गुरुवार, 30 दिसंबर 2010
आजाद देश गुलाम युवा
हम अकसर बजंरग दल और हिँन्दु संगठनो पर दोष मढ़ देते है की वह आशांति फैला कर माहौल मे डर पैदा कर देते है लेकिन हमारा ध्यान उस और कभी नही जाता जो हमारी गरिमामयी संस्कृति को लातो तले उछाल रहे है और इंगलिस्तान की झोली मे भरपूर धन भर रहे है हम ब्रांडेड फैशन के इतने आदी हो चुके है की हमारा पुशतैनि करघा दम तोड़ रहा है डिसंकाउट के बाद भी उन्हे कोई नही पूछता हम भूल गये आजादी के महायज्ञ मेँ चरखा एक एसा शस्त्र था जिसने विदेशीओ के पेट पर लात मारी और धन्य है हमारे युवा जो आधुनिकता की आड़ मे अपना चरित्र ही नही समय और धन भी नष्ट कर रहे नव वर्ष को जिस तरह मस्ती मेँ तुम डूब जाते हो लेकिन गुङी पड़वा क्या है यह पूछने पर तुम बगले झाँकने लगते हो वेलेन्टाइन पर तुम सच्चे प्रेमी होने का ढोँग करते हो क्योकी फेसबुक पर तुमने कई प्रेम निँमत्रण दे रखे है माँ की बनाई सेवंई अब रसहीन हो गई है चटोरी जबान मैगी माँगती है कभी पिता के चरण छू कर देखो तो जानोगो आर्शीवाद क्या बला है भारत माँ तुम्हारी ये दशा देख कर रो रही होगी और आस लगाये बैठी है कुछ युवा तो सपूत निकलेगे जो आजाद भगत और सुभाष के सपनो का भारत बनायेगे और बापू के आर्दशो को जन जन तक पहुचायेगे
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