भले कहे कुछ रोशनी ले लो पर मुझे
मालूम है कल पूनम की रात है
डरता नही हुँ विपत्तियो के प्रेतो से
मेरा संकल्प अब भी मेरे साथ ह छोड़ने को आतुर है मेरा अनुभव साथी किस्मत की अब ये औकात मेरे मानस को आँख दिखाती पूजता था अब तलक जिन पत्थरो को वो पत्थर ही बने रहे लेकिन सौतन श्रद्धा अब भी मन से नही जाती कुछ हँस रहे है देख कर जो वासना के पति है माया जिनके खोखले दिलो मे बरसो से डटी है मैरे साथ हो लो जीवन का रस मिलेगा पर याद रख आखिर दोजख मे ही जलना पड़ेगा ये देख कर ही आँख मेरी बंद है और चला जा रहा हुँ नये उदय की और कहीँ मिली मानवता तो कहुगा ढूँढ ले नया ठौर
बुधवार, 21 सितंबर 2011
गरीबदास का दर्द
पेट पीठ से लगा हुआ और मिट्टी मे सना हुआ है श्रम से कुंदन सा तपा हुआ है और लाचारी के आगे झुका हुआ है दरिद्र नरायण ना म रखा है यथार्थ है दरिद्रता और नारायण रूठा हुआ है काला चेहरा तन काला है बाँट रहा अमृत लेकिन मिलती उसको हाला है कर्तवयनिष्ठ हो कर विकास यही उसने ठाना है एहसान फरामोश पूँजीवादी उप कैसा जमाना है सरकारी आँकड़े सा जीवन और समर्पण सुविधाओ का केवल आंडबर निर्वस्त्र लुटा पिट शोषित कुपोषित फिर भी कैसे जीवित ये भला निरक्षर उन ज्ञानी से जो इन्हे बैकबड कहते है पर भूल जाते है इनके इशारो से ही विकास के पहिये चलते है इनका सच सच नही लगता सरकार का धोखा लगता है भारत मे गरीब जिँदगी मे नही फाइलो मे तरक्की करता है गरीबी मिटाओ ये नारा बेमानी है प्रजापालक की आँखो मे ना शर्म है ना पानी है
मंगलवार, 20 सितंबर 2011
भारत वर्ष की जन्मगाथा ऐतिहासिक कम पौराणिक ज्यादा है और सनातन संस्कृति जिसे हिँदुत्तव कहना उचित होगा क्योकी ये सभी संस्कृतियो मे श्रेष्ठ और तर्क रहित धर्म है यह बात सौ फीसदी सैँद्धातिक होने पर भी 1400 साल पुराना कट्टरता की कालिख मे पुता हिँसावादी धर्म उंगली उठाने की चेष्ठा करता है जिसके धर्म का मूल मँत्र अल्लाह निराकार है अरे ये मे मंत्र जपने वालो जरा इस मंत्र को टटोलो ये हमारे धर्म की ही है देन है रूद्रष्टक मे पहली पंक्ति कहै नमामीशमिशान निवार्णरूप विँभु व्यापकम ब्रह्म वेद संवरूप निराकार ओंकार मूंल तूरियम गिरा ग्यान गोतितमिँशम गिँरिशम इस श्रलोक का ही तुम पाँच बार जाप करते है लेकिन फिर भी कहते हो हिँदू काफिर कौम है ये नमक हरामी का उदाहरण नही है भले ही आज इस्लाम फल फूल रहा हो लेकिन ये सच है इसकी जड़े हिँदुत्त से ही जुड़ी है पंरतु तुम अंधे धर्म और अंधे सिँध्दात के पीछे ही चले जा रहे हो जो तुम्हे अंधकारमय हिँसक जीवन की और लेजा रहा है तुम जितने भी धार्मिक कर्मकांड करते हो वे प्राकृति के विपरित ही होते है तो फिर तुम इस्लाम को सच्चा और पवित्र धर्म कैसे कह सकते हो क्योकी तुम हिँसक और क्रूर