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गुरुवार, 24 फ़रवरी 2011

लाल झंडे को देश का सलाम

भारतीय राजनीति यू तो समाजवादी है लेकिन वाम दलो के बिना अधूरी सी लगती है वाम दलो की राष्ट्रिय स्तर पर कोइ गहरी पैठ नही है किँतू केरल पं बंगाल आदी प्रदेशो मे इनकी तूती बोलती है और कई बार ये राष्ट्रीय राजनिती मे तुरूप के पत्ते साबित हो जाते है इसका संकेत साफ है की लाल झंडे का रंग अभी भी चटख है

लाल झंडे को देश का सलाम

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शनिवार, 12 फ़रवरी 2011

कौन देशद्रोही

अभी मैने विनायक सेन बारे मे सुना वह देश द्रोही है क्योकी वह नक्सल समर्थक गतिविधी मे लिप्त है लेकिन मै उसे दोषी तो मान सकता हु लेकिन देशद्रोही कहना पक्षपात करने जैसा है क्योकी देश मे कई कट्टर देशद्रोही है जो मलाईदार कुनबो का प्रतिनिधित्तव करते है और अपने को देशभक्त की श्रेणी मे गिनते है इसलिये पहला हक उनका बनता है की वह अपने को देशद्रोही साबित करे एक अकेले विनायक को देशद्रोही कहना ठीक नही आज हम भी देशद्रोही है क्योकी देश के लिये स्थाई और ईमानदार सरकार नही चुनते एक देशद्रोही वे अफसर है जो घूसखोर और पद का दुरुपयोग करते है और हम इनके खिलाफ आवाज नही उठाते और बेमतलब किसी राजनैतिक दल की सभा मे चिल्लाते है विकास का रोना रोते है यहाँ तक हमारी कानून व्यवस्था भी देशदोही है जो कसाब और अफजल को अभी तक जीवन दान दिये है एक देशदोही हमारी सरकारी जाँच ऐजेसी है जो बरसो सरकारी धन लुटाने के बाद भी संतोषजनक परिणाम नही देति और बोफोर्स टेलिकाम नकली स्टांप जैसे घोटाले को इतना लंबा खिँचती है की आरोपी मृत्यु हो जाती है और वह सजा भी नही भोग पाता ये हमारी कमजोर सरकारी मशीनरी की विफलता है क्योकी हमारे पास कुशल कार्मिक नही है क्योकी हर विभाग हर कर्मचारी मैँ मे विशवास करता है आज देश का युवा भी देश द्रोही है एक आजादी की कीमत ये नही जानते फैशनपरस्रति और मार्डन बनने की होड़ ने इनका चरित्र दागदार कर दिया है मुझे इन्हे भारतीय कहने मे शर्म आती है ये आज सच्चे देशद्रोही है

गुरुवार, 10 फ़रवरी 2011

भारतीय हो तो संघ मे चले आओ

मुझे आज अपने आप को हिन्दू कहना पड़ेगा क्योकी आज मै संघ की गाथा लिखने की चेष्ठा कर रहा हु और मेँ भयभीत हू की मेरे इस कृत्य को हमारे कुछ राष्ट्रवादी मुझे साप्रदायिक कहने लगेगे मेरा राजनीती और संघ से कोई नाता नही है और न ही मै कोई आलोचक हुँ पंरतु आज संघ के प्रति नतमस्तक हु और कहता हु तुम भारतीय हो तो संघ मे चले आओ क्योकी संघ एक पाठ शाला है जहाँ भारतीयता का सबक पढाया जाता है अनुशासन की डिग्री मिलती है और लोकसेवा की चाकरी खाकी हाफ पैँट काली टोपी सफेद कमीज को ही कई लोग संघ मानते है लेकिन इसके विपरित संघ का स्वरूप एक कर्मठ अनुशाशित और राष्टवादी संगठन है संघ प्रांतवाद से कोसो दूर है संघ अंखड भारत का समर्थन करता है और उसकी यही बात हमारे राजनीतिज्ञो को नही सुहाती और इन्होने संघ पर दोषारोपण किया संघ एक दंगा फैलाने की संस्था है संघ की सहनशीलता का जबाब नही वह शांत रह कर अपना कार्य करता रहता है हमे गर्व होना चाहिये संघ की इमानदारी पर नाथूराम द्वारा गांधी जी कि हत्या (अपवाद) को छोड़ दिया जाय तो संघ की छवि उन राजनीती दलो से उजली होगी जो संघ पर उंगली उठाते है ये राजनिती संगठन संघ को अपना प्रतिद्वंदि मानते आ रहे है और अल्पसंखयको की नजरो मे संघ को हिन्दू संगठन कहते है मै भारत के मुसलमानो से पूछता हू संघ ने कभी तुम पर उंगली नही उठाई तो तुम संघ से क्यो नजरे चुराते हो उठ कर जागो और संघ मे आकर देश के लिये काम करो और जबाब दो उन राजनीती के लंपटो को जो सत्ता सुंदरी को भोग रहे है आगे आपकी मर्जी जय भारत .

