सोमवार, 18 अक्टूबर 2010
जीत गये राम
23-24 सिंतम्बर को क्या होगा राजनीती बंदरिया कौन सा स्वांग दिखायगी यह प्रशन सेकुलर विचारधारा को मानने वालो को डरा रहा था किंतु भारत की न्याय प्रणाली ने एक बार फिर धर्म और आस्था से परे देश हित के प्रति कर्तव्य पूरा किया अब उम्मीद की जा सकती की भारत मे एक बार फिर राम राज्य आने को है
भूत
भूत तो हम भूल चुके है भविष्य की हम सोचे क्यो जीना है अभी पुरी जिंदगी फिर दुखो से निराश क्यो चाहे कोई हमे बेबस कर दे या मातम को घर मेँ धर दे आना चाहे कोई आफ़त खुले दरवाजे सबके काजे सारा जग को माने ठिकाना कुछ ना जाने खोना पाना बहता दरिया नीर पिये हम अँबर आंचल रोज जिये हम भीख माँगते रब से इतनी पापो कि कम कर दे गिनती लोग हमे तो भिक्खु समझे पर हम तो ठहरे रब भरोसे
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