कर्म करते हो बहुविवाह करते हो ये विपरित कर्म क्या तुम्हे जन्नत मे जगह दे पायेगे आँतकवाद और देशद्रोही हरकतो से तुम वैसे ही सनातन धर्म और भारत से विश्वास खो चुके हो और अब ये तुमको तय करना है सनातन के सिँधान्त पर चल कर इस्लाम का पालन करना है या आँतक फैला कर इस्लाम को बदनाम तुम चाहे जो करो पंरतु ये याद रखो सनातन धर्म तुमहे माफ कर ही देगा गजनी को माफ कर सकते है तुम तो फिर भी सौतेले भाई हो जय राष्ट्रवाद
सोमवार, 19 सितंबर 2011
आज मै दुखी हो गया एक टोपी कि वजह से जो टोपी लाज कहलाती थी वो शर्म का कारण बन गई और टोपी एक वर्ग विशेष कि इज्जत बन गई और विशेष वर्ग गुर्रा कर देखने लगा ओर बुरा ये हुआ किसी गांधी बाबा की विरासत पर पलने वाले कांग्रेसी साँप भी उस टोपी के लिये फुँफकार मार रहे है जो उन्होने कभी नही पहनी क्यो की पहले से खद्दर की टोपी पहनते आ रहे मोदी जी ने कोई गुनाह नही किया क्योकी वो खद्दर की नही अनुशासन की काली टोपी पहनते है और उस पर दाग लगना मुशकिल है शायद इसलिये कांग्रेस और ज्यादा दुखी हो गई नरेन्द्र मोदी का टोपी कांड तो एक बहाना है असली काम कांग्रेस को गुजरात मे आसन जमाना है और हमारे मुस्लिम भाई तो भोँदू है कट्टरता की पट्टी जो बाँध रखी है ये तो इस्लाम को देश से उपर मानता है अपनी नमकहरामी के चलते वंदेमातर को गाने मे शर्म महसूस करता है अब जब मोदी ने टोपी नही स्वीकारी तो बुरा मान गया अरे मुस्लिम बंधू शाल तो मोदी ने लेली तुम्हारा मान तो रखा अरे तुम खुद सोचो अगर हम मुस्लिम विरोधी होते तो आज तुम इतने आजाद ना होते पाकस्तान से ज्यादा खुश रखते है आपको आप फिर भी हमे सांप्रदायिक की सुई चुभोते हो और कांग्रेस के तलवे चाटते हो अरे ये कांग्रेस अपने सगे बाप की नही तो तुम्हारा और देश का क्या भला करेगी मोदी की टोपी पर तो खूब चिल्ला रहे हो जरा कांग्रेस पर भी भड़ास निकालो जो टोपी पहना कर अपना उल्लू सीधा कर रही है जागो भारत के मुस्लमानो वरना एक दिन तुमसे ये भारत माता कहेगी किस हक से यहाँ रह रहे हो
रविवार, 18 सितंबर 2011
भिखारी
भूत तो हम भूल चुके है भविष्य की हम सोचे क्यो जीना है अभी पूरी जिँदगी फिर दुखो से निराश क्यो चाहे हालात हमे बेबस कर दे या मातम को घर मे धर दे लाचारी से भले पड़े पाला चाहे किस्मत पर लगा हो ताला हम तो रहते फिर भी मस्त मौला ना हमारा ठौर ठिकाना सारे जग को अपना घर जाना निर्भीक निडर रहते हरदम कभी दावत कभी फाँके पड़ना नही शिकायत उस दाता से डर लगता है धन दौलत कि बातो से क्षण भंगुर सा जीवन अपना काम हमारा मानवता की माला जपना हाथ कटोरा लेकर घूमे फक्कड़ता के मद मे झूमे जग कहे पागल और भिखारी दूर रखे सब रिश्तेदारी कहने को हम है एक भिक्षुक खुले रखे हे अपने चक्षु खाली आये खाली जायेगे केवल दाता के गुण गायेगे हमे देख कर तुम जीना सीखो अपने सदगुण जीवन मे लिखो
