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गुरुवार, 23 जून 2011

एक क्राँती का नाद

बंधे हाथ तो क्या हुआ हो सवतंत्र विचार
नवयुग का निर्माण करो झूटे सवप्न करो साकार
एक नहीं होए मत सोचो जग भी साथ तुम्हारे है
हो क्रांति किजवाला मन में ताल जायेगे मन के विकार
देश तुम्हारा लोग तुम्हारे फिर क्या तुमको डरना  है
याद रहे वो लोग तुम्हे जिन के रास्तो पर चलना है
डगर बड़ी है काँटों वाली पल पल तुम्हे संभालना है
जीवन के सिन्धु उठा ज्वर थम सत्य पतवार
हाल बुरा हैतेरे देश का माट्टी     भी अब रो देती है
लाल हमरे भूखे मरते सरकार नोचती बोटी    है
हथियार उठा ले संग ले काफिला अब तो रण हो
 जाये जिसको जिससे लड़ना हो चुन ले कलम और तलवार
नस नस में हो लहू उबलता वाणी में परिवर्तन की आग
रुके कदम न अब तुम्हारे गाते चलो इंकलाबी राग
सत्ता के सियारों से बचना कही तुम चोट न खा जाओ
भगुर हो जाये कुवय्वस्था करो एसा त्रीव प्रहार

बुधवार, 22 जून 2011

गाँधी जी को दोष देना गलत है गाँधी ने हर भारतीय को सवाम्ब्लन बनना सिखा अगर आज हम गाँधी के विचारो के पीछे होते तो देश की ये दशा नहीं होती कांग्रेश जिस तरह गाँधी जी को अपना नेता मानती है ये उसकी सची भावना नहीं वरन उसकी कूट निति है क्यों की जब गाँधी जी ने कांग्रेश को ख़त्म करने की बात राखी थी जब कांग्रेस ने उनका समर्थन नहीं किया अगर गाँधी कहते तो सत्ता सुख भोग सकते थे  क्युकी  उस समय गाँधी जी का सम्मोहन सरे देश में था जिसे धूर्त कांग्रेस ने अपने हित में भुनाया ये बात किसी से छिपी नहीं है आज़ादी के बाद तुरंत गाँधी जी की हत्या भी कोंग्रेस के लिए विश्वास पात्र पार्टी बनकर उभरी गाँधी के उस वाक्य  में उनकी राष्ट्रवादी विचार धरा धिक्ति है वो कहते थे भारत गावो  में बसता है गाँधी जी हिन्दुत्त्व वादी विचारो के समर्थक थे यह बात कांग्रेश भी जानती थी लिकिन वे गाँधी जी के सामने विरोध नहीं करते क्यों की कांग्रेस देश की सत्ता पर काबिज़ होना चाहती थी लेकिन गाँधी जी को कांग्रेस में पूरी आस्था थी इस कारन गाँधी जी को लेकर कांग्रेस में भी एक राय नहीं बन सकी  इस वजह  से सुभाष बोस  लोकमान्य तिलक ने गरम दल बना लिया

शनिवार, 18 जून 2011

हम भारतीयों को शर्म  आनी चाहिए हम बाबा राम देव और अन्ना के आन्दोलन के साथ जुड़े लेकिन न हम सरकार  को झुका सके न अपने आन्दोलन को सफल बना सके क्या जनशक्ति इतनी निर्बल हो गई है की हम अपने हक के लिए सरकार  से भीख मांगनी पढ़  रही है हम एकजुट होने का क्यों ढोंग करते है जबकि  हम जल्दी बिखर भी जाते है हाल ही में हमे ये परिणाम भी देखने को मिला वह यहाँ संकेत दे रहे है अब हमें फ्हिर से सवतंत्रता का बिगुल फुकना च्चाहिए रामलीला मैदान पर जो बर्बरता पूर्ण घटना घटी उसकी अगर विवेचना की जाये तो उसके लिए हम ही दोषी  है हम दो धुरियो में बट चुके थे कुछ अन्ना के साथ थे तो कुछ बाबा रामदेव के साथ जबकि दोनों का लक्ष्य  और आन्दोलन का तरीका भी एक ही था अगर अन्ना और बाबा एक मंच पर होते तो यह घटना नहीं घटती इस बिखराव का सरकार ने खूब फायदा उठाया और उसने आन्दोलन को दबा दिया सरकार की कूटनीति की में प्रशसा करता हु जो उसने बाबा पर ही बेमानी का आरोप लगा दिया कांग्रेस  का दमन देशद्रोही यों ने थाम  रखा है ये बात हम को जान लेना चाहिए किन्तु हम कोंग्रेस को एक इमानदार दल मानते आ रहे है  उसके समोहन में इस कदर जकड़े है की आज फिर एक जे पि जैसे नायक की क्रांति चाहिये अब भारतीय राजनीती का  नव उदय होना चाहिये और कांग्रेस को उखड फेकना और बाबा और अन्ना जैसे विचारो  वाले नेताओ को सत्ता पर बैठना चाहिये तभी भारत का नवुदय हो पायेगा