बुधवार, 9 फ़रवरी 2011

मेरे भारत के लोगो का प्रेम दिवस

हम भारतीय का स्वाभिमान इस हद तक निम्न स्तर का हो चुका है की हमने जगत को प्रेम का अर्थ समझाया और अब इंगलिस्तान ने हमारे लिये प्रेम करने का दिन मुर्करर कर दिया छि. भारतीयो तुम्हारी नँपुस्कता तो वीर अर्जुन से बढ कर है क्योकी स्वर्ग की बालाये उसका मनोबल न तोड़ सकी और हम निर्लज्ज़ एक संपन्न राष्ट्र की बेहूदा साँस्कृति के माया आधिन इस कदर हुये अपना स्वाभिमान ही उन्हे बेच बैठे पूरी वंसत ऋतु यूँ ही बिता दी तुम किसी को प्रेम निँमत्रण न दे सके क्योकी तुम वेलेनटाइन डे के आधीन है तुम्हारी प्रेमिका और तुम ये मानते हो आज के दिन हि तुम्हारा प्रेम सत्य होगा जब विदेशी मंहगे उपहार पर हमारा धन विदेशी खाते मे जमा करोगो तभी प्रेमी कहलाओगे धन्य है तुम्हारा प्रेम तुमने तो हमारी भारत माता को रुला कर रख दिया मेरे लोगो सनद रहे ये विदेशी माया का भ्रम कभी तो टूटेगा उस दिन तुम मातृभूमि को याद करोगे.

रविवार, 6 फ़रवरी 2011

आज की पत्रकारिता

-- Blogvani.com Link -->Blogvani.comइस लेख का उद्देशय कतई ये नही की मैँ पत्रकारिता की गरिमा को कम आंक रहा रहा हूँ क्योकी पत्रकार समाज ही एक मात्र सेतू है जो समाज और सरकार के बीच काम करता है लेकिन कुछ दशको से पत्रकारिता समाजवादी न हो कर पूँजीवादी हो चली है दो दशक पहले जहाँ पत्रकारिता का स्वरूप था वो अब देखने को नही मिलता पत्रकार समाज निष्पक्षता को छोड़ कर निजता की और चल पड़ा है हम यह भी कह सकते है पत्रकारिता सामाजिक न होकर सरकारी मशीनरी है जो सरकार की मामूली अच्छाईयो को विस्तृत और वृहद बुराईयो का लघु रुंपान्तिरत कर हमारे बीच प्रस्तुत करती है जमाखोरी भ्रष्टाचार नौकर शाह जैसी प्रगति मे बाधक बनी इन व्यवस्था पर अपनी कलम क्यो नही घिसती आज का युग तकनीकी युग है पत्रकारिता वर्ग मेँ भी इसका खूब चलन बढा है स्टिँग आपरेशन के नाम पर उस प्रकार की खबरो को प्रसारित करते है जिसका समाज से कोई लेना देना नही कभी स्वाधीनता संग्राम मेँ आजादी की अलख जगाने मै पत्रकारिता समाज के योगदान को हम नही भूले है कितु आज हर समाचार पत्र न्युज चैनल अपना हित साधने मे लगा है वह विरोध की हवा तो देता है लेकिन नया विषय मिलते ही पुरानी खबर को भूल जाता है कई एसी बड़ी खबरे है जिनको पत्रकाराति ने हवा दी और वे अब उस पर बात भी नही करते मुझे आमिर खान जी का धन्यवाद करता हु जिन्होने पीपली लाईव मे आज की पत्रकारिता की छवि पेश की है सौ फिसदी सत्य है आज फिर पत्रकारिता समाज को अपने निजि हितो को त्याग कर निष्पक्ष हो कर समाज और देश कि प्रगति मैँ अपनी आहुति दे तभी सच्ची पत्रकारिता सार्थक होगी .