शनिवार, 17 सितंबर 2011
फेसबुक के युवाओ के लिये एक संदेश
फेसबुक पर भी टी आर पी का कीड़ा लग गया शायद तभी ग्रुप पे ग्रुप बनाये जा रहै है और दोस्तो को जोड़ने का अनुरोध किया जा रहा है ग्रुप मे सदस्य संख्या को लेकर खीचतान मची है जो देश को सवारने और समाज सुधार की बाते करते है वे ये सब छोड़ कर एकता समूह क्यो नही बनाते अब मुठ्ठी बाँधने का समय आ गया है आओ हम सब एक हो जाये हमारे विचार एक हो जाये आओ भारत का निमार्ण करे एक क्रांति का आह्वान करे अंखड भारत का निमार्ण कर जय राष्ट्रवाद
मैँ ना कांग्रेस को जानता हू ना भाजपा को लेकिन नंरेन्द्र मोदी को पहचानता हुँ जो कांग्रेस कि नजरो मे सिर्फ एक दंगाई है लेकिन गुजरात की जनता ने उन्हे गुजरात का दंबग बना दिया गुंजरात मे पिछले दशक जो साँप्रदायिक स्हाई से जो अध्धाय लिखा वो आज बेबुनियाद है विकास पथ पर दौड़ते गुजरात मे गुजरात भले ही भूल चुका है लेकिन कुछ कट्टरपंथी मुस्लमानो और गुजरात मे अपनी राजनितिक जमीन खोति कांग्रेस अब भी गोधरा कांड को जलता चूल्हा मानकर तवा चढाने को तैयार है जब्की सुप्रीम कोर्ट पानी डाल चुकि है अब चाहे कांग्रेस बुझे चूल्हे मे अनशनी फूँक मारे लेकिन आग नही जलेगी क्योकी गुजरात को एक दिशा देने वाला दीपक भी सदभाव का उजाला लेकर बैठा है और यह एक फाँस कि तरह काँग्रेस को चुभ रहा है पर पता नही शंकरसिँह बाघेला रूपी काँटा फाँस निकाल पाता है या नही अगर देखा जाय तो नरेन्द्र मोदी इमानदार है क्यो की गोधर काँड के बाद भी पूर्ण बहुमत ये सिद्ध करता है की काँग्रेस भरोसे मँद नही भुज के भूँकप मे गुजरात मिट गया लेकिन मोदी कि इच्छाशक्ति ने और गुजरात को विकसित कर दिया जब्कि कांग्रेस की झोली मे गुजरात के लिये कोई उपल्बधी नही है आज जब सदभाव को लेकर उपवास किया जा रहा है तो काँग्रेस मीडिया का सहारा लेकर इस अनशन को ढोँग और जनता को छल बता रही है लगता है मीडिया भी बिक ग ई है तभी तो सांप्रदायिक हिँसा विधेयक का समर्थन कर रही ही है और मोदी जी सदभाव के लिये अनशन अब जनता कि बारी जनता बताये कौन सच्चा कौन झूठा
मंगलवार, 13 सितंबर 2011
सिँतबर आ गया और शासकिय कार्यालय तैयार है हिँदी दिवस मनाने के लिये या आप ये भी कह सकते है ये श्रद्धाँजली दिवस हैँ क्योकी कांन्वेट दड़बो मे पढते गले मे टा ई लटकाये आज के अ सभ्य समाज हिँदी दिवस जानते ही नही उनके लिये तो अंलग सगी है और हिँदी एक विषय मात्र भर है आज हिँदी का स्तर अंग्रेजी के नीचे है और हम गर्व से कहते है यह हमारी राष्ट्रभाषा है क्या सिर्फ हिँदी पखवाड़ा मना कर या हिँदी दिवस को याद कर हिँदी को मुकाम दिलवा पायेगे हरगिज नही क्योकि हिँदी हमारी आत्मा मे नही बसी है बल्की वह हमारे चेहरे पर पाउडर जैसी पुति हुई है जो विदेशीयो के सामने आपको सम्मान दिलाती है आप भारत का प्रतिनिधित्तव करते है लेकिन अपनी हिँदी को भूल जाते है वैसे तो हम विकास रुपी ढोल खूब पीट रहे है लेकिन शर्म इस बात पर भी आना चाहिये की संयुक्त राष्ट्रसंघ मे हिँदी को सम्मान नही दिला सके आज वेलेनटाईन डे मदर डे और ना जाने कितने डे युवा मनाता है लेकिन हिँदी की गरिमा क्या है महिमा क्या है साहित्य क्या है ये कभी जानने कि चेष्टा करता क्योकी हिँदी आत्मा मे नही है हम आज अपनी जड़े खोदने पर तुले है क्यो कि हम शिक्षा के नाम पर अंग्रेजीयत अपनाते जा रहे है हर सरकारी काम हिँदी मे होना चाहिये लेकिन अफसर को हिँदी नही आती हद तो जब होती है कोई विदेश मँत्रि भारत आते है तो प्रेस वार्ता भी अंग्रेजी मे ही होती है अगर हिँदी का ये हाल रहा तो हिँदी का मरण हमलोगो के द्वारा हो जायेगा फिर अंग्रेजी हम पर हंसेगी और भारत माता कहेगी हिँदी मेरी बहना रुठ ग ई जो थी भारत क गहना जय हिँद
सोमवार, 12 सितंबर 2011
जाकिर का अंधा इस्लाम प्रेम
मैँने मुस्लिम विद्वान जाकिर नाईक कि काफी तकरीरे सुनी है ओर आपने भी सुनी होगी वे जिस तरह इस्लाम को महिमामंडित करते है तो हरकोई आर्कषित हो जाता है जाकिर जो कहते है वो कुरान और हदीस पर आधारित होता है अब ये कितने असरदार है ये हमे तब लगता है जब कोई आंतकि गुट कही विस्फोट कर देता है और इस्लाम के प्रति हमारा भ्रम टूट जाता है लेकिन बात यहाँ खत्म नही होती जब जाकिर हिँदू धर्म की तुलना कर इस्लाम और हिँदू धर्म मे समानता बताते है तो लगता है उसे नीचा दिखा कर उसमे छिपी इस्लाम विपिरत बाते द्वारा हिँदूऔ के मन मे अपने धर्म के प्रति शंका और इस्लाम का प्रति आस्था के भाव पैदा कर देते है ऐसा लगता है जैसे हिँदू धर्म की पोथिया चाट कर आये है आस्था से पढ कर नही आये जाकिर हिन्दू धर्म कि मान्यताओ कि काट इस्लाम मे तर्क के साथ पेश करते है चाहे गौ हत्या हो या मूर्ति पूजा या फिर हमारे अवतार जबकि हिँदू धर्म सभी धर्मो का पितामाह है लेकिन जाकिर कहते है मुसलमानो अपने बाप को बाप मत कहो (हिँदू धर्म काफिर है) आज जितनी भी आंतकि घटानाये होती है अंधिकाश मुस्लिम वर्ग पर हि शामिल होता हे लेकिन जाकिर इन पर भी यह सफाई देता है कुछ मुस्लमान आंतकी है लेकिन दूसरे धर्म इनसे कहीँ ज्यादा आतकीँ है ये कथन इस्लामिक आंतकके पक्ष को और मजबूत करता है जब्की जाकिर को इस्लामिक आंतकवाद का खुल कर विरोध करना चाहिये जाकिर इस्लाम का झंडे तले शायद सबको खड़ा करने की सोच रहे है और भारत मे इस्लामिक राष्ट्र कि नीँव को रखने का प्रयास कर रहे है पीस टीवी पर इनके कार्यक्रमो पर रोक ल गना चाहिये जय भारत मात.
रविवार, 11 सितंबर 2011
आप को अब सिर झुका कर कहना होगा की मेँ हिँदू बहुसंख्यक हुँ क्यो की आप को भी आँतकी घोषित करने का प्रयास किया जायेगा साप्रदायिक हिँसा विधेयक कानून की आड़ मै जो आपको सीधे तौर पर कहता है बहुसंख्यक हिँदू हिँ दंगा फैलाता है ये कैसा कानून है जो सनातन पंरपरा मै आँतक का पैबंद लगाने पर आमादा है सिर्फ इसलिये कि जो अल्पसंख्यको का आंतकि घटनाओ मे लिप्त है उन्हे सहानभूति का मरहम लगाया जाये क्यो कि जिस तरह अल्प संख्यक आबादी बढ रही है ये इंगित करती हैआने वाला समय इनका हि होगा अल्पसंख्क वोट बैँक हि सत्ता का समीकरण तय करेगा इस लिये राष्ट्रिय सुरक्षा समिती ये छदम कानून कि सिफारिश करती नजर आ रही है चूँकि कांग्रेस पूर्ण बहुमत मे है और समय भी है इस लिये इस विधेयक को पास होने मे कोई मुशकिल नही होगी अगर ये बिल आ पास हो जाता है तो ये हिँदुओ के लिये आत्मघाति सिद्ध होगा और अल्प संख्यक और संरक्षित हो कर बे खौफ आँतकी घटना करेगे अगर इतिहास खंगाला जाये तो ऐसा प्रमाण नही मिलेगा की किसी हिँदू ने गैर हिँदू को सताया हो या फिर उसके धर्म स्थल को तोड़ा हो या उनकी माँ बहनो का बलात्कार किया हो ब्लकि हिँदू स्वभिमान के लिये लड़ता है लेकिन मुसलमान हमेशा भारत को कमजोर करता रहा है और आज भी जितनी भी आँतकि घटना हुई वे पूरि तरह प्रमाणित है की ये इस्लाम को मानने वाले ही कर रहे है अभी कुछ दिनो पहले केजरीवाल जैसे छंछूदरो ने भ्रष्टाचार पर खूब प्रशसा बटोरी और खूब जनशक्ति का प्रदर्शन करवाया लेकिन जब ये विधेयक कि बात आई तो कोई भी विरोध के लिये आगे नही आरहा और जो मुसलमान अपने को हिँदूस्तानी कहता है वो आज चुप क्यो है कही उसकि इस चुप्पी के पीछे कही नये पाकिस्तान की कल्पना तो नही आओ इस पर विचार करे जय भारत .
सोमवार, 5 सितंबर 2011
अल्पसंख्यक नही देशभक्त बनो
अंखड भारत कि कल्पना कोई आज की नही है वर्षो पुरानी कवायद है जब जब किसी विदेशी ने भारत पर अपनी संस्कृति और शासन को थोपने का प्रयास किया तब तब क्राँति हुई और अधिकाश सफल भी हुई पंरतु विदेशी चले तो गये किँतु भारत को खंड खंड और संस्कृति को विकृत कर गये ब्रिटिश इसका सबसे बड़ा उदाहरण है ये भारत पर कुछ ऐसे कानून थोप गये जिसने हिँदुतत्व ओर भारत को पंगु बना दिया और कांग्रेस ने तो हिँदु को एक दंगा फैलाने वाली जाति करार दे दिया और मुस्लिमो को पूर्ण धार्मिक आजादी ही नही धार्मिक काननू तक दे दिये और एक विष्शिट दर्जा अल्पसंख्यक देखर निँरकुश और दंबग बना दिया और मुस्लिम अपने गर्व से हम भारतिय है कहते है और अपने धर्म का प्रचार और प्रसार करते है और अंखड भारत के मुद्दे पर अपने को अलग रखते है ये कैसी राष्ट्रभक्ति है जो देश को धर्म से नीचे खड़ा करती है दरअसल मुस्लिम अपने को पहले धामिर्क फिर नागरिक मानते है और ये समझते है ये अपना देश नही है अगर ये सही नही है तो मुस्लिम संगठन कशमीर और आंतकवाद पर अपनी राय सपष्ट क्यो नही करते आतकवाद के नाम पर दारुल फतवा क्यो नही देता अगर मुस्लिम देश भक्त ही होता तो अपने को समान नागरिक संहिता का सर्मथन करता और अंखड भारत के निमार्ण मे आगे आता अगर इसके कारण को तलाशा जाये तो इन सबका मूल जिन्ना और गांधीजी की राजनैतिक कौशलता है अगर गांधी जी चहाते तो पाक्सितान की नीँव नही पड़ती और ना ही हिँदुतत्व आज राजनिति का बंदी होता जिन्ना जो भारतिय मुसलमानो मे मुस्लिम राष्ट्र का बीज बोकर चले गये ओर हमारे राजनेताओ ने खाद पानी दे कर एक वृक्ष बना दिया और हिँदु को साप्रदायिक खरपतवार साबित कर दिया क्या आप अब भी नही जागेगे अगर अंखड भारत का निर्माण करना है तो पहले अल्पसंख्यक नही एक देश भक्त बनना होगा जय अंखड भारत
गुरुवार, 1 सितंबर 2011
आज मैँ आपको लिये चलता हु आधुनिक साहित्य के उस युग मेँ जहाँ बेतरबीर का आलम है और कितने लेखको ने बुकर जैसे क ई नामी पुरूस्कार लेकर अंग्रेजो के लिचरेचरी दरवाजे पर भीखारी बन कर नाम कमा रहे है हमे शर्म भी नहि आती हमारे साहित्यिक पूर्वज प्रेँमचंद भारतेंदु और जयशंकर जी जैसे स्वाभिमानी लेखक थे जो समाज के लिये हि लिखते थे कोई बुकर के लिये नही ये कैसा न्याय है मातृभाषा के प्रति जहाँ हिँदी साहित्य का विकास नही हो पा रहा और आप अंग्रेजी मे कलम घिस कर धन और प्रसिद्धी के पीछे भाग रहे हो अरूधती राय विक्रम सेठ चेतन भगत ये अब हमारे नये साहित्यिक अवतार है इन लोगो का जीवन विलासता पूर्ण है ये क्या भारतीय समाज मे अच्छा साहित्य दे पायेगे अंग्रेजी अच्छी भाषा है लेकिन जन भाषा के प्रति उदासीनता ठीक नही क्यो की आप लोग युवा है आपके विचार युवाओ को अच्छे लगते है इसलिये आपको इन्हे अच्छा साहित्य देना होगा और आज भारत का अच्छा साहित्य हिँदी मे ही लिखा जा सकता है आज क ई युवा तो हिँदी साहित्यकार को भूल ही चुके है और तो और उनकि कालजयी रचनाऐ उन्हे बासी लगती है लेकिन उनको आपके नाम और रचनाऍ सहित पूरा वयक्तिव पता है आप जैसे भारतिय अंग्रेजी साहित्य कार साहित्य गोष्ठीयो मे कम फैशन शो ऑर फिल्मी दुनिया मे ज्यादा नजर आते है ऐसे आधुनिक अंग्रेजी बंदर क्या हिँदी की सेवा कर पायेगे आप लिखो खूब लिखो लेकिन हिँदी को अंग्रेजी के सम्मुख छोटा मत करो अगर आप हिँदी साहित्य को विश्व मे वो सम्मान दिला सको जो आज अंग्रेजी का है तो आपका लिखना धन्य है आगे आपकी मर्जी जय हिँद
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